तुम्हारे जैसे दोस्त हों तो दुश्मनों की क्या जरूरत है
हमारी कल की पोस्ट अंजोर दास हो या मूलचंदानी हमें फर्क नहीं पड़ता जानी.... में हमारे एक मित्र संजीव तिवारी ने टिप्पणी करके हमारा ध्यान दिलाया है कि हमारे ही कोई मित्र लगातार बार-बार नाम बदल-बदल कर हमें परेशान करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वे हमसे घबराते हैं। भाई संजीव जी यह बात तो हम भी जानते हैं कि ऐसा करने वाले हमारे ही मित्र हैं। हमारे ब्लाग में भी सैनिक तैनात हैं और हमें मालूम हो जाता है कि कौन कहां से गंदगी फैलाकर जाता है। लेकिन हम इसलिए चुप थे कि क्यों कर अपने मित्र और अपने राज्य को बदनाम करें। लेकिन जब आपने इशारा कर दी दिया है तो सोचा चलो हम लिख देते हैं।
हम भी जानते हैं कि हमारे ब्लाग में पहले तहसीलदार फिर पापा और अब अंजोर दास और मूलचंदानी के नाम से गंदगी करने वाला पागल बाहर का नहीं अपने ही घर का है। यह तो सदा से चलते आ रहा है कि हर घर में कोई न कोई विभीषण होता है इसमें नया क्या है। अफसोस सिर्फ इस बात का है कि सामने मित्रता जताने वाले पीठ पीछे ऐसा काम करते हैं। अगर इतना ही दम है तो सामने आकर बात करें न। ऐसे मित्रों से तो वह दुश्मन भला होता है जो सामने से वार करता है। खैर जो अच्छे रास्ते पर चलते हैं उनके रास्ता में बाधा तो आती है और जो बाधा से घबरा जाते हैं वे कभी मंजिल पर नहीं पहुंचते हैं। हमें मालूम है कि हमने अगर ब्लाग जगत में भाई-चारे का संदेश देने का एक बीड़ा उठाया है तो इस रास्ते में ऐसी कई बाधाएं आएंगी, लेकिन हम घबराने वाले नहीं हैं। एक तरफ जहां हमारे मित्र ही हमें विचलित करने का काम कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ वे लोग जो हमें भी गलत समझते रहे हैं उनको लगने लगा है कि हम कभी न गलत थे और न हैं और न होंगे। एक सफलता तो हमें मिल ही चुकी है कि हमें लोग अब समझने लगे हैं। हमें आशा है कि लोगों को धीरे-धीरे जरूर इस बात का अहसास हो जाएगा कि हम हमेशा निष्पक्ष रहते हैं। बहरहाल हमारे मित्र (दुश्मन) अपना काम करते रहें और हम अपना करते रहेंगे। वैसे भी जीत हमेशा सत्य की होती है और यहां भी होगी इसका हमें भरोसा है।
जय हिन्द, जय भारत जय छत्तीसगढ़
हम भी जानते हैं कि हमारे ब्लाग में पहले तहसीलदार फिर पापा और अब अंजोर दास और मूलचंदानी के नाम से गंदगी करने वाला पागल बाहर का नहीं अपने ही घर का है। यह तो सदा से चलते आ रहा है कि हर घर में कोई न कोई विभीषण होता है इसमें नया क्या है। अफसोस सिर्फ इस बात का है कि सामने मित्रता जताने वाले पीठ पीछे ऐसा काम करते हैं। अगर इतना ही दम है तो सामने आकर बात करें न। ऐसे मित्रों से तो वह दुश्मन भला होता है जो सामने से वार करता है। खैर जो अच्छे रास्ते पर चलते हैं उनके रास्ता में बाधा तो आती है और जो बाधा से घबरा जाते हैं वे कभी मंजिल पर नहीं पहुंचते हैं। हमें मालूम है कि हमने अगर ब्लाग जगत में भाई-चारे का संदेश देने का एक बीड़ा उठाया है तो इस रास्ते में ऐसी कई बाधाएं आएंगी, लेकिन हम घबराने वाले नहीं हैं। एक तरफ जहां हमारे मित्र ही हमें विचलित करने का काम कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ वे लोग जो हमें भी गलत समझते रहे हैं उनको लगने लगा है कि हम कभी न गलत थे और न हैं और न होंगे। एक सफलता तो हमें मिल ही चुकी है कि हमें लोग अब समझने लगे हैं। हमें आशा है कि लोगों को धीरे-धीरे जरूर इस बात का अहसास हो जाएगा कि हम हमेशा निष्पक्ष रहते हैं। बहरहाल हमारे मित्र (दुश्मन) अपना काम करते रहें और हम अपना करते रहेंगे। वैसे भी जीत हमेशा सत्य की होती है और यहां भी होगी इसका हमें भरोसा है।
जय हिन्द, जय भारत जय छत्तीसगढ़
8 टिप्पणियाँ:
जय हिन्द, जय भारत जय छत्तीसगढ़
-आप अपना काम करते चलें.
