नक्सली नहीं तो ग्रामीणों को ही मारा डालो
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर तक आ पहुंचे नक्सली आतंक से निपटने में तो अपने राज्य की पुलिस में दम नहीं है। ऐसे में पुलिस वाले वाह-वाही लूटने के लिए ग्रामीणों को ही निशाना बनाने का काम कर रहे हैं। अब महासुमन्द क्षेत्र की ही बात सामने आई है कि वहां पर दो ग्रामीण को पुलिस ने नक्सली बताते हुए गोलियों से भून डाला। वाह रे अपनी पुलिस। अगर इतना ही दम है तो क्यों नहीं रोक पा रहे हैं नक्सली आतंक को। हमारी पुलिस बस योजना ही बनाते रहेगी और एक दिन वह भी आ जाएगा, जब नक्सली रायपुर में भी वारदात करके निकल जाएंगे और पुलिस सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने का काम करती रहेगी।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पर बरसों से नजरें लगाए बैठे नक्सलियों ने मंसूबे लगता है अब पूरे होने वाले हैं। नक्सली अब रायपुर से लगे महासुमन्द जिले में आ धमके हैं। महासमुन्द राजधानी से महज 55 किलो मीटर की दूरी पर है। नक्सली महासमुन्द जिले तक आ पहुंचे हैं वो इस बात का प्रतीक है अपने राज्य की खुफिया पुलिस का तंत्र कितना कमजोर है। इस कमजोर तंत्र की जब पोल खुल गई है तो पुलिस इतनी ज्यादा बदहवास हो गई है कि उसने नक्सलियों की आड़ में महासमुन्द जिले के लेडग़ीडीपा में दो ग्रामीणों को ही नक्सली बताते हुए गोलियों से भून दिया।
शनिवार को महासमुन्द क्षेत्र में घुसी नक्लसियों की टोली से पुलिस की भिडं़त हुई। इस भिड़ंत में पुलिस के हाथ सफलता तो जरूर लगी, लेकिन इस सफलता के साथ एक बार फिर से एक बड़ा दाग यह लगा कि एसटीएफ के जवानों ने गांव के गौतम पटेल और उनके नौकर कोंदा को मार डाला। पुलिस ने इनको नक्सली करार देता हुए मार गिराया। जबकि हकीकत यह है कि इनका नक्सलियों से कोई लेना-देना नहीं है। एसटीएफ के जवानों के सामने गौतम पटेल के परिवार वाले फरियाद करते रहे कि वे नक्सली नहीं हैं, लेकिन इनकी एक नहीं सुनी गई और इनको गोलियों से भून दिया गया। बाद में पुलिस को जब यह लगा कि मामला खुलने वाला है तो यह बताया कि इनको नक्सलियों से मार दिया है। यह एक घटना नहीं है। ऐसा कई घटनाएं नक्सली प्रभावित क्षेत्र में होती रहती हैं। जब भी पुलिस नक्सलियों से निपटने में कामयाब नहीं होती है, वह बेगुनाह ग्रामीणों को निशाना बनाना का काम करती है।
इधर जिस तरह से नक्सलियों के कदम राजधानी के करीब आ गए हैं, उससे यह तय है कि अगर अब भी राज्य की पुलिस और अपना खुफिया तंत्र सही तरीके से काम नहीं करेगा तो राजधानी में किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पर बरसों से नजरें लगाए बैठे नक्सलियों ने मंसूबे लगता है अब पूरे होने वाले हैं। नक्सली अब रायपुर से लगे महासुमन्द जिले में आ धमके हैं। महासमुन्द राजधानी से महज 55 किलो मीटर की दूरी पर है। नक्सली महासमुन्द जिले तक आ पहुंचे हैं वो इस बात का प्रतीक है अपने राज्य की खुफिया पुलिस का तंत्र कितना कमजोर है। इस कमजोर तंत्र की जब पोल खुल गई है तो पुलिस इतनी ज्यादा बदहवास हो गई है कि उसने नक्सलियों की आड़ में महासमुन्द जिले के लेडग़ीडीपा में दो ग्रामीणों को ही नक्सली बताते हुए गोलियों से भून दिया।
शनिवार को महासमुन्द क्षेत्र में घुसी नक्लसियों की टोली से पुलिस की भिडं़त हुई। इस भिड़ंत में पुलिस के हाथ सफलता तो जरूर लगी, लेकिन इस सफलता के साथ एक बार फिर से एक बड़ा दाग यह लगा कि एसटीएफ के जवानों ने गांव के गौतम पटेल और उनके नौकर कोंदा को मार डाला। पुलिस ने इनको नक्सली करार देता हुए मार गिराया। जबकि हकीकत यह है कि इनका नक्सलियों से कोई लेना-देना नहीं है। एसटीएफ के जवानों के सामने गौतम पटेल के परिवार वाले फरियाद करते रहे कि वे नक्सली नहीं हैं, लेकिन इनकी एक नहीं सुनी गई और इनको गोलियों से भून दिया गया। बाद में पुलिस को जब यह लगा कि मामला खुलने वाला है तो यह बताया कि इनको नक्सलियों से मार दिया है। यह एक घटना नहीं है। ऐसा कई घटनाएं नक्सली प्रभावित क्षेत्र में होती रहती हैं। जब भी पुलिस नक्सलियों से निपटने में कामयाब नहीं होती है, वह बेगुनाह ग्रामीणों को निशाना बनाना का काम करती है।
इधर जिस तरह से नक्सलियों के कदम राजधानी के करीब आ गए हैं, उससे यह तय है कि अगर अब भी राज्य की पुलिस और अपना खुफिया तंत्र सही तरीके से काम नहीं करेगा तो राजधानी में किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।
3 टिप्पणियाँ:
कहावत है - मुंग के साथ घून भी पिस जाता है यही यहाँ हुआ लगता है |
shabash yahi tevar chahiye
हालात चिंताजनक हैं !
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