ये जाति बनाई किसने पापा..
कल दिन भर अध्योया को लेकर बातें होती रहीं। हर टीवी चैनल पर बस एक ही बात हिन्दु और मुसलमानों की। ऐसे में अचानक हमारी 12 साल की बिटिया स्वप्निल से एक सवाल दागा कि पापा ये जाति बनाई किसने। अब हम इसका क्या जवाब देते।
उनसे फिर एक और सवाल दागा कि हम सब तो इंसान हैं फिर ये हिन्दु और मुसलमान की बातें क्यों?
इसी के साथ उसने यह भी कहा कि अगर अध्योया में मंदिर और मस्जिद एक साथ बन जाए तो क्या गलत है? ये सब बातें अदालत का फैसला आने के ठीक एक घंटे पहले हो रही थी। इसके बात जब फैसला आया तो यही आया कि मंदिर-मस्जिद एक साथ रहेंगे।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि हम सब इंसान के रूप में पैदा हुए हैं और जात-पात में बांटने का काम हम इंसान ही करते हैं।
स्वप्निल ने एक बात और यह भी कही कि मंदिर और मस्जिद बनाने को लेकर अगर विवाद है तो वहां स्कूल बना दिया जाए, स्कूल में तो हिन्दु, मुसलमान के साथ सभी धर्म के बच्चे पढऩे आते हैं। वास्तव में देखा जाए को बच्चों का दिमाग भी कितना चलता है। लेकिन इसका क्या किया जाए कि समाज में हिन्दु और मुसलमान की दीवार सत्ता में बैठे चंद लालची नेताओं ने कुछ ज्यादा ही बड़ी कर रखी है। अन्यथा अपने देश के हिन्दु और मुसलमान यह हमेशा दिखाते हैं कि उनमें कितना भाई-चारा है। कल के फैसले के बाद जिस तरह से अपना देश शांत रहा वह इस बात का सबूत है कि अध्योया के फैसले से आम जनता को ज्यादा सरोकार नहीं था। जनता खामोश थी, लेकिन नेता बिनावजह शांति की अपील किए जा रहे थे।
उनसे फिर एक और सवाल दागा कि हम सब तो इंसान हैं फिर ये हिन्दु और मुसलमान की बातें क्यों?
इसी के साथ उसने यह भी कहा कि अगर अध्योया में मंदिर और मस्जिद एक साथ बन जाए तो क्या गलत है? ये सब बातें अदालत का फैसला आने के ठीक एक घंटे पहले हो रही थी। इसके बात जब फैसला आया तो यही आया कि मंदिर-मस्जिद एक साथ रहेंगे।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि हम सब इंसान के रूप में पैदा हुए हैं और जात-पात में बांटने का काम हम इंसान ही करते हैं।
स्वप्निल ने एक बात और यह भी कही कि मंदिर और मस्जिद बनाने को लेकर अगर विवाद है तो वहां स्कूल बना दिया जाए, स्कूल में तो हिन्दु, मुसलमान के साथ सभी धर्म के बच्चे पढऩे आते हैं। वास्तव में देखा जाए को बच्चों का दिमाग भी कितना चलता है। लेकिन इसका क्या किया जाए कि समाज में हिन्दु और मुसलमान की दीवार सत्ता में बैठे चंद लालची नेताओं ने कुछ ज्यादा ही बड़ी कर रखी है। अन्यथा अपने देश के हिन्दु और मुसलमान यह हमेशा दिखाते हैं कि उनमें कितना भाई-चारा है। कल के फैसले के बाद जिस तरह से अपना देश शांत रहा वह इस बात का सबूत है कि अध्योया के फैसले से आम जनता को ज्यादा सरोकार नहीं था। जनता खामोश थी, लेकिन नेता बिनावजह शांति की अपील किए जा रहे थे।
4 टिप्पणियाँ:
सौ टके का सवाल है- कोई तो जवाब दो बच्ची को
जवाब नेताऔ से पूछा जाए
12 वर्ष की बच्ची जितना समझ सकती है .. उतना बडे बडे नेता नहीं समझते .. या समझना नहीं चाहते !!
जब आप उसे बता दें तो मुझे भी बताइयेगा :)
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