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बुधवार, जून 02, 2010

क्या करें कोई तो बताए

हमारे एक मित्र ने हमसे एक सवाल किया है जो हम यहां अपने ब्लागर मित्रों से पूछ रहे है- 

सवाल है- जब इंसान हर तरफ से निराश हो जाए और उसका भगवान पर से भी विश्वास उठ जाए तो उसे क्या करना चाहिए।

7 टिप्पणियाँ:

रंजन (Ranjan) बुध जून 02, 09:20:00 am 2010  

भगवान से प्रार्थना करो :)

ब्लॉ.ललित शर्मा बुध जून 02, 10:02:00 am 2010  

भगवान से विश्वास उठ जाना ही निराशा का कारण है,
उसके सिमरन से ही सभी समस्याओं का हल निकलता है,जो उस ईश्वर से डरता है वह किसी सांसारिक विपत्ति से नहीं डरता। कुछ विलंब अवश्य हो सकता है,लेकिन हानि नहीं होती।

इसलिए ईश्वर पर आस्था बनाए रखें,विपत्तियों का निवारण होगा तथा आशा का दीप जलेगा।

मेरा तो यही विश्वास है जो हमेशा आत्मबल प्रदान करता है।

अन्तर सोहिल बुध जून 02, 10:38:00 am 2010  

मनोचिकित्सक से सलाह

प्रणाम

पी.सी.गोदियाल "परचेत" बुध जून 02, 11:00:00 am 2010  

आत्म.......... ! आगे जरुरत के हिसाब से ; ह्त्या, मंथन ,विश्लेषण और चिंतन में से जो भी उपयुक्त हो , जोड़ा जा सकता है !

पापा जी बुध जून 02, 01:29:00 pm 2010  

पुत्र
तू बचपन से ही पढाई मे कमजोर है
ये प्रश्न ब्लाग पर पूछ कर तू खुद कम्पढा लिखा सिद्ध हो रहा है
तेरी बेटी समझदार है उससे पूछ ले उत्तर मिल जायेगा
पापा जी

राजकुमार ग्वालानी बुध जून 02, 04:03:00 pm 2010  

पापा
आदमी की जात और औकात देखकर बात की जाती है, अब जिसका वजूद ही न हो उससे बात करने का क्या मतलब। जिसमें औकात होती है वह अपने सही वजूद के साथ सामने आता है। वैसे एक बात बता दें हम तुम्हारे पुत्र नहीं तुम्हारे बाप के भी बाप है, दम है तो सही वजूद के साथ सामने आओ तुम्हें तुम्हारी औकात का अंदाज हो जाएगा।

मिलकर रहिए बुध जून 02, 09:53:00 pm 2010  

अनूप ले रहे हैं मौज : फुरसत में रहते हैं हर रोज : ति‍तलियां उड़ाते हैं http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/06/blog-post.html सर आप भी एक पकड़ लीजिए नीशू तिवारी की विशेष फरमाइश पर।

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