राजनीति के साथ हर विषय पर लेख पढने को मिलेंगे....

गुरुवार, जून 30, 2011

बस्तर बालाएं अब फुटबॉल की ओर

बस्तर बालाओं को मैराथन के बाद अब नए-नए खेलों से जोड़ने की मुहिम में रुकमणी सेवा आश्रम जुटा है। पहले कदम पर फुटबॉल से खिलाड़ियों को जोड़ा गया है। दो बालिका खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेलने में सफल भी हो गर्इं हैं। एक खिलाड़ी जमुना कोयाम जहां पर चार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलीं हैं, वहीं मैराथन धावक दशरी कश्यप एक बार राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं हैं।
राज्य मैराथन में कई बरसों से दबदबा बनाए रखने वाले रुकमणी सेवा आश्रम की बालिका खिलाड़ियों को अब आश्रम के अध्यक्ष पद्मश्री धर्मपाल सैनी दूसरे खेलों की तरफ मोड़ने में जुटे हैं। वे बताते हैं कि हमारे आश्रम की खिलाड़ियों में इतनी प्रतिभा है कि उनको जिस खेल का प्रशिक्षण मिल जाता है, उस खेल में कमाल करती हैं। आश्रम की दो बालिकाओं के बारे में उन्होंने बताया कि इनको फुटबॉल से जोड़ा गया है। आश्रम में फुटबॉल का प्रशिक्षण प्रारंभ कराने के बाद यहां की दो खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेलने में सफल हुईं हैं। एक खिलाड़ी जमुना कोयाम चार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलीं हैं। जमुना पूछने पर बताती हैं कि उनको पहली बार 2009 में गोवा में खेली गई राष्ट्रीय स्कूली स्पर्धा की अंडर 14 में खेलने का मौका मिला। इसके बाद 2010 में नैनीताल की राष्ट्रीय स्पर्धा में खेली। पिछले साल दो राष्ट्रीय स्पर्धाओं और 2011 में एक राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने का मौका मिला। जमुना कहती हैं कि मैराथन के बाद उनको इस खेल में भी मजा आने लगा है। वह पूछने पर कहती हैं कि उनका इरादा मैराथन के साथ फुटबॉल भी खेलने का है। जमुना ने बताया कि उनके आश्रम में रुपक मुखर्जी फुटबॉल का प्रशिक्षण देते हैं। एक और खिलाड़ी दशरी कश्यम भी फुटबॉल खेल रहीं हैं। वह बताती हैं कि उनको एक बार 2010 में नैनीताल की राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने का मौका मिला है। इन खिलाड़ियों को इस बात का मलाल है कि छत्तीसगढ़ की टीम पदक तक नहीं पहुंच पाती हैं। इनका कहना है कि हम आदिवासी खिलाड़ियों की तमन्ना है कि हम प्रदेश की टीम में स्थान बनाकर राज्य के लिए पदक जीतने का काम करें।
धर्मपाल सैनी बताते हैं कि फुटबॉल के बाद आश्रम में हैंडबॉल, थ्रोबॉल, क्रिकेट, बास्केटबॉल का भी प्रशिक्षण प्रारंभ करने की योजना है। जिन भी खेलों के प्रशिक्षक मिलेंगे उन खेलों में बालिका खिलाड़ियों को राज्य के लिए तैयार किया जाएगा। वे कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में ज्यादा से ज्यादा खेलों में आश्रम की खिलाड़ी खेल सकें यही हमारा प्रयास रहेगा।

Read more...

बुधवार, जून 29, 2011

स्कूली खिलाड़ियों को अब 70 रुपए का खाना मिलेगा

रायपुर जोन के स्कूली खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए खाने की राशि अब 60 रुपए से बढ़ाकर 70 रुपए कर दी गई है। रायपुर में जिला स्तर के साथ जोन स्तर की स्पर्धाओं का कैलेंडर भी तय कर दिया गया है। आयोजन पर करीब 35 लाख के खर्च का प्रस्ताव रखा गया है।
रायपुर जोन से खेल शिक्षकों की बैठक जिला शिक्षा अधिकारी आर. बाम्बरा की अध्यक्षता में बालाजी स्कूल में हुई। इस बैठक में सबसे अहम फैसला यह किया गया कि महंगाई को देखते हुए खिलाड़ियों ंके खाने का भत्ता 60 से 70 रुपए किया गया। बैठक में मुख्य रुप से जिला और क्षेत्रीय स्पर्धाओं के आयोजनों पर चर्चा की गई और कुछ स्पर्धाओं के स्थानों में बदलाव करके खेल कैलेंडर को अंतिम रूप दिया गया।
पैसा कहां से आएगा, कहां खर्च होगा
बैठक में बताया गया कि रायपुर जोन के आयोजन के साथ जोन की टीमों को राज्य स्पर्धाओं में भेजने पर 34 लाख 60 हजार रुपए की राशि खर्च होगी। राशि के आय के बारे में जानकारी दी गई कि से क्रीड़ाअंश दान के रूप में सबसे ज्यादा रायपुर जिले के स्कूलों से 45 प्रतिशत राशि के रूप में 20 लाख, महासमुन्द जिले से दो लाख 55 हजार, धमतरी से एक लाख पचास हजार, बलौदाबाजार से दो लाख की राशि मिलेगी। लोक शिक्षण विभाग से क्षेत्रीय दल को राज्य स्तरीय स्पर्धा में भेजने के लिए सात लाख की आबंटन मिलेगा। पिछली बकाया राशि दो लाख 21 हजार 130 रुपए 45 पैसे हैं। खर्च के बारे में बताया गया कि क्षेत्रीय दल के गणवेश पर 9 लाख 50 हजार, राज्य स्पर्धा में टीमों को भेजने पर 15 लाख रुपए, जिलों की टीमों को क्षेत्रीय स्पर्धाओं में भेजने पर 6 लाख पचास हजार रुपए, जिला और क्षेत्रीय आयोजनों पर एक लाख, खेल सामान एक लाख, स्टेशनरी 60 हजार, आकस्मिक व्यय एक लाख रुपए खर्च होगा। कुल 34 लाख 60 हजार की राशि खर्च होगी।
कहां कौन सा खेल होगा
जिला स्पर्धाओं का आगाज 4 जुलाई से होगा। सबसे पहले मठपुरैना में शतरंज अंडर 14, 17, 19 का आयोजन 4 से 6 जुलाई को होगा। क्षेत्रीय स्पर्धा 7 से 9 जुलाई को। फुटबॉल 17 साल बैकुंठ में 5 से 6 जुलाई, क्षेत्रीय 8 और 9 जुलाई। जूडो बालाजी स्कूल रायपुर में 4 से 6 जुलाई, क्षेत्रीय 8 से 9 जुलाई। थ्रोबाल तीनों वर्ग 5-6 जुलाई केपीएस, क्षेत्रीय 8 से 9 जुलाई। वालीबॉल तीन वर्ग 5-6 गरियाबंद, क्षेत्रीय 7 से 9 महासमुन्द, ताइक्वांडो तीन वर्ग 11-12 जुलाई मठपुरैना, क्षेत्रीय 13-14 जुलाई। खो-खो तीनों वर्ग 11-13 जुलाई गरियाबंद, क्षेत्रीय 14-16 जुलाई। टेनीक्वाइट 19 बालक-बालिका 11-12 चौबे कालोनी स्कूल रायपुर, क्षेत्रीय 13-14 जुलाई। सुब्रतो कप फुटबॉल  14, 17 साल 15-16 जुलाई, बैकुंठ, 18-19 जुलाई। बैडमिंटन तीनों वर्गा में 15-16 जुलाई, आदर्श, क्षेत्रीय 18-19 जुलाई। हैंडबॉल 15-16 आरंग, क्षेत्रीय 18-20 महासमुन्द। बेसबाल 15-16 जुलाई चौबे कालोनी, क्षेत्रीय 18-19 जुलाई। नेटबॉल 15-16 जुलाई, सेंचुरी सीमेंट, क्षेत्रीय 18-19 जुलाई। नेहरू हॉकी 21-22 गरियाबंद, क्षेत्रीय 25-26 जुलाई। कबड्डी 21-23 जुलाई सिलयारी, क्षेत्रीय 25-27 बलौदाबाजार। बास्केटबॉल 27-28 बालाजी स्कूल, क्षेत्रीय 29-30 जुलाई। सायकल पोलो 27-28 जुलाई रायपुर, क्षेत्रीय 29-30 महासमुन्द। तीरंदाजी 27-28 जुलाई, राजकुमार कॉलेज, क्षेत्रीय 29-30 जुलाई। भारोत्तोलन 27-28 जुलाई बीरगांव, क्षेत्रीय 29-30 जुलाई। कुश्ती 1-2 अगस्त उपरवारा, क्षेत्रीय 4-5 अगस्त। क्रिकेट 1-2 अगस्त महावीर विद्यालय रायपुर। क्षेत्रीय 4-5 अगस्त महासमुन्द। हॉकी 8-9 अगस्त राजकुमार कॉलेज, 10-11 अगस्त महासमुन्द। लॉन टेनिस 8-9 अगस्त चौबे कालोनी, क्षेत्रीय 10-11 अगस्त, टेबल टेनिस 8-9 अगस्त सप्रे स्कूल, क्षेत्रीय 10-11अगस्त। जंप रोप 16-17 अगस्त द्रोणाचार्य स्कूल, क्षेत्रीय 18-19 अगस्त। जरुरत पड़ने पर इस कैलेंडर में बदलाव भी किया जा सकता है।

Read more...

