15 साल बाद हम उतरे खेल के मैदान में
अचानक कल जब हम रविशंकर विवि के मैदान में साफ्टबॉल के चयन ट्रायल में गए तो वहां पर इस खेल को छत्तीसगढ़ में प्रारंभ करवाने वाले हमारे मित्र उपसंचालक (खेल) ओपी शर्मा के आग्रह पर हमें खेल के मैदान में उतरना पड़ा। करीब 15 साल बाद हम मैदान में उतरे थे। 1995 में हमारा सीधा हाथ फ्रेक्चर हो गया था, इसके बाद तो मानो हम खेलना ही भूल गए थे। कल मैदान में उतरे तो खेल का फिर से ऐसा चस्का लगा कि बार-बार खेलने की तमन्ना होने लगी और हमने साफ्टबॉल का बैट थामकर कई बॉलों पर निशाना लगाया, पहले पहल तो कुछ चूके, लेकिन इसके बाद लगातार बॉल निशाने पर आने लगी।
हमने सोचा नहीं था कि हमें इतने साल बाद फिर से किसी खेल के मैदान में उतरने का मौका मिलेगा। लेकिन हम शुक्रगुजार हैं अपने मित्र ओपी शर्मा के जिनके कारण हमको कल एक बार फिर से खेलने का मौका मिला। वैसे 15 साल पहले और इसके पहले स्कूल और कॉलेजों के दिनों में हमारे प्रिय खेलों में शतरंज, कैरम, बैडमिंटन, वालीबॉल, क्रिकेट और टेबल टेनिस थे। वैसे हमारी तमन्ना लॉन टेनिस में हाथ आजमाने की होती थी, लेकिन कभी मौका नहीं मिला। स्कूलों के दिनों में हम कबड्डी और खो-खो भी खूब खेले हैं। बहरहाल लंबे समय बाद खेल के मैदान में उतर कर बहुत ज्यादा ताजगी लगी। एक बार बैट चलाने के बाद लगातार इच्छा हो रही थी कि लंबे समय तक खेला जाए, लेकिन बच्चों का ट्रायल चल रहा था ऐसे में ज्यादा समय खेल पाना संभव नहीं था। ऐसे में हमने ओपी शर्मा के सामने एक सुझाव रखा कि जल्द ही खेल पत्रकारों और उनके संघ के बीच में एक मुकाबला साफ्टबॉल का करवाया जाए। यह खेल वास्तव में बहुत अच्छा है। कम से कम मैच फिक्सिंग जैसी गंदगी में फंस चुके क्रिकेट से तो लाख दर्जा बेहरत है। हारा सुझाव श्री शर्मा ने मान लिया है, अब बहुत जल्द असली मुकाबला होगा। इस मुकाबले से पहले हम सोच रहे हैं कि कुछ दिनों तक खेल का अभ्यास भी कर लिया जाए। मुकाबले से पहले जरूर समय निकाल कर ऐसा करने का प्रयास करेंगे। अंत में एक बार फिर से हम श्री शर्मा जी को धन्यवाद देना चाहते हैं कि जिनके कारण हमको इतने लंबे समय बाद खेलने का मौका मिला है। हमारे साथ हमारे कई साथी पत्रकारों और फोटोग्राफरों ने भी कल साफ्टबॉल में हाथ आजमाने का काम किया।
हमने सोचा नहीं था कि हमें इतने साल बाद फिर से किसी खेल के मैदान में उतरने का मौका मिलेगा। लेकिन हम शुक्रगुजार हैं अपने मित्र ओपी शर्मा के जिनके कारण हमको कल एक बार फिर से खेलने का मौका मिला। वैसे 15 साल पहले और इसके पहले स्कूल और कॉलेजों के दिनों में हमारे प्रिय खेलों में शतरंज, कैरम, बैडमिंटन, वालीबॉल, क्रिकेट और टेबल टेनिस थे। वैसे हमारी तमन्ना लॉन टेनिस में हाथ आजमाने की होती थी, लेकिन कभी मौका नहीं मिला। स्कूलों के दिनों में हम कबड्डी और खो-खो भी खूब खेले हैं। बहरहाल लंबे समय बाद खेल के मैदान में उतर कर बहुत ज्यादा ताजगी लगी। एक बार बैट चलाने के बाद लगातार इच्छा हो रही थी कि लंबे समय तक खेला जाए, लेकिन बच्चों का ट्रायल चल रहा था ऐसे में ज्यादा समय खेल पाना संभव नहीं था। ऐसे में हमने ओपी शर्मा के सामने एक सुझाव रखा कि जल्द ही खेल पत्रकारों और उनके संघ के बीच में एक मुकाबला साफ्टबॉल का करवाया जाए। यह खेल वास्तव में बहुत अच्छा है। कम से कम मैच फिक्सिंग जैसी गंदगी में फंस चुके क्रिकेट से तो लाख दर्जा बेहरत है। हारा सुझाव श्री शर्मा ने मान लिया है, अब बहुत जल्द असली मुकाबला होगा। इस मुकाबले से पहले हम सोच रहे हैं कि कुछ दिनों तक खेल का अभ्यास भी कर लिया जाए। मुकाबले से पहले जरूर समय निकाल कर ऐसा करने का प्रयास करेंगे। अंत में एक बार फिर से हम श्री शर्मा जी को धन्यवाद देना चाहते हैं कि जिनके कारण हमको इतने लंबे समय बाद खेलने का मौका मिला है। हमारे साथ हमारे कई साथी पत्रकारों और फोटोग्राफरों ने भी कल साफ्टबॉल में हाथ आजमाने का काम किया।
6 टिप्पणियाँ:
कमाल का एक्सन है, बधाई
कभी बास्केटबाल भी खेलने भिलाई आए राजकुमार जी।
मौका मिला तो जरूर भिलाई आकर बास्केटबाल भी खेलेंगे, वैसे यह भी हमारा मनपसंद खेल है। बास्केटबाल के लिहाज से हमारी लंबाई भी ठीक है।
अच्छा तो आप यहाँ भी कलाकारी करते है ,शुभकामनाएं .
मैच से पहले अपनी टीम को थोड़ी बहुत प्रेक्टिस ज़रूर करवा लीजिए वर्ना मैच के बाद एक दो दिन न्यूज बनाने में दिक्कत होगी :)
अरे वाह!
बधाई हो।
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