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सोमवार, जून 28, 2010

क्या यह दुनिया झूठ के दम पर चलती है

क्या सच बोलने की भी सजा मिलती है
क्यों कर सच को दुनिया हजम नहीं करती है
कहते हैं सच की हमेशा जीत होती है
क्योंकि दुनिया की यही रीत होती है
लेकिन सच की जीत में समय क्यों लगता है
इंसान तो तब तक अधमरा होने लगता है
ऐसे में इंसान सच से किनारा करने लगता है
और थाम लेता है उस झूठ का दामन
क्या झूठ के दामन में ही खुशियां होती हैं
क्या यह दुनिया झूठ के दम पर चलती है

3 टिप्पणियाँ:

संगीता पुरी सोम जून 28, 09:25:00 am 2010  

आज तो चतुर्दिक ऐसा ही दिख रहा है .. अच्‍छी अभिव्‍यक्ति !!

अन्तर सोहिल सोम जून 28, 10:30:00 am 2010  

बढिया रचना है
आभार

प्रणाम स्वीकार करें

शिवम् मिश्रा सोम जून 28, 12:43:00 pm 2010  

अब क्या कहें सच तो यही है जो आपने लिखा है !

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