मंगलवार, जून 28, 2011

कारगिल के मोर्चे पर जाना चाहते थे रफीक

कारगिल युद्ध के समय एक बार देश की सेवा करने का मौका हाथ लगा था। मैंने वहां जाने के लिए रायपुर के जिलाधीश को पत्र भी दिया, लेकिन अफसोस की मुझे यह सौभाग्य नहीं मिल सका। मेरा ऐसा मानना है कि देश के हर नागरिक में देश प्रेम का जज्बा होना चाहिए, और किसी न किसी रूप मे देश की सेवा करनी चाहिए। वैसे मैं एक एथलीट के रूप में देश की सेवा करने का काम बरसों से कर रहा हूं।
ये विचार रखते हैं, 77 साल के एथलीट मो. रफीक शाद। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में खेल शिक्षक के रूप में 1995 तक सेवाएं देने के बाद जब वे रिटायर हुए तो भी उसमें देश के लिए लगातार कुछ न कुछ करने के अरमान थे। जब 1999 में भारत-पाक में कारगिल युद्ध हुआ और पूरे देश में यह अपील की गई जो भी नागरिक अपनी सेवाएं युद्ध के मोर्चे पर देना चाहते हैं वे दे सकते हैं, तो मो. रफीक ने भी रायपुर के जिलाधीश एमके राउत को 11 जून 1999 को एक पत्र लिखकर कारगिल जाने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन यह श्री रफीक का दुर्भाग्य था कि उनको वहां जाने का मौका नहीं मिला। वे बताते हैं देश प्रेम का पाठ तो उन्होंने बचपन से अपने घर में पढ़ा है। हमारे घर में सभी क्रांतिकारी विचारधारा के लोग थे। मेरी बहन देश के आजाद होने से पहले दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अखबार खातुन मसरीख में लिखा करती थीं। देश के आजाद होने से पहले के रायपुर को याद करते हुए वे बताते हैं कि मुझे याद है उस समय मैं मुश्किल से 9-10 साल का था, वह विश्व युद्ध का वक्त था, मोतीबाग के आस-पास ज्यादा आबादी नहीं थी, वहां पर जहां बड़े-बड़े गड्ढे खोद दिए गए थे, वहीं बड़े-बडे नाले बनाए गए थे। यह सब बमबारी से बचने के लिए किया गया था। उन दिनों बहुत ज्यादा दहशत का माहौल रहता था। मुझे आज भी याद है जब देश आजाद हुआ था तो अपने शहर में भी आजादी का जश्न जोर-शोर से मना था।आजादी के बाद को याद करते हुए मो. रफीक बताते हैं कि उनकी बहन का निकाह पाकिस्तान में हो हुआ था, वह करांची में शिक्षिका थीं, पत्रकारिता तब भी उन्होंने नहीं छोड़ी थी। पाक सरकार के खिलाफ बोलने का मौका वह चूकती नहीं थीं। सरकार के खिलाफ बोलने के कारण ही उनको अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी।
अपने खेल जीवन के बारे में मो. रफीक बताते हैं कि यूं तो बचपन से ही खेलों से नाता रहा है। बैजनाथपारा में बचपन बीता है। वहां पर उस समय फुटबॉल और हॉकी का ही दौर चलता था। मैंने भी हॉकी खूब खेली। एक बार 1954 में नागपुर में हुई राष्ट्रीय हॉकी में मप्र की तरफ से खेलने का मौका मिला। हॉकी के बाद एथलेटिक्स से नाता जोड़ा। इस खेल में वेटरन  वर्ग में मुझे ज्यादा सफलता मिली है। 1980 से एक एथलीट के रूप में खेल रहा हूं। अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एशियन मास्टर्स चैंपियनशिप को मिलाकर करीब 77 पदक जीते हैं। इस साल 2011 में मलेशिया में मास्टर एशियन चैंपियनशिप में खेलकर आया हूं। वहां 100 और 200 मीटर में दौड़ा, किस्मत ने साथ नहीं दिया और मैं पदक से चूक गया। मुझे चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। मो. रफीक बताते हैं कि उन्होंने 1984 में 200 मीटर में 24 सेकेंड का जो रिकॉर्ड बनाया था, वह अब तक कायम है।
श्री रफीक को इस बात का मलाल है कि अपने राज्य में सिंथेटिक ट्रेक नहीं है। वे कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में प्रदेश के खिलाड़ियों को पदकों तक पहुंचाना है तो पहले सिंथेटिक ट्रेक बनाए और ज्यादा से ज्यादा स्पर्धाओं का आयोजन करें। 1969 में पटियाला से एनआईएस कोर्स करने वाले श्री रफीक अपने राज्य के खिलाड़ियों को तैयार करना चाहते हैं। वे कहते हैं कि सरकार उनको मौका दे तो वे राज्य के लिए पदक विजेता खिलाड़ी तैयार कर सकते हैं। खेलों में उनकी उपलब्धि को देखते हुए प्रदेश सरकार ने उनको 2007 में खेल विभूति सम्मान से नवाजा है।

Read more...

सोमवार, जून 27, 2011

पदकवीरों पर बरसते हैं पैसे

हमारे राज्य उप्र में टीम खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों पर सरकार पैसों की बारिश करती है। उप्र में स्टार खिलाड़ियों को रोजगार भी आसानी से मिल जाता है।
यह कहना है उप्र के राष्ट्रीय वालीबॉल खिलाड़ी अभिनव तिवारी का। साई सेंटर रायपुर में अपनी लंबाई के कारण चुने गए इस खिलाड़ी ने बताया कि उप्र में टीम खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी वर्ग में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को पैसे दिए जाते हैं। वे बताते हैं कि सब जूनियर, जूनियर, यूथ या फिर सीनियर वर्ग में स्वर्ण विजेता टीम के हर खिलाड़ी को 50-50 हजार, रजत विजेताओं को 35-35 हजार और कांस्य विजेताओं को 25-25 की राशि दी जाती है। व्यक्तिगत खेलों के बारे में श्री तिवारी को जानकारी नहीं है, लेकिन वे कहते हैं कि टीम खेलों की तरह व्यक्तिगत खेलों में भी सरकार खिलाड़ियों को बहुत पैसे देते है। सुविधाओं के बारे में पूछे जाने पर वे कहते हैं कि मैदानों की कमी नहीं है और सरकार खिलाड़ियों को हर तरह की सुविधा देने का काम करती है। रोजगार के बारे में वे कहते हैं कि स्टार खिलाड़ियों के लिए उप्र में रोजगार की कोई कमी नहीं है। वे बताते हैं कि उप्र पुलिस के साथ रेलवे और अन्य संस्थानों में खिलाड़ियों को आसानी से नौकरी मिल जाती है। श्री तिवारी की मानना है कि देश के हर राज्य में हर खेल में कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाली टीम के खिलाड़ियों को नकद राशि देनी चाहिए। खिलाड़ियों को वैसे भी पैसे नहीं मिल पाते हैं, ऐसे में अगर हर खेल में पैसे मिलने लगेंगे तो हर खेल में ज्यादा से ज्यादा अच्छे खिलाड़ी निकलने की संभावना रहेगी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि 2009-10 में राष्ट्रीय ग्रामीण खेलों में उप्र की टीम से खेले थे तो टीम तीसरे स्थान पर रही थी। पूछने पर श्री तिवारी कहते हैं कि अब वे रायपुर के साई सेंटर में हैं तो छत्तीसगढ़ के लिए खेलेंगे।


Read more...

रविवार, जून 26, 2011

ममता से सबक लें दूसरे राज्य

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने राज्य की जनता को राहत देते हुए राज्य में रसोई गैस से सेस हटाकर 16 रुपए की राहत देने का जो काम किया है, वैसा ही काम दूसरे राज्यों की सरकारों का करना चाहिए। राज्य सरकारें चाहें तो मंहगाई पर लगाम लगाने का काम कर सकती हैं, लेकिन कोई सरकार ऐसा करने वाली नहीं है। अगर ये सरकारें ऐसा करेंगी तो इनको विपक्ष को कोसने का मौका कैसे मिलेगा। खासकर जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, वहां तो यह उम्मीद ही करना बेमानी होगा कि ये सरकारें ममता बनर्जी जैसा काम कर सकती हैं। ममता को रसोई गैस के साथ पेट्रोल और डीजल के लिए भी ऐसी ममता दिखानी चाहिए और दूसरे राज्यों को ममता से सबक लेते हुए आम जनता को राहत देने का काम करना चाहिए। अपने राज्य छत्तीसगढ़ में पेट्रोल पर वेट बहुत ज्यादा है। अगर इसमें कुछ प्रतिशत की ही कटौती कर दी जाए तो आम जनता को राहत मिल सकती है, लेकिन रमन सरकार ऐसा करेगी लगता नहीं है।

Read more...

