क्या यह दुनिया झूठ के दम पर चलती है
क्या सच बोलने की भी सजा मिलती है
क्यों कर सच को दुनिया हजम नहीं करती है
कहते हैं सच की हमेशा जीत होती है
क्योंकि दुनिया की यही रीत होती है
लेकिन सच की जीत में समय क्यों लगता है
इंसान तो तब तक अधमरा होने लगता है
ऐसे में इंसान सच से किनारा करने लगता है
और थाम लेता है उस झूठ का दामन
क्या झूठ के दामन में ही खुशियां होती हैं
क्या यह दुनिया झूठ के दम पर चलती है
क्यों कर सच को दुनिया हजम नहीं करती है
कहते हैं सच की हमेशा जीत होती है
क्योंकि दुनिया की यही रीत होती है
लेकिन सच की जीत में समय क्यों लगता है
इंसान तो तब तक अधमरा होने लगता है
ऐसे में इंसान सच से किनारा करने लगता है
और थाम लेता है उस झूठ का दामन
क्या झूठ के दामन में ही खुशियां होती हैं
क्या यह दुनिया झूठ के दम पर चलती है
3 टिप्पणियाँ:
आज तो चतुर्दिक ऐसा ही दिख रहा है .. अच्छी अभिव्यक्ति !!
बढिया रचना है
आभार
प्रणाम स्वीकार करें
अब क्या कहें सच तो यही है जो आपने लिखा है !
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