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मंगलवार, अक्तूबर 12, 2010

ग्रामीण खेल में फिर शहरी खिलाड़ी

सरकार ने ग्रामीण खिलाडिय़ों के लिए पायका योजना बनाई है। पहले यह योजना ग्रामीण खेलों के नाम से चलती थी। इस योजना में विकासखंड स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक  होने वाली स्पर्धाओं में ग्रामीण खिलाडिय़ों को ही रखा जाना है। लेकिन अपने राज्य में लगातार यह बात सामने आ रही है कि ग्रामीण के स्थान पर शहरी खिलाडिय़ों को टीम में रख लिया जाता है। ताजा उदाहरण छुरा में खेली गई रायपुर जिले की स्पर्धा में सामने आया है। यहां पर खेली गई छह खेलों की स्पर्धा में से वालीबॉल में रायपुर के खिलाडिय़ों के खेले जाने की शिकायत बकायदा राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे से की गई है। शिकायत करने वालों ने हरिभूमि को बताया कि जब खेल अधिकारी से शिकायत की गई तो उन्होंने कहा कि अगर एक-दो प्रतिशत शहरी खिलाड़ी होंगे तो उनका आगे राज्य स्पर्धा के लिए चयन नहीं किया जाएगा।
इस संबंध में सपंर्क करने पर श्री डेकाटे ने बताया कि उनके पास शिकायत आई है आौर वे इस मामले में देख रहे हैं कि क्या वास्तव में कोई शहरी खिलाड़ी खेला है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि गांव में रहने का प्रमाणपत्र बनवाकर कोई खिलाड़ी खेलने में सफल हो गया हो। उन्होंने कहा कि सच्चाई जानने के बाद ऐसे किसी खिलाड़ी का चयन आगे नहीं किया जाएगा। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि अक्सर शहरी खिलाड़ी आस-पास के किसी गांव में रहने का प्रमाणपत्र वहां के सरपंच से बनवा लेते हैं और इसी आधार पर खेलने में सफल हो जाते हैं। ऐसे खिलाडिय़ों के बारे में सभी जानते हैं लेकिन अपनी टीम को जीत दिलाने के लिए सभी चुप रहते हैं।
शिकायत मिली तो जांच करेंगे
इस संबंध में खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि पायका में किसी भी कीमत में शहरी खिलाडिय़ों को खेलने की मनाही है। अगर रायपुर की जिला स्पर्धा में शहरी खिलाड़ी खेले हैं और इसकी शिकायत उन तक आती है तो इसकी जांच करवाने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

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