शनिवार, जून 25, 2011

पदक जीतने की योजना ही नहीं बनती

भारत को ओलंपिक के भारोत्तोलन में एक मात्र पदक दिलाने वाली महिला खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी का कहना है कि देश में ओलंपिक में पदक जीतने की योजना ही नहीं बनती है। अपने देश में ओलंपिक से एक माह पहले ही सरकार और खेल संघ नींद से जागते हैं। सरकार तो पुराने खिलाड़ियों को मदद ही नहीं लेना चाहती है, वह तो बस विदेशी प्रशिक्षकों पर खर्च करना जानती है। 
मल्लेश्वरी ने कहा कि ओलंपिक में छोटे-छोटे देश 25-30 पदक जीत लेते हैं, लेकिन भारत के हाथ पदक नहीं लगते हैं। इसका कारण वह बताते हुए कहती हैं कि अपने देश में ओलंपिक में पदक जीतने की योजना ही नहीं बनती है। विदेशों में एक ओलंपिक के समाप्त होने से काफी पहले ही दूसरे ही नहीं तीसरे ओलंपिक में पदक जीतने की योजना बन जाती है।
मल्लेश्वरी कहती हैं कि सरकार कुछ खेलों में विदेशी कोच बुलाती हैं उनको 300 से 500 डॉलर रोज दिए जाते हैं। यह अच्छी बात है, लेकिन अपने देश में भी ऐसे खिलाड़ी हैं जिनकी सेवाएं लेकर पदकों तक पहुंचा जा सकता है। वह कहती हैं कि विदेश में भी ओलंपियनों को ही खिलाड़ी तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाती है, लेकिन अपने देश में सरकार खिलाड़ियों को इस लायक समझती ही नहीं है।
अपने दम पर जीते हैं पदक
मल्लेश्वरी का कहना है कि भारत के लिए पदक जीतने वाले लिएंडर पेस, अभिनव बिन्द्रा, विजेन्द्र सिंह और सुशील कुमार सभी   ने अपने दम पर पदक जीते हैं। खिलाड़ी में पदक जीतने का जुनून होना चाहिए। वह बताती हैं कि सुशील कुमार को उन्होंने ओलंपिक में दिन-रात मेहनत करते देखा है। सुशील कभी खाली नहीं बैठते थे। वह कहती हैं कि जिस खिलाड़ी में पदक की भूख होती है, वह चाहे तपती धूप हो, या बारिश वह मैदान में जरूर जाएगा। मल्लेश्वरी को इस बात का अफसोस है कि आज के खिलाड़ी शार्टकट से सफलता पाने के लिए डग्स का सहारा लेने लगे हैं।
क्रिकेट को दोष देना गलत
मल्लेश्वरी कहती हैं कि दूसरे खेलों के खिलाड़ी और खेल संघों के लोग सीधे क्रिकेट को दोष देते हैं। क्रिकेट को दोष देना गलत है। क्रिकेट संघ ने योजना बनाकर सफलता प्राप्त की, क्यों कर दूसरे खेलों के संघ ऐसी योजना नहीं बनाते हैं। उन्होंने कहा कि आज यह जरूरी है कि किसी भी खेल संघ में अध्यक्ष किसी उद्योगपति को बनाया जाए। सचिव खेलों से जुड़ा होना चाहिए। खेलों में निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी है। मल्लेश्वरी कहती हंै कि निचले स्तर से खेलों को उठाने की जरुरत है। आज स्कूली खेलों का हाल बुरा है।
कोई दिल्ली अभ्यास करने जाएगा क्या 
मल्लेश्वरी कहती हैं कि छत्तीसगढ़ में अगर एथलेटिक्स का एक भी सिंथेटिक ट्रेक नहीं है तो क्या यहां का खिलाड़ी दिल्ली जाकर अभ्यास करेगा। यह एक छत्तीसगढ़ की बात नहीं है, ऐसी स्थिति आज देश से हर राज्य में है। राज्यों में खेलों की सुविधाएं नहीं है और हम पदकों की बात करते हैं।

Read more...

शुक्रवार, जून 24, 2011

बस्तर बालाओं ने दिखाया दम

राज्यपाल शेखर दत्त के हरी झंडी दिखाते साथ ही ओलंपिक दौड़ प्रारंभ हुई और जब धावक शहीद भगत सिंह चौक से जयस्तंभ चौक का चक्कर लगाने के बाद वापस फिनिश लाइन में पहुंचे तो इनामों की बारिश बस्तर बालाओं पर हुई। इस ओलंपिक दौड़ में बस्तर बालाओं ने दम दिखाते हुए जूनियर और सीनियर वर्ग में कुल 13 इनाम अपने नाम कर लिए। दौड़ में 800 से ज्यादा प्रतियोगियों ने भाग लिया। दौड़ प्रारंभ होने के साथ समापन अवसर पर फिल्म स्टार रवीना टंडन के साथ ओलंपियन कर्णम मल्लेश्वरी मंच पर उपस्थित रहीं।
शहीद भगत सिंह चौक पर सुबह सात बजे से ही खिलाड़ी जुट गए थे। जहां तक नजरें जा रही थीं, खिलाड़ी ही खिलाड़ी नजर आ रहे थे। मंच पर खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाते हुए अतिथि खड़े थे। अतिथियों में सबसे पहले विधानसभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक आए। इसके बाद अतिथि आते गए। कर्णम मल्लेश्वरी को मंच पर देखकर खिलाड़ी उत्साहित हो गए। इसके बाद जब मंच पर मस्त-मस्त गर्ल रवीना टंडन का आगमन हुआ तो खिलाड़ियों के साथ सारे लोग और ज्यादा उत्साहित हो गए। राज्यपाल शेखर दत्त का आगमन 8 बजे हुआ, इसके बाद अतिथियों के सम्मान के बाद 8.30 बजे राज्यपाल ने हरीझंडी दिखाकर सबसे पहले जूनियर धावकों को रवाना किया। धावकों के आगे-आगे पुलिस जीप के साथ बाइक में पायलेटिंग करते खिलाड़ी जा रहे थे। शहीद भगत सिंह चौक से लेकर जयस्तंभ तक जाने और वहां से वापस आने के बीच रास्ते में पुलिस वालों से हर चौक- चौराहे पर यातायात को रोके रखा था। शहर के नागरिक भी उत्सुकता से धावकों को देख रहे थे। बैटन रिले के बाद यह एक ऐसा आयोजन था जिसे देख कर नागरिकों से खूब मजा लिया और अपने मोबाइल से धावकों के फोटो लेते रहे।
नहीं दौड़ीं रवीना-मल्लेश्वरी
ओलंपिक दौड़ में फिल्म स्टार रवीना टंडन के साथ ओलंपियन कर्णम मल्लेश्वरी के दौड़ने की बात की गई थी, लेकिन दोनों के न दौड़ने से लोगों को निराशा हुई। लेकिन उनके रहने से उत्साह के माहौल के साथ लोगों को जुटाने में आसानी हुई। दौड़ में छत्तीसगढ़ी फिल्मों के कलाकारों में एक मात्र अनुज शर्मा ही आए, पर वे भी मंच पर ही रहे।
ज्यादा पदक जीतने की तैयारी करें: राज्यपाल
समापन समारोह में राज्यपाल शेखर दत्त ने कहा कि ओलंपिक दौड़ में जैसा दम खिलाड़ियों ने दिखाया है, वैसा ही दम दिखाने के लिए अब छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी 37वें राष्ट्रीय खेलों के लिए तैयार रहे। छत्तीसगढ़ में होने वाले इन खेलों में ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने की तैयारी अभी से प्रारंभ कर दें। कार्यक्रम के अंत में विजेताओं को अतिथियों ने पुरस्कार बांटे। इस असवर पर शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, विधायक कुलदीप जुनेजा, मुख्यमंत्री के ओएसडी विक्रम सिंह सिसोदिया, डीजीपी विश्वरंजन, एडीजी रामनिवास, संसदीय सचिव विजय बघेल, सभापति संजय श्रीवास्तव, विधान मिश्रा, हॉकी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा सहित कई खेल संघों के पदाधिकारी उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया
दौड़ प्रारंभ होने से पहले फिल्म स्टार रवीना टंडन ने अपने उद्बोधन का आगाज गुड मार्निग रायपुर से किया, और बताया कि उनको आज का रायपुर सात साल पहले के रायपुर जैसा ही खुबसूरत लगा है। उन्होंने कहा कि रायपुर के लोग बढ़े दिलवाले हैं। उन्होंने खिलाड़ियों से कहा कि वे एक शानदार मैराथन करके दिखाए। अंत में उन्होंने नारा लगाया छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया।
बेटियां पदक जीतने आगे आएं
ओलंपियन कर्णम मल्लेश्वरी ने कहा कि यहां पर महिला खिलाड़ियों को देखकर अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने 10 साल पहले सिडनी ओलंपिक में देश के लिए पदक जीता था, इसके बाद कोई बेटी ऐसा काम नहीं कर सकी है। मैं चाहती हूं कि छत्तीसगढ़ की बेटियां भी ओलंपिक में पदक जीतें, इसके लिए आप लोग मेहनत करें।
छत्तीसगढ़ होगा नंबर वन
इसके पहले विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि छत्तीसगढ़ आज खेलों में बहुत आगे हो गया है। अब वह दिन भी दूर नहीं जब छत्तीसगढ़ खेलों में नंबर वन हो जाएगा। खेलमंत्री लता उसेंडी ने भी कहा कि हम खिलाड़ियों को हर तरह की सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे हैं।  शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि हमारे खिलाड़ी किसी से कम नहीं हैं। छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों में विश्व स्तर पर छाने का दम है। महापौर किरणमयी नायक ने कहा कि उनको पहले भरोसा नहीं था कि इतने ज्यादा खिलाड़ी दौड़ में आएंगे, लेकिन रवीना टंडन के आने की जानकारी हुई तो यकीन हो गया था कि खिलाड़ियों का सैलाब उमड़ेगा और वह नजर आ रहा है। ओलंपिक संघ के महासचिव बलदेव सिंह भाटिया ने कहा कि हम आज से छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने का संकल्प लेकर तैयारी प्रारंभ कर रहे हैं। ओलंपिक के आयोजन का मकसद रहा है, सबको एक सूत्र में बांधने का और आज की दौड़ ने यह कर दिखाया है।  
82 और 80 साल के बुर्जुग दौड़ 8 किलो मीटर
दौड़ में सीनियर वर्ग में राजधानी रायपुर के   82 साल के बुर्जुग जेपी शर्मा और 80 साल के हरिराम मेश्राम ने 8 किलो मीटर की दौड़ पूरी की। 92 में रिटायर होने वाले श्री मेश्राम ने बताया कि वे कॉलेज के जमाने से दौड़ में रुचि रखते हैं और जब भी मौका मिलता है, दौड़ने से चूकते नहीं हैं। उन्होंने बताया कि वे मैराथन में प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के साथ एक बार एक मैराथन में पूर्व राज्यपाल केएम सेठ के साथ भी दौड़ हैं।
जेपी शर्मा ने बताया कि वे 1954 में राष्ट्रीय विद्यालय में स्कूली समय में ओलंपिक चैंपियन बने थे। दोनों को विशेष पुरस्कार दिया गया।
 ये रहे विजेता
सीनियर वर्ग के महिला वर्ग में पहले से दसवें स्थान पर रहने वाली खिलाड़ी बालमती यादव, ललिता कश्यप, दशरी कोयाम, हेमुहुमी, रामीन निषाद, मुन्नी, कोमल केर्वथ, सुजाता, प्रमिला कोयाम, प्रमिला ध्रुव। पुरुष वर्ग चुंबा लाल साहू, रामेश्वर नाथ, नरेन्द्र कुमार साहू, तुलसी साहू, कामेश कुमार, मनोज कुमार, होरीलाल सोनकर, महेश कुमार साहू, तामेश्वर साहू, कृष्ण कुमार। जूनियर वर्ग में पहले से चौथे स्थान पर रहने वाले- बालिका वर्ग चैती कश्यप, ज्योति वर्मा, रेणुका साहू, भुवनेश्वरी निषाद। बालक मनोज र्कोटम, रामनाथ, केशव यादव, रोहित देशमुख।

Read more...

