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शुक्रवार, अक्तूबर 15, 2010

कामनवेल्थ जैसा बजट

छत्तीसगढ़ ओलंपिक के आयोजन का बजट कामनवेल्थ के बजट जैसा लगने लगा है। अकेले रायपुर जिले ने ही ३१ खेलों के लिए ४० लाख का प्रस्ताव बना दिया है। अगर रायपुर की तर्ज पर बाकी जिले भी बजट मांगेंगे तो जिले के आयोजन का ही बजट करीब सात करोड़ हो जाएगा। रायपुर का बजट इतना ज्यादा होने का कारण यह है कि  खेल संघ बहती गंगा में हाथ धोने की तैयारी में हैं। जिला स्तर पर खेल संघों की मांग का आलम ऐसा रहा कि जिला खेल विभाग को जिला स्तर के आयोजन के लिए ही ४० लाख का बजट मांगना पड़ रहा है। अब यह बात अलग है कि इतना बजट देने के लिए राज्य का खेल विभाग सहमत नहीं है। खेल सचिव सुब्रत साहू साफ कहते हैं कि कोई अपनी मर्जी से जितना चाहेगा उतना बजट मांगेगा तो उतना दे थोड़े देंगे।
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य में छत्तीसगढ़ ओलंपिक के नाम से खेलों का महाकुंभ करवाने की घोषणा क्या की है, सभी खेल संघों के पदाधिकारी इस महाकुंभ में कुंभ स्नान करने की तैयारी में जुट गए हैं। रायपुर जिले में आयोजन के लिए खेल संघों के पदाधिकारियों ने जिस तरह की मांग सामने रखी है, उससे खेल विभाग के अधिकारी हैरान हैं, लेकिन चूंकि मुख्यमंत्री की घोषणा का सवाल है ऐसे में कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता है और खेल संघों की सभी तरह की मांग को लेकर रायपुर जिले के लिए ३१ खेलों के लिए कुल ४० लाख का बजट बनाकर खेल विभाग को भेजा जा रहा है।
इनामी राशि के साथ निर्णायकों को भी चाहिए पैसे
रायपुर के आयोजन के लिए खेल संघों के पदाधिकारियों ने खिलाडिय़ों के लिए पूरी किट, आने-जाने का खर्च तो मांगा ही है, साथ ही प्रस्ताव रखा गया है कि हर खेल में पहला इनाम १५ हजार, दूसरा १० हजार और तीसरा इनाम पांच हजार रखा जाए। इसी के साथ निर्णायकों के लिए हर मैच के लिए पांच सौ रुपए की मांग रखी गई है।
राष्ट्रीय खेलों के बाहर वाले खेल भी शामिल
रायपुर के जिला खेल विभाग ने जिन ३१ खेलों का प्रस्ताव बनाकर भेजने की तैयारी की है, उन खेलों में  म्यूथाई, थांग-ता, कैरम, जंप रोप, टेनीक्वाइट, साफ्टबॉल रग्बी फुटबॉल सहित कई खेल ऐसे हैं जो राष्ट्रीय खेलों में शामिल नहीं हैं। इसके बाद भी इन खेलों के प्रस्ताव बनाकर भेजे जा रहे हैं। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि खेलमंत्री लता उसेंडी ने साफ कहा है कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक में राष्ट्रीय खेलों में शामिल ३४ खेलों को शामिल किया जाएगा। खेलमंत्री की इस बात के बाद भी खेल विभाग ने जिस तरह का प्रस्ताव बनाया है उससे साफ है कि जिला खेल विभाग को खेलमंत्री की बातों से कोई सरोकार नहीं है।
एक खेल पर सवा लाख का खर्च
रायपुर जिले ने जो बजट बनाया है उसके हिसाब से तो एक खेल के पीछे कम से कम सवा लाख का खर्च होना है। इतने खर्च की बात से खेलों के जानकार हैरान हंै। शेरा क्लब के मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं कि किसी भी खेल की राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए खेल विभाग खेल संघों को एक लाख का अनुदान देता है। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि जिला स्तर में एक खेल के आयोजन के लिए कैसे सवा लाख का बजट बनाया गया है। यहां यह भी बताना लाजिमी होगा कि पायका के लिए जिला स्तर के आयोजन के लिए एक खेल के लिए २० हजार का ही बजट रखा गया है।
खेल संघों की मांग से बढ़ा बजट
राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे कहते हैं कि खेल संघों ने जिस तरह की मांगे रखीं हैं उसी की वजह से बजट बढ़ा है। उन्होंने कहा कि हमारा काम है खेल संचालनालय को प्रस्ताव बनाकर भेजना जो हम कर रहे हैं अब इस प्रस्ताव पर निर्णय राज्य के खेल मंत्रालय को लेना है।
मनमाना बजट नहीं देंगे:खेल सचि
रायपुर जिले द्वारा मांगे गए ४० लाख के बजट पर खेल सचिव सुब्रत साहू कहते हैं कि कोई भी जिला अपनी मर्जी से कितना भी बजट मांगेगा तो उसे दे थोड़े देंगे। उन्होंने कहा कि इसका निर्णय शासन स्तर पर होगा कि किस जिले में कितने खेल होने हैं और उसको कितना बजट देना है।

3 टिप्पणियाँ:

honesty project democracy शुक्र अक्तू॰ 15, 08:46:00 am 2010  

खेल तो अब चरित्र तथा समाज मिर्माण की जगह सिर्फ पैसों के निर्माण का माध्यम बन गया है ..शर्मनाक हालत हैं और इसकी शुरुआत कोमनवेल्थ के बेशर्म आयोजकों ने बड़ी बेशर्मी से की है ...अब कोमनवेल्थ ख़त्म हो चूका है इसलिए देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को अब इस गेम के पीछे के बेशर्मी भरे भ्रष्टाचार के खेल की गंभीरता से जाँच करवानी चाहिए और देश के जनता के सामने भ्रष्टाचारियों और गद्दारों को सजा देनी चाहिए ...

उम्मतें शुक्र अक्तू॰ 15, 03:41:00 pm 2010  

आयोजनों से अपेक्षायें बधाई जाती हैं :)

उम्मतें शुक्र अक्तू॰ 15, 03:41:00 pm 2010  

आयोजनों से अपेक्षायें बधाई जाती हैं :)

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