उन महानुभाव को मैनें भी पहचान लिया था जी। लेकिन मैनें उनसे कुछ कहा नही। मैं जानता हूं कि कौन है अंजोरदास मूलचंदानी।
प्रणाम
राजकुमार जी, यदि आप अच्छा लिखने लगेंगे तो फालतू के फर्जी लोग आपके ब्लौग पर कमेन्ट करना बंद कर देंगे. एक बार अच्छा लिखकर देखिये तो सही.
@ हिंदीब्लॉगजगत कम से कम आप तो यह मत कहो...............आगे आप जानते हो क्यों कह रहा हूँ !
हिन्दी ब्लॉगजगत जी ???
आप कहना चाहते हैं कि राजकुमार जी अभी तक अच्छा नहीं लिख रहे थे
??? कृपया स्पष्ट करें ...
राजकुमार भाई साहब, मेरा कोई भी उद्देश नहीं है आपके ब्लॉग पर किसी भी तरह के नए विवाद को जन्म देने का ! बस दोहरी नीतियाँ मेरी समझ के बाहर हो जाती है| मैंने जो भी लिखा है उस के विषय में आधिक जानकारी आपको पाबला जी और अजय कुमार झा जी से भी मिल सकती है !
जो खुद गलत हो उसको यह अधिकार नहीं दिया जा सकता की वह किसी और को गलत कहे! आपको काफी दिनों से पढ़ रहा हूँ ........आप बहुत बढ़िया लिखते है इस में कोई शक नहीं है!
हिन्दी ब्लाग जगत जी.
अच्छा हुआ आपने हमें बता दिया है कि हमें अच्छा लिखना नहीं आता है। क्या करें मित्र हम तो अनाड़ी हैं. अभी-अभी लिखना सीखा है। क्या है न आप जैसा कोई गुरू नहीं मिल सका है। आप यदि हमें इसी तरह से ज्ञान देते रहे और कुछ अच्छा लिखने वाले गुरुओं के बारे में जानकारी देते रहे तो जरूर हम भी एक दिन अच्छा लिखने लगेंगे। वैसे हम बता दें कि पिछले 25 सालों से पत्रकारिता से जुड़े हैं और इस समय रायपुर के दैनिक हरिभूमि में काम करते हैं। अब शायद यह उन अखबार वालों की किस्मत खराब रही है जिन अखबारों में हमने काम किया है जो हम जैसे अज्ञानी से अब तक काम लेते रहे हैं। काश उनको आप जैसा इंसान परखने वाला मिल गया होता हम जैसे अनाड़ी को अपने अखबार में रखने की गलती नहीं करते।
हिन्दी ब्लाग जगत जी.
एक बात और यह कि यह बात हम अच्छी तरह से जानते हैं कि ब्लाग जगत में अच्छे लेखन की कितनी कदर होती है। अच्छा लिखने वाले एक टिप्पणी को तरस जाते हैं और कुछ भी लिखने वालों पर टिप्पणियों की बारिश हो जाती है, यही है ब्लाग जगत। ऐसे में अच्छा लिखना कौन चाहेगा।
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