बुधवार, जून 22, 2011

बच्चे पहले, फिल्में बाद में

मैंने आइटम सांग में पूरे कपड़े पहने हैं: रवीना
सात साल बाद बुड्ढा होगा तेरा बाप से फिल्मों में वापसी करने वाली फिल्म स्टार रवीना टंडन का कहना है कि अब पहले बच्चे, फिल्में बाद में। जिस दिन बच्चे कह देंगे कि मम्मी अब हम आपके बिना घर में रह सकते हैं उस दिन ज्यादा फिल्मों के बारे में सोचूंगी। अभी बच्चों को मेरी ज्यादा जरुरत है।
यहां पर ओलंपिक दौड़ में शामिल होने आई रवीना ने शाम को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि उनको फिल्मों में वापसी की खुशी है और सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि उनको बिग-बी अमिताभ बच्चन के साथ फिल्मों में वापसी करने का मौका मिल रहा है। रवीना पूछने पर कहती हैं कि लगातार 18-19 साल काम करने के बाद एक ब्रेक जरूरी था, और वह ब्रेक मुझे शादी करने से मिला। आज मेरे लिए अपना परिवार प्राथमिकता है। अभी मेरे बच्चे छोटे हैं, इसलिए मैं ज्यादा फिल्मों के बारे में भी नहीं सोच रही हूं। जिस दिन बच्चे कहेंगे कि मम्मी अब हम आपके बिना रह सकते हैं, तब सोचूंगी।
रवीना एक सवाल पर खुश होते हुए कहती हैं कि उनसे भी फिल्म जगत में कहा जा रहा है कि मेरा आइटम सांग मुन्नी और शीला को पीछे छोड़ देगा। इस बात की मुझे खुशी होती है। लेकिन मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि एक तो मेरे गाने को आइटम सांग कहना ठीक नहीं है, दूसरे यह कि मैंने इस गाने में पूरे कपड़े पहने हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि उनकी फिल्मों में सत्ता, अंदाज अपना-अपना, शूल, पत्थर के फूल उनकी पंसदीदा फिल्में हैं। रवीना को मुंबई फिल्म जगत को वालीबुड कहने पर आपति है, वह कहती हैं कि फिल्म उद्योग, फिल्म जगत कहना ज्यादा ठीक है।
खेलों को मिले सपोट
ओलंपिक दौड़ में शामिल होने आई रवीना का कहना है कि अपने देश में खेलों को सपोट की जरूरत है। हमारे जैसे हर स्टार को खेलों को आगे बढ़ाने के लिए आगे आना चाहिए। यह अपने देश का दुर्भाग्य है कि देश का राष्ट्रीय खेल हॉकी होने के बाद भी क्रिकेट को ज्यादा महत्व मिलता है। आज हर खेल में साधनों की कमी है। उन्होंने कहा कि मुझे छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के महासचिव बलदेव सिंह भाटिया ने बताया कि छत्तीसगढ़ में खेलों को उद्योगों से गोद दिलाने का काम किया गया है। ऐसी ही पहल पूरे देश में होनी चाहिए। निजी क्षेत्र के आगे आए बिना खेलों का विकास संभव नहीं है। रवीना कहती हैं कि चक दे इंडिया जैसे फिल्में बननी चाहिए। उनको इस बात पर आश्चर्य होता है कि चक दे इंडिया तो हॉकी के लिए बनी थी, लेकिन क्रिकेट में जीतने के लिए भी चक दे इंडिया कहा जाता है।
मल्लेश्वरी का आटोग्राफ लूंगी
पत्रकारों से चर्चा के समय साथ में बैठी ओलंपियन कर्णम मल्लेश्वरी के बारे में उन्होंने कहा कि देश के असली स्टार तो ये लोग हैं। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि आज मैं मंच पर मल्लेश्वरी के साथ बैठी हूं। मैं तो इनका आटोग्राफ लेकर जाऊंगी।
एयरपोर्ट भी खींची चिडिया की फोटो
रवीना ने बताया कि वह दूसरी बार रायपुर आई हैं। इसके पहले सात-आठ साल पहले आई थीं, तब भी रायपुर खुबसूरत था आज भी है। मैं जैसे ही एयरपोर्ट से बाहर निकली तो वहां पर खुबसूरत चिडिया को देखकर फोटो खींचने लगी, तो सुरक्षाकर्मियों ने कहा कि मैडम यहां फोटो खींचना मना है। मैंने देखा कि सुरक्षा कर्मियों के साथी मेरी फोटो खींच रहे थे, मैंने उनसे कहा भाई साहब पहले इनको तो मना करो, मैं तो फिर भी चिडिया की फोटो खींच रही हूं, ये तो मेरी खींच रहे हैं। 

Read more...

स्टेडियम तैयार होते ही आईपीएल के मैच कराएंगे

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का बचा काम पूरा होते ही हमारा संघ आईपीएल के कुछ मैचों की मेजबानी लेगा। बड़े मैचों के आयोजन की राह में स्टेडियम का अधूरा काम है। अधूरा काम जल्द पूरा कराने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से भी चर्चा हो चुकी है।
ये बातें छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया ने कहीं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम तो दो साल पहले ही आईपीएल के मैच की मेजबानी लेने तैयार थे। उस समय बीसीसीआई से अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम को मैचों के लिए उपयुक्त भी माना था। लेकिन तब आईपीएल देश से बाहर जाने के कारण हम मेजबानी से वंचित रह गए थे। हमारा प्रयास फिर से आईपीएल के मैचों के मेजबानी लेने का है, लेकिन अब तक स्टेडियम में काफी काम बचा है। स्टेडियम में मुख्य रुप से इंटीरियर का काम बचा है। इसका काम जैसे ही पूरा होगा हम फिर से मेजबानी का दावा करेंगे। उन्होंने बताया कि स्टेडियम लोक निर्माण विभाग को सौंपा जा चुका है और अब उम्मीद है कि जल्द ही सारा काम पूरा हो जाएगा।
श्री भाटिया ने बताया कि बीसीसीआई से एक राष्ट्रीय कोच प्रदेश के खिलाड़ियों को तैयार करने जल्द आएंगे। इस कोच की सेवाएं संघ दो साल के लिए लेगा और हर वर्ग के खिलाड़ियों को उनसे प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमारे खिलाड़ी प्रदर्शन कर रहे हैं उससे उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ को जल्द ही बीसीसीआई से स्थाई मान्यता मिल जाएगी और छत्तीसगढ़ की भी रणजी टीम बनेगी।

Read more...

मंगलवार, जून 21, 2011

पेन किलर खाना भारी पड़ा

डोप टेस्ट में फंसे छत्तीसगढ़ के वेटलिफ्टर ओमप्रकाश साहू का कहना है कि उनको पेन किलर खाना भारी पड़ा और वे पहले (ए) डोप टेस्ट में फेल हो गए। अब उनको बी टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार है। इस टेस्ट में फेल होने पर उन पर एक साल का प्रतिबंध लगने के साथ 50 हजार का जर्माना होगा।
बेंगलुरु के प्रशिक्षण शिविर से बाहर किए जाने के बाद रायपुर लौटे ओमप्रकाश साहू ने बताया कि वे प्रशिक्षण शिविर में एक जून को लिए गए उनके डोप टेस्ट की रिपोर्ट 17 जून को आई तो उसमें वे फेल हो गए। टेस्ट में फेल होने पर उन्होंने भारतीय भारोत्तोलन फेडरेशन के महासचिव सहदेव यादव से सीधे बात की तो उनको शिविर से वापस छत्तीसगढ़ जाने के निर्देश दिए गए। श्री साहू ने पूछने पर बताया कि वे प्रशिक्षण शिविर में 30 मई को शामिल हुए थे, वैसे उनको शिविर में 15 मई को जाना था, लेकिन हिप और अंडर आर्म में फूंसी होने के कारण वे नहीं जा सके थे। फूंसी को ठीक करने के लिए ही उन्होंने पेन किलर और उसको सूखाने की दवाई का सहारा लिया था। बकौल श्री साहू उनसे यही गलती हो गई कि उन्होंने किसी डॉक्टर की सलाह लिए बिना ही मेडिकल स्टोर से पेन किलर लेकर खा ली थी पूछने पर उन्होंने बताया कि शिविर में जाने के बाद उन्होंने कोई गोली नहीं खाई थी। डोप टेस्ट लेने वाले अधिकारियों को उन्होंने जानकारी दी थी कि उन्होंने फूंसी के कारण पेन किलर का सेवन किया था। श्री साहू कहते हैं कि उनको इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे जिस पेन किलर का सेवन कर रहे हैं, उसमें प्रतिबंध डग्स के अंश हैं। श्री साहू ने कहा कि उन्होंने पेन किलर लेने की जानकारी अपने कोच तेजा सिंह साहू को भी नहीं दी थी।
जुर्माना लगा तो देंगे
श्री साहू पूछने पर कहते हैं कि अगर बी टेस्ट में भी मैं फेल हो जाता हूं तो एक साल का प्रतिबंध लगेगा और मुझ पर 50 हजार का जुर्माना किया जाएगा। वे कहते हैं कि अपने खेल जीवन को बचाने के लिए वे 50 की राशि जरूर फेडरेशन में जमा करेंगे। श्री साहू ने पूछने पर बताया कि वे इसके पहले चार बार डोप टेस्ट दे चुके हैं। तीन बार राष्ट्रीय ग्रामीण खेलों में और एक बार इस साल हरियाणा में खेली गई सब जूनियर चैंपियनशिप में। इन चारों चैंपियनशिप में ओमप्रकाश साहू ने स्वर्ण पदक जीते हैं। वे कहते हैं कि मैं हमेशा डोप टेस्ट में पास हुआ हूं, पहली बार पेन किलर खाने की वजह से फंसा हूं। वे कहते हैं कि मुझे थोड़ा सा भी अंदेशा रहता कि पेन किलर खाने से मैं डोप टेस्ट में फंस सकता हूं तो मैं उसका सेवन कभी नहीं करता।

Read more...

