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शनिवार, अक्तूबर 30, 2010

मुख्यमंत्री की किट से मिली खेल को ऊंचाई

राज्य के सर्वोच्च खेल पुरस्कार गुंडाधूर के लिए चुने गए अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी मृणाल चौबे का कहना है कि उनके खेल को आज जो ऊंचाईंयों ङ्क्षमली हंै, वह सब मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा दी गई किट की बदौलत है। मृणाल याद करते हुए बताते हैं कि उनको मुख्यमंत्री के निर्देश पर पांच साल पहले खेल विभाग ने न्यूजीलैंड से गोलकीपर की अंतरराष्ट्रीय स्तर की किट मंगवा कर दी थी।
छत्तीसगढ़ के इस खिलाड़ी ने कहा कि उनको यकीन था कि उनको राज्य का गुंडाधूर पुरस्कार भी मिलेगा। वे कहते हैं कि मैं इस पुरस्कार के सारे नियमों पर ख्ररा उतरता हूं। वे पूछने पर बताते हैं कि वे छत्तीसगढ़ से ही लगातार खेले हैं। छत्तीसगढ़ से खेलने की वजह से ही मुङो पहले शहीद कौशल यादव, फिर शहीद राजीव पांडे और अब गुंडाधूर पुरस्कार मिला है। वे बताते हैं कि मैं गुंडाधूर पुरस्कार के लिए तय शर्त कि मैं छत्तीसगढ़ में पिछले तीन साल से अध्ययनरत हूं या नहीं पर भी खरा उतरता हूं। वे बताते हैं कि उनकी स्कूली शिक्षा जहां राजनांदगांव के युंगातर और रायल किट्स में हुई है, वहीं कॉलेज की पढ़ाई दिग्विजय सिंह कॉलेज राजनांदगांव से की है। वर्तमान में वे ग्लोबल ओपन विवि भिलाई से एमबीए कर रहे हैं।
मृणाल ने पूछने पर बताया कि वे आज जिस अंतरराष्ट्रीय मुकाम पर पहुुंचे हैं उसका सबसे बड़ा Ÿोय राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को जाता है। वे याद करते हुए बताते हैं कि आज से करीब पांच साल पहले मैं जब अपने पापा के साथ मुख्यमंत्री से मिला था, तो उन्होंने पूछा कि खेल में किसी तरह की कमी या परेशानी हो तो बताओ। मैंने उनको बताया था कि मेरे पास गोलकीपर की अंतरराष्ट्रीय किट नहीं है। उन्होंने इसके लिए तत्काल खेल विभाग को निर्देशित किया कि किट जल्द मंगवाई जाए। खेल विभाग ने एक माह के अंदर ही न्यूजीलैंड से किट मंगवा कर दी थी। मैं आज उसी किट की मदद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता पाने में सफल हो रहा हूं। उन्होंने पूछने पर बताया कि मैं हमेशा छत्तीसगढ़ के लिए खेला हूं। वे बताते हैं कि पिछले चार-पांच साल से ही राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी का आयोजन न होने से मैं नहीं खेल पा रहा हूं। गुंडाधूर पुरस्कार को लेकर विवाद के बारे में वे कहते हैं कि मैं तो बस इतना जानता हूं कि मैं इस पुरस्कार के लिए पात्र हूं इसलिए मुङो इसके लिए चुना गया है। कोई और दावा कर रहा है तो मैं इस बारे में क्या कह सकता हूं। लेकिन मैं इतना जरूर जानता हूं कि इसके लिए दावा करने वाली खिलाड़ी कभी छत्तीसगढ़ से नहीं खेली हैं।

2 टिप्पणियाँ:

ASHOK BAJAJ शनि अक्तू॰ 30, 08:04:00 am 2010  

बढ़िया जानकारी .हार्दिक शुभकामनाएं!

उम्मतें शनि अक्तू॰ 30, 10:33:00 am 2010  

ये भी बढ़िया रहा ! सभी खिलाडियों को ऐसे ही प्रोत्साहित किया जाये तो बेहतर होगा !

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