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शनिवार, जून 19, 2010

आज आ गई फिर तुम याद

आज आ गई फिर तुम याद
हो गया दिल का गुलशन आबाद।।
छा गई खूशियां दिल के आंगन में
महकने लगी कलियां मन मधुबन में।।
चाहत के अरमान मचलने लगे दिल में
दिल करने लगा मिलने की फरियाद।।
आज आ गई फिर तुम याद
हो गया दिल का गुलशन आबाद।।
दूरियों के दर्द अब मिट जाएंगे
अरमानों के द्वार खुल जाएंगे।।
मन वीणा केतार बजेंगे तब
जब हम तुम फिर मिल जाएंगे।।
फिर न रहेगा मन में कोई अवसाद
आज आ गई फिर तुम याद
हो गया दिल का गुलशन आबाद।।


नोटः यह कविता भी हमारी 20 साल पुरानी डायरी की है। 

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