सोमवार, जून 20, 2011

कोच की चाह में राजस्थान से छत्तीसगढ़ आए

भारतीय टीम के पूर्व कोच चन्दर सिंह के छत्तीसगढ़ आने की खबर मिलने के बाद हम लोगों ने भी सोचा कि यहां के नए साई सेंटर में आ जाते हैं। चन्दर सिंह से प्रशिक्षण लेने तो हम लोग कहीं भी जा सकते हैं, उनके प्रशिक्षण देने का अंदाज अलग है।
ये बातें यहां पर चर्चा करते हुए राजस्थान के वीरेन्द्र सिंह और सुनील कुमार ने कहीं। इन्होंने बताया कि ये जोधपुर के साई सेंटर में थे जहां पर उनको प्रशिक्षण देने का काम भारतीय टीम के कोच रहे चन्दर सिंह कर रहे थे। लेकिन जब इनको चंदर सिंह के छत्तीसगढ़ आने की खबर मिली तो इन्होंने सोचा कि चलो हम भी छत्तीसगढ़ में खुलने वाले साई सेंटर में प्रयास कर लेते हैं। छत्तीसगढ़ के साई सेंटर के बारे में इनको अपने कोच से ही मालूम हुआ था। इन खिलाड़ियों का कहना है कि चंदर सिंह जैसा कोई और दूसरा कोच नहीं हो सकता है। उनके प्रशिक्षण देने का तरीका इतना सरल और सहज रहता है कि हर खिलाड़ी उनके प्रशिक्षण देने के तरीके पर फिदा हो जाता है। यहां यह बताना लाजिमी है कि चंदर सिंह एक बार पिछले साल छत्तीसगढ़ की टीम को प्रशिक्षण देने आए थे, तो यहां के खिलाड़ी भी उनके प्रशिक्षण देने के अंदाज पर फिदा हो गए थे। चंदर सिंह को छत्तीसगढ़ के साई सेंटर में भेजने की मांग प्रदेश वालीबॉल संघ के मो. अकरम खान ने साई के डीजी गोपाल कृष्ण से की थी। इस मांग पर ही चंदर सिंह को यहां भेजा जा रहा है।
6.3 फीट के वीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि उनको जोधपुर के साई सेंटर में लंबाई के कारण प्रवेश मिला था और यहां भी लंबाई के कारण प्रवेश मिला है। वे बताते हैं कि लंबाई और खेल अच्छा होने के बाद भी उनको ेराजस्थान वालीबॉल संघ की राजनीति का शिकार होना पड़ा है। वे कहते हैं कि उनको राजस्थान की टीम में स्थान ही नहीं दिया जाता है। वीरेन्द्र कहते हैं कि टीम में 8 खिलाड़ी तो जरूर ठीक रखे जाते हैं, लेकिन बाकी खिलाड़ी पदाधिकारियों की मर्जी से रखे जाते हैं जिसके कारण हम जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का हक मारा जाता है। अब वीरेन्द्र की इच्छा रायपुर के साई सेंटर में रहते हुए छत्तीसगढ़ से खेलने की है। वे जोधपुर के सेंटर में एक साल रहे हैं, अब उनको यहां दो साल रहने का मौका मिलेगा।
इधर राजस्थान के दूसरे खिलाड़ी सुनील कुमार को अपने राज्य के संघ से कोई शिकायत नहीं है। वे बताते हैं कि 2009 से 11 तक वे तीन बार स्कूली राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेल चुके हैं। पिछले साल बेंगलुरु में खेली गई अंडर 19 की चैंपियनशिप में उनके राज्य की टीम तीसरे स्थान पर रही थी। सुनील भी कहते हैं कि उनको रायपुर के साई सेंटर में रहने का मौका मिला तो वे भी छत्तीसगढ़ के लिए खेलेंगे।

Read more...

रविवार, जून 19, 2011

छत्तीसगढ़ का वेटलिफ्टर डोप टेस्ट में फेल

छत्तीसगढ़ के एक वेटलिफ्टर को डोप टेस्ट में फेल होने के बाद भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविर से वापस भेज दिया गया है। भारतीय भारोत्तोलन संघ इस वेटलिफ्टर के नाम का खुलासा तो नहीं कर रहा है, लेकिन इतना जरूर मान रहा है कि पहले टेस्ट में खिलाड़ी फेल हुआ है दूसरे टेस्ट में फेल होने की रिपोर्ट आने के बाद ही खिलाड़ी का नाम सार्वजनिक किया जाएगा।
एशियन भारोत्तोलन चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम का प्रशिक्षण शिविर बेंगलुरु में चल रहा है। इस शिविर में छत्तीसगढ़ के चार खिलाड़ी रुस्तम सारंग, अजय दीप सारंग, ओमप्रकाश साहू और अजय विश्वकर्मा भी शामिल हैं। 15 मई से चल रहे शिविर में खिलाड़ियों का पहला डोप टेस्ट लिया गया तो इसमें छत्तीसगढ़ का एक खिलाड़ी फेल हो गया। टेस्ट में फेल होने के बाद खिलाड़ी को शिविर से निकाल दिया गया है और उसे छत्तीसगढ़ वापस जाने कहा गया है।
इस बारे में जानकारी लेने भारतीय भारोत्तोलन फेडरेशन के महासचिव सहदेव यादव से संपर्क किया गया तो उन्होंने यह तो माना कि छत्तीसगढ़ का एक खिलाड़ी पहले (ए) टेस्ट में फेल हो गया है, लेकिन उन्होंने इस खिलाड़ी का नाम बताने से इंकार करते हुए कहा कि अभी जब तक बी टेस्ट की रिपोर्ट नहीं आ जाती है, हम नाम का खुलासा नहीं कर सकते हैं। श्री यादव कहते हैं कि दूसरे टेस्ट में खिलाड़ी पास हो जाता है और हम पहले से ही उसका नाम बता देते हैं तो इससे खिलाड़ी की बदनामी होती है। उन्होंने कहा कि फेडरेशन का जो काम है हम कर रहे हैं, अगर खिलाड़ी   दूसरे टेस्ट में फेल होता है तो जरूर उसका नाम मीडिया के सामने लाया जाएगा।
इधर प्रदेश भारोत्तोलन संघ से सह सचिव तेजा सिंह साहू का कहना है कि हमारे संघ के पास अब तक फेडरेशन से कोई जानकारी नहीं आई है कि हमारा एक खिलाड़ी डोप टेस्ट में फेल हो गया है, वहां से जानकारी मिलने पर ही कुछ बता पाना संभव हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के चार खिलाड़ी प्रशिक्षण शिविर में शामिल हैं। 

Read more...

शनिवार, जून 18, 2011

पूरा होगा हमारा सपना....

तेरी यादें साथ लिए जा रहे हैं हम
करना न दिल से प्यार कभी कम।।
हम तुम्हें दिल में बसाए रखेंगे हरदम
तुम भी अपने दिल में हमें रखना सनम।।
हमने जो खाई है प्यार की कसम
याद रखना उसे मेरी जान हरदम।।
कभी न कोई ऐसा काम करना
प्यार को न अपने बदनाम करना।।
बस तुम थोड़ा सा इंतजार करना
पूरा होगा एक दिन हमारा सपना ।।

Read more...

शुक्रवार, जून 17, 2011

साई सेंटर में सात भगोड़े, दो अपात्र

राजधानी रायपुर के साई सेंटर में 99 खिलाड़ियों के मूल्यांकन शिविर में सात खिलाड़ी भगोड़े और दो अपात्र पाए गए। प्रशिक्षकों की रिपोर्ट के बाद बचे 90 खिलाड़ियों के नामों की सूची को अनुमोदन के लिए भोपाल भेजा गया है। चयनित खिलाड़ियों का अब शुक्रवार से नियमित प्रशिक्षण प्रारंभ होगा।
स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के आउटडोर स्टेडियम में साई सेंटर प्रारंभ हुआ है। सेंटर में 6 से 15 जून तक मूल्यांकन शिविर चला। इस शिविर में सात खेलों के 99 खिलाड़ी शामिल हुए। इस खिलाड़ियों में से सात खिलाड़ी ऐसे रहे जो शिविर से बिना बताए गायब हो गए। ऐसे भगोड़े खिलाड़ियों के बारे में सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान ने बताया कि सबसे ज्यादा तीन भगोड़े खिलाड़ी वालीबॉल के रहे। इसके बाद जूडो, फुटबॉल, वालीबॉल और कयाकिंग में एक-एक खिलाड़ी भगोड़े रहे जो बिना कारण बताए गायब हो गए। इसी के साथ दो खिलाड़ी अपात्र मिले जो खेलों के प्रमाणपत्र जमा नहीं कर पाए। अपात्र खिलाड़ियों में एक फुटबॉल और एक वालीबॉल का खिलाड़ी है।
किस खेल में कितने खिलाड़ी
शिविर में 90 खिलाड़ी पात्र पाए गए हैं। इन खिलाड़ियों में फुटबॉल बोर्डिंग में 19, डे-बोर्डिंग में 5, वालीबॉल बोर्डिंग में 9, डे-बोर्डिंग में 11, जूडो बोर्डिंग और डे-बोर्डिंग (पांच बालिकाएं) में 8-8, भारोत्तोलन बोर्डिंग में 8, बैडमिंटन डे-बोर्डिंग में 6, कयाकिंग डे-बोर्डिंग में 14 (तीन बालिकाएं), एथलेटिक्स में एक-एक खिलाड़ी बोर्डिंग और डे-बोर्डिंग में चुना गया है।
आज से नियमित प्रशिक्षण
बोर्डिंग के साथ डे-बोर्डिंग के खिलाड़ियों को शुक्रवार से नियमित प्रशिक्षण दिया जाएगा। फुटबॉल, जूडो, भारोत्तोलन का आउटडोर स्टेडियम, बैडमिंटन का सप्रे स्कूल बैडमिंटन हॉल, वालीबॉल का पुलिस मैदान, कयाकिंग बूढ़ातालाब में दिया जाएगा। दो एथलेटिक्स खिलाड़ियों को भोपाल भेजा जाएगा। सात खेलों में से फिलहाल एक खेल एथलेटिक्स के कम होने की संभावना है। सेंटर में इस समय एक खेल वालीबॉल के कोच नहीं हैं। इसके लिए भारतीय टीम के कोच रहे चंदर सिंह बहुत जल्द आने वाले हैं।
कमरो और मेस में पानी घुसा
सेंटर के बोर्डिंग वाले खिलाड़ियों को गुरुवार को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बारिश होते ही कमरों के साथ मेस में भी पानी घुस गया। खिलाड़ियों कहते हैं कि अभी थोड़ी सी बारिश में यह हाल है तो आगे क्या होगा, कहा नहीं जा सकता है। सेंटर के प्रभारी शाहनवाज ने बताया कि लेट-बाथ के साथ पीने के पानी की भी परेशानी हो रही है। पिछले तीन दिनों से पानी का मोटर ही नहीं चल रहा है। स्टेडियम के प्रभारी राजेश शर्मा को इसकी सूचना दे दी गई है, उन्होंने कहा कि व्यवस्था ठीक करते हैं। 

