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गुरुवार, अक्टूबर 07, 2010

26 से 43 फिर 43 से 23

आप सोच रहे होंगे कि हम कोई पहेली तो नहीं बूझ रहे हैं। यह पहेली तो नहीं है, लेकिन पहेली से कम भी नहीं है। कल बहुत दिनों बाद जब चिट्ठा जगत की वापसी हुई तो इस वापसी में कुछ गड़बडिय़ों थीं, लेकन आज जब सुबह चिट्ठा जगत देखा तो संतुष्टि हुई कि गड़बडिय़ां ठीक हो गई हैं।
कल जब चिट्ठा जगत खुलने लगा तो हमने अपने ब्लाग को देखा तो मालूम हुआ कि हमारा ब्लाग अचानक 26वें नंबर से 43वें नंबर पर पहुंच गया था। हमारी ही नहीं कई ब्लागों की वरीयता सही नहीं लग रही थी। कारण साफ था कि पिछले चार-पांच दिनों से कुछ भी अपडेट नहीं था। हमने इस बात से संतोष किया कि कुछ भी हो चलो कम से कम चिट्ठा जगत की वापसी तो हो गई। वरना एक समय लग रहा था कि शायद यह भी ब्लागवाणी की तरह हमेशा के लिए बंद तो नहीं हो गया है। पर शुक्र है भगवान का कि ऐसा नहीं हुआ है।
आज जब हमने अपने ब्लाग राजतंत्र देखा तो मालूम हुआ कि यह कल की वरीयता 43 वें नंबर से सीधे 23 वें नंबर पर आ गया है। इसके बाद हमने इसके हवाले खोले तो मालूम हुआ कि पिछले जितने दिनों में हमारी पोस्ट की जहां भी चर्चा हुई है उन प्रविष्ठियों को शामिल कर लिया गया है जिसकी वजह से हमारी वरीयता फिर से ठीक हो गई है। इसके लिए हम चिट्ठा जगत का धन्यवाद करते हैं। हमें याद है कि हमारे साथ जब तीन-चार बार गड़बड़ी की गई तो हमने चिट्ठा जगत के बारे में लिखा था। अब जबकि चिट्ठा जगत ने हमारे साथ अच्छा किया है तो भी लिखना हमारा फर्ज बनता है। इसलिए यह पोस्ट लिख रहे हैं। एक बार फिर से चिट्ठा जगत के प्रबंधन को धन्यवाद देते हैं।

5 टिप्पणियाँ:

36solutions गुरु अक्टू॰ 07, 09:44:00 am 2010  

सही लिखा भईया, चिट्ठा जगत के प्रबंधन को धन्यवाद देना ही चाहिए इन्‍होंनें मेरे ब्‍लॉग को भी 29 वें नम्‍बर पर टांग दिया है।
हवाले की महिमा अपार है, हवाले बढ़ाओ, ब्‍लॉग चढ़ाओ।

'रंग बिरंगी ज्ञात-अज्ञात जुगाडू' व चर्चा हवालों के सहारे कई ब्‍लॉग उपर नम्‍बर की ओर बढ़ रहे हैं, कतिपय लोगों के अस्‍थाई जुगाड को सारा हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत देख रहा है किन्‍तु चुप है कानाफूसी चालू है। मेरे अनुसार से इस रेटिंग को बंद कर देनी चाहिए और छद्म के जगह स्‍वस्‍थ परंपरा को अपनाना चाहिए। चिट्ठाजगत के चालीसा में शामिल रहने से या टाप पोजीशन पाने से क्‍या 'भारत रत्‍न' मिल जावेगा।

36solutions गुरु अक्टू॰ 07, 09:45:00 am 2010  

.... बहरहाल ललित शर्मा जी आज सातवे आसमान पर चमक रहे हैं :)

गगन शर्मा, कुछ अलग सा गुरु अक्टू॰ 07, 10:55:00 am 2010  

सुबह का इधर-उधर चक्कर काटता, भटकता, सड़कें नाप-नूप कर अंतत: घर लौट आया। कल शुक्र है। :-)

Arshad Ali गुरु अक्टू॰ 07, 03:00:00 pm 2010  

sir jee apni chaheti BLOGVANI ka ilaz kaun se hospital me chal raha hay...

aakhir uski bimari kab tak thik hogi.
agar aapko jankari ho to mujhe bhi batlaiyega..

ब्लॉ.ललित शर्मा गुरु अक्टू॰ 07, 11:50:00 pm 2010  

@ संजीव तिवारी जी

मैं हां आसमान के भरोसा नई करंव,
काबर के आसमान हां साथ छोड़ देथे त धरतीच मा आए ला लागथे। तेखरे सेती मैं भूंईया ला नई छोड़े हंव।

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