Read more...

गुरुवार, जून 16, 2011

पदक तक पहुंचने सिंथेटिक ट्रेक जरूरी

छह राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने वाले दंतेवाड़ा के आदिवासी एथलीट मनोज कुमार मंडावी का कहना है कि राज्य में जब तक सिंथेटिक ट्रेक नहीं होगा, पदकों तक पहुंचना संभव नहीं है। राष्ट्रीय स्पर्धा में चौथे स्थान तक पहुंचने वाले इस खिलाड़ी को अब उम्मीद है कि साई में उनका चयन हो गया है तो वे जरूर बहुत जल्द राज्य के लिए पदक जीतने का साथ आगे भारतीय टीम में स्थान बनाने में सफल होंगे।
साई सेंटर में चर्चा करते हुए मनोज कुमार कहते हैं कि उनके खेल में निखार भिलाई की सेल अकादमी में तीन साल रहने के कारण आया। इन तीन (2007 से 2009 तक) सालों में ही उनको तीन बार स्कूल की राष्ट्रीय और तीन बार ओपन स्पर्धाओं में खेलने का मौका मिला। 400 के साथ 800 मीटर के इन धावक का कहना है कि भिलाई में उनको प्रशिक्षक तो जरूर अच्छे मिले, लेकिन वहां भी सिंथेटिक ट्रेक नहीं है। राष्ट्रीय स्पर्धाओं का आयोजन सिंथेटिक ट्रेक में ही होता है, ऐसे में मिट्टी के ट्रेक में दौड़कर पदक तक पहुंचना कैसे संभव है। वे पूछने पर बताते हैं कि 2009 में पूणे में हुई राष्ट्रीय जूनियर एथलीट मीट में वे चौथे स्थान पर रहे थे।
मनोज इस बात से खुश हैं कि उनका चयन अब साई सेंटर में होने के साथ उनको भोपाल के सेंटर में भेजने की बात हो रही है। वे कहते हैं कि भोपाल में सिंथेटिक ट्रेक है और वहां के ट्रेक में वे अभ्यास करके जरूर राज्य के लिए राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक जीतने में सफल होंगे। वे पूछने पर कहते हैं कि उनका भी लक्ष्य छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में राज्य के लिए पदक जीतना  है।
मेहनत ज्यादा इसलिए नहीं बनते एथलीट
प्रदेश में एथलीटों का टोटा क्यों हैं के सवाल पर मनोज भी कहते हैं कि एथलेटिक्स ऐसा खेल है जिसमें सबसे ज्यादा मेहनत लगती है इसलिए इस खेल से लोग जुड़ना नहीं चाहते हैं। वैसे मनोज यह भी कहते हैं कि इस मेहनतकश खेल की सबसे ज्यादा प्रतिभाएं हमारे आदिवासी क्षेत्र में हैं। वे बताते हैं कि उनके कुछ मित्र साई सेंटर भोपाल में हैं। वे कहते हैं कि अगर बस्तर में एथलीटों की तलाश की जाएगी तो बहुत एथलीट मिल जाएंगे। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि रायपुर साई सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान पहले ही कह चुके हैं कि एथलीटों की तलाश कराने जुलाई में बस्तर में चयन ट्रायल का आयोजन   किया जाएगा। 

Read more...

बुधवार, जून 15, 2011

हम भी जीतेंगी राज्य के लिए पदक

कयाकिंग का खेल वास्तव में रोमांचक है। इस खेल से जुड़कर हमें बहुत अच्छा लगा है। इस खेल में बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। अपने राज्य में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने के साथ हम सभी भारतीय टीम से खेल कर राज्य और देश का रौशन करना चाहती हैं।
ये बातें यहां पर हरिभूमि से चर्चा करते हुए साई सेंटर के डे-बोर्डिंग में शामिल बालिका खिलाड़ी शिवांगी ठाकुर, संतोषी दलाई और हेमलता सार्वा कहती हैं। इन तीनों खिलाड़ियों को इस खेल से जुड़े हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है। काफी कम समय में बहुत कुछ सीखने के बाद इनको अब साई के डे-बोर्डिंग में मौका मिला है तो इनका मानना है कि इनके खेल में अब लगातार निखार आएगा। इन्होंने पूछने पर बताया कि वैसे तो हमारा पहला लक्ष्य अपने राज्य की मेजबानी में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेल हैं। इस समय हम सभी जूनियर खिलाड़ी हैं, लेकिन जब छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय खेल होंगे तो हम सभी सीनियर वर्ग तक पहुंची जाएंगी और अपने राज्य को पदक दिलाने में सफल होंगी, ऐसा हमें भरोसा है। इसी के साथ इन खिलाड़ियों ने बताया कि सितंबर में होने वाली विश्व चैंपियनशिप के क्वालीफाइंग की भी हम तैयारी कर रही हैं। हमारे कोच नवीन साहू हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए तैयार कर रहे हैं। हमारा ऐसा मानना है कि पहले हम विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाइंग कर लें, फिर आगे के बारे में सोचेंगी।
शिवांगी ठाकुर पूछने पर बताती हैं कि वह पहले तैराकी से जुड़ी थीं। पांच बार स्कूली की राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने वाली इस खिलाड़ी को कयाकिंग में ज्यादा संभावना नजर आई तो वह इस खेल से जुड़ गर्इं। संतोषी दलाई पहले योग करती थीं, लेकिन जब कयाकिंग के बारे में उनको मालूम हुआ तो वह इस खेल में आ गई। हेमलता फुटबॉल से जुड़ी हुई हैं, लेकिन अब उन्होंने भी कयाकिंग से नाता जोड़ लिया है। इन खिलाड़ियों का एक स्वर में मानना है कि कयाकिंग में ज्यादा संभावना है, इस खेल से प्रदेश की खिलाड़ियों को जुड़ना चाहिए।
इन खिलाड़ियों के कोच नवीन साहू कहते हैं कि उनको तीनों खिलाड़ियों से बहुत उम्मीद है। वे बताते हैं कि इनको विश्व चैंपियनशिप में क्वालीफाइंग के लिए तैयार किया जा रहा है। इसी के साथ केरल और गोवा में होने वाले राष्ट्रीय खेलों पर भी नजरें हैं। इन खेलों से पहले होने वाली राष्ट्रीय चैंपियनशिप में तीनों खिलाड़ियों को भेजा जाएगा। नवीन बताते हैं कि तीनों खिलाड़ी बहुत मेहनती हैं और रोज सुबह शाम   मिलाकर पांच घंटे अभ्यास कर रही हैं। 

Read more...

मंगलवार, जून 14, 2011

राष्ट्रीय जंप रोप की भी मेजबानी लेने की तैयारी

राष्ट्रीय स्कूली खेलों में पहली बार शामिल किए गए जंप रोप की भी मेजबानी लेने की तैयारी में छत्तीसगढ़ है। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा जा रहा है। वैसे इसकी मेजबानी बैठक में महाराष्ट्र ले चुका है, लेकिन महाराष्ट्र को मना कर मेजबानी छत्तीसगढ़ में लेने के प्रयास प्रारंभ हो गए हैं। जंप रोप संघ इस दिशा में गंभीरता से जुटा है। मेजबानी मिली तो इस खेल में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी पदकों की बारिश कर देंगे।
राष्ट्रीय स्कूली खेलों में जंप रोप के शामिल होने के बाद भी इस खेल की मेजबानी प्रदेश के स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा न लिए जाने से प्रदेश संघ के पदाधिकारी खफा हुए और इस बात का विरोध संघ के सचिव अखिलेश दुबे ने जताते हुए शिक्षा विभाग के सहायक संचालक एसआर कर्ष के सामने मेजबानी लेने का प्रस्ताव रखा और भरोसा दिलाया कि अगर छत्तीसगढ़ मेजबानी लेता है तो सबसे ज्यादा पदक छत्तीसगढ़ की झोली में आएंगे। श्री दुबे कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी लगातार राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग को इस खेल की मेजबानी लेने का दावा प्रमुखता से करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने श्री  कर्ष को भरोसा दिलाया कि अगर शिक्षा विभाग प्रस्ताव भेजता है तो भारतीय जंप रोप फेडरेशन से बात करके महाराष्ट्र शिक्षा विभाग से आग्रह करके मेजबानी छोड़ने के लिए कहा जाएगा। श्री दुबे ने बताया कि उनके संघ ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ शिक्षामंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मेजबानी लेने के लिए दिया है।
इस संबंध में कर्ष का कहना है कि अगर महाराष्ट्र मेजबानी छोड़ने सहमत होता है तो हमें मेजबानी लेने में परेशानी नहीं है। हम मेजबानी का प्रस्ताव बनाकर भेज देंगे। वैसे भी हमने जिन 10 खेलों की मेजबानी ली है, वो सभी खेल ऐसे हैं जिनमे छत्तीसगढ़ को पदक मिलते हैं। अगर जंप रोप में छत्तीसगढ़ को ज्यादा से ज्यादा पदक मिल सकते हैं तो इससे अच्छी बात राज्य के लिए और क्या हो सकती है।

Read more...

शनिवार, जून 11, 2011

संघों के विवाद से साई सेंटर में हॉकी नहीं

राजधानी रायपुर के साई सेंटर में हॉकी के शामिल न होने का एक सबसे बड़ा कारण संघों का विवाद सामने आया है। इस समय राष्ट्रीय स्तर पर ही दो फेडरेशन होने के कारण देश के राष्ट्रीय खेल को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। संघों का विवाद सुलझते ही हॉकी को साई सेंटर में शामिल करने की बात सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान कहते हैं।
रायपुर के साई सेंटर में सात खेलों को शामिल किया गया है। इस सेंटर के प्रारंभ होने से पहले इस बात की उम्मीद थी कि सेंटर में हॉकी को प्रमुखता से रखा जाएगा, क्योंकि जहां हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल है, वहीं इस खेल की छत्तीसगढ़ में बहुत ज्यादा प्रतिभाएं हैं। छत्तीसगढ़ के सब जूनियर और जूनियर राष्ट्रीय खिलाड़ी राज्य में एस्ट्रो टर्फ न होने के बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर जोरदार खेल दिखाते रहे हैं। केडी सिंह बाबू हॉकी में छत्तीसगढ़ की टीम एक बार उपविजेता रही है। अभी मुंबई में खेली गई अंडर 17 चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ की टीम ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाया। यहां उसे मेजबान मुंबई से भले हार का सामना करना पड़ा, लेकिन छत्तीसगढ़ ने लीग मैचों में जोरदार प्रदर्शन करके कई टीमों को चौका दिया।
साई सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान भी मानते हैं कि छत्तीसगढ़ में हॉकी की प्रतिभाओं की भरमार है। छत्तीसगढ़ का जशपुर क्षेत्र तो हॉकी का गढ़ माना जाता है, इसी तरह से राजनांदगांव को हॉकी की नर्सरी के नाम से जाना जाता है। श्री खान बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में हॉकी की प्रतिभाओं का एक सबसे बड़ा सबूत यह है कि छत्तीसगढ़ की आधा दर्जन बालिका खिलाड़ी साई के भोपाल सेंटर में हैं। यहां यह भी बताना लाजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ में साई सेंटर की सुविधा न होने के कारण ही अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सबा अंजुम के साथ मृणाल चौबे को दूसरे राज्यों की शरण में जाना पड़ा था।
विवाद सुलझते ही हॉकी होगा शामिल
सेंटर के प्रभारी कहते हैं कि हॉकी इंडिया और भारतीय हॉकी फेडरेशन के बीच चल रहा विवाद सुलझते ही साई में हॉकी को शामिल करने की पहल होगी। ऐसा होने पर साई भोपाल में प्रशिक्षण लेने वाली खिलाड़ियों को भी अपने राज्य में वापस आने का मौका मिलेगा। 

Read more...

शुक्रवार, जून 10, 2011

प्रदेश का भी कद बढ़ाएंगे

अपने लंबे कद की वजह से साई सेंटर में आसानी से स्थान बनाने वाले प्रदेश के तीन खिलाड़ियों का एक स्वर में कहना है कि अब तो अपने कद की तरह की प्रदेश का भी कद बढ़ाने की तमन्ना है। हमारा प्रयास रहेगा जब छत्तीसगढ़ की मेजबानी में 37वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हो तो स्वर्ण पदक अपने राज्य की झोली में जाए।
ये बातें यहां पर चर्चा करते हुए 6.5 फीट के रायपुर के स्वप्निल कुमार सोना, 6.5 फीट के ही तिल्दा के गौरव वर्मा और 6.4 फीट के भिलाई के शिवम तिवारी ने कहीं। इन्होंने कहा कि इनके लिए सौभाग्य की बात है कि इनका चयन साई सेंटर में हुआ। इनका मानना है कि इनको लंबाई का फायदा मिला है। वैसे तीनों खिलाड़ी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेल चुके हैं। इस साल कर्नाटक में हुई जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में तीनों खेले हैं। इनके साथ भिलाई के एक और खिलाड़ी 6.5 फीट के पूनम कुमार वर्मा भी खेले हैं। वे भी साई सेंटर में हैं, लेकिन परिवार में किसी का निधन होने की वजह से वे घर गए हैं।
तीनों खिलाड़ियों में गौरव तिवारी ऐसे खिलाड़ी हैं जो पांच बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेल चुके हैं। इनमें तीन स्कूल की राष्ट्रीय स्पर्धाएं हैं। वे पहली बार अंडर 14 की राष्ट्रीय स्कूली स्पर्धा में 2008 में खेले थे। इसके बाद वे 2010 और फिर 11 में अंडर 17 की स्कूली राष्ट्रीय स्पर्धा में खेले हैं। ओपन वर्ग में पहली बार सब जूनियर राष्ट्रीय स्पर्धा में 2009 में खेले। तीनों खिलाड़ियों का कहना है कि साई में उनका चयन होने से उनके खेल में बहुत ज्यादा निखार आएगा। यहां पर हमें राष्ट्रीय कोच चंदर सिंह से खेल के गुर सीखने का मौका मिलेगा। वे कहते हैं कि अच्छे प्रशिक्षकों की कमी के कारण ही प्रदेश के खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पाते हैं। इन खिलाड़ियों को उम्मीद है कि उनको लंबाई के कारण बहुत जल्द भारतीय टीम में भी स्थान मिल जाएगा। इन खिलाड़ियों का कहना है कि वे भी अपने राज्य के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों आशीष अरोरा, संतोष वर्मा, दीपेश सिंहा और सचिन गुमाशता की तरह अपने राज्य और देश का नाम रौशन करना चाहते हैं।
इन खिलाड़ियों का कहना है कि उनका एक मसकद जहां भारतीय टीम में स्थान बनाना है, वहीं अपने राज्य में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ को स्वर्ण पदक दिलाना है। वे कहते हैं कि जब अपने राज्य में राष्ट्रीय खेल होंगे तो हम लोग भी सीनियर वर्ग तक पहुंच जाएंगे और अपने राज्य को स्वर्ण दिलाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रहेंगे। 

Read more...

गुरुवार, जून 09, 2011

तवा 475और भाला 337 रुपए में

प्रदेश में पहली बार सीएसआईडीसी ने कुछ खेल सामानों के रेट कर दिए हैं। एरिया के तवां की कीमत 475 और भाले की 337 रुपए तय की गई है। कास्को की फुटबॉल का रेट 483 रुपए 33 पैसे, कास्को का वालीबॉल 500 रुपए में मिलेगा। अब खेल विभाग सहित कोई भी सरकारी विभाग इन तय किए गए रेट पर तयशुदा कंपनी के सामान खरीदेगा। रेट तय होने से अब खेल सामानों की घटिया खरीदी पर रोक   लगेगी।
खेल विभाग की पहल पर पहली बार कुछ खेल सामानों के रेट सीएसआईडीसी ने तय किए हैं और इसी के साथ इन सामानों को खरीदने के लिए भिलाई की एक फर्म को अधिकृत भी किया गया है। खेल संचालक जीपी सिंह की पहल पर पहली बार सीएसआईडीसी ने पहले चरण में कुछ खेल सामानों के रेट करने के लिए निविदा निकाली थी। इस निविदा के बाद एक फर्म को तय सामान बेचने का जिम्मा दिया गया है। इस फर्म से ही अब खेल विभाग सहित खेल सामान खरीदी करने वाले सरकारी संस्थानों को खरीदी करनी पड़ेगी। रेट तय न होने कारण खेल विभाग से लेकर शिक्षा विभाग, आदिमजाति कल्याण विभाग, उच्च शिक्षा विभाग में मनमर्जी से खेल सामानों की खरीदी की जाती है। ज्यादातर विभागों में हमेशा घटिया सामान खरीदी की शिकायत मिलती रही है।
सीएसआईडीसी ने जिन सामानों के रेट तय किए हैं, उनमें खो-खो के एक जोड़ी एरिना के वुडन पोल की कीमत 1688, फुटबॉल (कास्को) 483.33 रुपए, वालीबॉल (कास्को) 500 रुपए, फुटबॉल गोलपोस्ट का नेट (एरिना) 1700, वालीबॉल का नेट नायलोन वाला (एरिना) 900, एथलेटिक्स के सामानों में एरिना के कंपनी के तवा 0.75 किलो ग्राम 475 रुपए, एक किलो 543 रुपए, 1.250 किलो ग्राम 615 रुपए, 1.500 किलो ग्राम 615 रुपए, 1.750 किलो ग्राम 675 रुपए, 2 किलो ग्राम 675 रुपए। गोला 2.720 किलो ग्राम 376 रुपए, 5 किलो ग्राम 615 रुपए, 6 किलो ग्राम 750 रुपए, 7.260 किलो ग्राम 900। भाला 800 ग्राम 427 रुपए, 700 ग्राम 382.50 रुपए, 600 ग्राम 337.50 रुपए।

Read more...

बुधवार, जून 08, 2011

मुख्यमंत्री का सपना साकार करने वाले ओलंपियन तैयार करूंगा

मेरा ओलंपिक में खेलने का सपना तो कंघे की चोट के कारण पूरा नहीं हो सका, लेकिन अब मैं प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का सपना साकार करने के लिए कैनाइंग-कयाकिंग के ओलंपिक में खेलने वाले खिलाड़ी तैयार करने का काम करूंगा। खिलाड़ी तैयार करने के इरादे से ही मैंने हंगरी में लेबल-3 कोच का कोर्स किया है और अब मैं वहां से लौटते ही खिलाड़ियों को तराशने में जुट गया हूं। ये बातें कहने वाले अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और कोच नवीन साहू से हुई बात-चीत के अंश प्रस्तुत है।
0 हंगारी में लेबल 3 कोर्स करने का मकसद क्या था?
00 मेरा इरादा ओलंपिक में खेलकर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का सपना साकार करने का था, लेकिन मेरे कंघे में चोट के कारण अब डॉक्टरों ने साफ कह दिया है कि मैं खेलने की स्थिति में नहीं हूं। ऐसे में मैंने सोचा कि क्यों न लेबल 3 कोच का कोर्स करके अपने राज्य के खिलाड़ियों को आधुनिक तरीके से तैयार करके उनको ओलंपिक में खेलने का रास्ता दिखाया जाए।
0 लेबल 3 कोर्स के बारे में बताएं?
00 यह कोर्स अंतरराष्ट्रीय कैनो फेडरेशन द्वारा कराया जाता है। अब तक लेबल 1 और 2 का कोर्स होता था। ये दोनों कोर्स मैं पहले ही कर चुका हूं। पहली बार हंगरी में लेबल 3 कोर्स कराया गया तो मैं वहां चला गया। पांच माह के इस कोर्स में दो माह वहां पर प्रशिक्षण दिया गया। बाकी तीन माह का कोर्स आनलाइन कराया गया। वहां पर प्रशिक्षण देने का काम 12 बार विश्व चैंपियन रहे हंगरी के जोनटान बाको ने किया। इस कोर्स में भारत से मैं अकेला गया था।
0 कोर्स के लिए आपका चयन कैसे हुआ?
00 कोर्स के लिए वैसे तो भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) भेजता है, लेकिन यह कोर्स नया था, इसलिए खुद के खर्च पर जाना पड़ा। कोर्स का शुल्क ही करीब साढ़े तीन लाख था। मुझे कोर्स करने में पांच लाख का खर्च करना पड़ा।
0 राज्य सरकार ने कोई मदद मिली?
00 कोर्स के बारे में इतने कम समय में मालूम हुआ कि मदद ले पाना संभव नहीं था। अब वहां से लौटा हूं तो अब मदद के प्रयास किए जा रहे हैं।
0 आपके कोर्स से राज्य के खिलाड़ियों को क्या फायदा होगा?
00 मैं हंगरी में जो कोर्स करके आया हूं, वह अति आधुनिक कोर्स है। आज ओलंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने जाने के लिए यही तकनीक काम आती है। ऐसे में यहां के खिलाड़ियों को तैयार करके उनको ओलंपिक का रास्ता दिखाया जाएगा।
0 राजधानी में साई सेंटर खुलने से कयाकिंग को कितना फायदा होगा?
00 साई सेंटर से हर खेल को फायदा होता है। मैं खुद भोपाल के साई सेंटर में रहां हूं। आज मुझे जो राष्ट्रीय स्तर पर 150 से ज्यादा पदक मिले हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एशियन चैंपियनशिप में मैंने जो दो पदक जीते हैं, वह साई सेंटर में रहने का नतीजा है। रायपुर में कयाकिंग को डे-बोर्डिंग  के रूप में शामिल किया गया है। ऐसे में अभी सिर्फ रायपुर के खिलाड़ियों को फायदा होगा। आगे बोर्डिंग की सुविधा हो जाएगी तो प्रदेश के खिलाड़ियों को लाभ होगा।
0 प्रदेश में कयाकिंग के खिलाड़ियों की क्या संभावना है?
00 प्रदेश में आदिवासी क्षेत्र सरगुजा, बस्तर के साथ धमतरी और बिलासपुर में अच्छे खिलाड़ियों की भरमार है। इन खिलाड़ियों को साई के बोर्डिंग में मौका मिला तो राज्य के लिए हमारे खेल में पदकों की बारिश हो जाएगी।
0 अभी आप कितने खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं और उनसे क्या संभावनाएं हैं?
00 साई के डे-बोर्डिंग के लिए मेरे पास 15 खिलाड़ी हैं। इनमें 4 बालिका खिलाड़ी संतोषी दलई, शिवांगी ठाकुर, हेमलता सार्वा और शारडा राखडे हैं। इसी के साथ बालक वर्ग में दिनेश साहू, अशोक साहू, सोनू साहू और धनेश फरिकार हैं जिनसे मुझे काफी उम्मीदे हैं। झारखंड के राष्ट्रीय खेलों में हमारी टीम के 4 में पांचवें स्थान पर थी और दिनेश के-1 में छठे स्थान पर था।
0 राष्ट्रीय खेलों में पदक क्यों नहीं मिल सका?
00 झारखंड के राष्ट्रीय खेलों के कुछ समय पहले ही हमें बोट मिल सकी थी जिसके कारण हमारे खिलाड़ियों को अभ्यास का मौका नहीं मिल सका था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा आने वाले समय में केरल और गोवा के बाद हमारे खिलाड़ी छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में भी पदकों की बारिश करेंगे।
0 अभी जो सुविधाएं हैं, वो पर्याप्त हैं?
00 अभी तो हमारे पास खिलाड़ियों की संख्या के लिहाज से पर्याप्त बोट है। के-1 में आठ, के-2 में चार और के 4 में तीन बोट है। खिलाड़ियों की संख्या में इजाफा होने पर ही बोट की जरूरत पड़ेगी। अभी हमारे खिलाड़ी बूढ़ातालाब में अभ्यास करते हैं। अभ्यास के लिए एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का ट्रेक जरूरी है। भारतीय कयाकिंग फेडरेशन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास की झील में एक ट्रेक बनाने का सुझाव राज्य सरकार को दिया है, वह ट्रेक बन जाए तो खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने में ज्यादा आसानी होगी।

Read more...

मंगलवार, जून 07, 2011

खिलाड़ियों को निखारने अब स्पर्धाएं कराएंगे

प्रदेश के खिलाड़ियों को निखारने के लिए अब अगले कदम पर हम सितंबर से राज्य और राष्ट्रीय स्पर्धाओं का आयोजन करेंगे। आगे भी संघ का प्रयास होगा कि राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक को बुलाकर खिलाड़ियों के खेल को निखारा जाए। ये बातें लॉन टेनिस के विशेष प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर प्रदेश संघ के अध्यक्ष विक्रम सिंह सिसोदिया ने कहीं। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश की तरुणाई के लिए सौभाग्य की बात है कि उनको राष्ट्रीय कोच साजिद लोधी के साथ अजहर खान जैसे प्रशिक्षकों से खेल की बारीकियां सीखने का मौका मिला है। श्री सिसोदिया ने कहा कि प्रदेश संघ पिछले साल से ही इस प्रयास में है कि राज्य के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय प्रशिक्षकों से खेल के गुर सीखने के साथ ज्यादा से ज्यादा स्पर्धाओं में खेलने का मौका मिल सके। उन्होंने कहा, अब इस शिविर के बाद अगले कदम पर हम राज्य स्पर्धाओं के साथ राष्ट्रीय स्पर्धाओं का आयोजन करने जा रहे हैं। इन स्पर्धाओं में जहां प्रदेश के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा, वहीं उनको देश के दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों को खेलते देखकर भी बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलेगा।
इस अवसर पर प्रदेश संघ के सचिव गुरुचरण सिंह होरा ने कहा कि प्रदेश संघ ने पिछले एक साल में विक्रम सिसोदिया के अध्यक्ष बनने के बाद उम्मीद से ज्यादा अच्छा काम किया है। यह दूसरा अवसर है जब प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय कोच की व्यवस्था की गई है। पिछले साल हमने पूर्व डेविस कप खिलाड़ी अख्तर अली के साथ सुखबीर सिंह को बुलाया था। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को अब इस शिविर में मिली जानकारी का लाभ उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। अब आप अपनी प्रतिभा स्पर्धाओं में दिखाएं और राज्य का नाम रौशन करें।
प्रशिक्षक साजिद लोधी ने कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि छत्तीसगढ़ में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की भरमार है। जरुरत है इनकी प्रतिभा को सामने लाने की। यहां के खिलाड़ियों का सौभाग्य है कि उनको विक्रम सिंह सिसोदिया जैसे खेल के प्रमोटर मिले हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी अपनी लगन और मेहनत से जरूर राज्य और देश का नाम करेंगे।

Read more...

सोमवार, जून 06, 2011

बस्तर में तलाशेंगे एथलीट

राजधानी के साई सेंटर के लिए एथलीट तलाशने साई ने बस्तर में चयन ट्रायल करने का फैसला किया है। रायपुर में हुए चयन ट्रायल में प्रदेश से सिर्फ एक ही एथलीट मिला है। वैसे बालिका वर्ग में करीब एक दर्जन एथलीट मिली हैं, लेकिन अभी बालिका वर्ग का हास्टल प्रारंभ करने में समय है।
साई सेंटर के प्रभारी शहनवाज खान ने बताया कि एथलेटिक्स चूंकि मदर गेम है, ऐसे में इस खेल को साई सेंटर के हटाना संभव नहीं है। हमारा प्रयास रहता है कि इस खेल की प्रतिभाओं को आदिवासी अंचल से तलाश कर लाएं। उन्होंने बताया कि मप्र में भी जब साई सेंटर के लिए खिलाड़ियों की तलाश थी, तब भी हमने बस्तर में जाकर चयन ट्रायल किया था और वहां की प्रतिभाओं को धार के सेंटर में रखा था। उन्होंने कहा कि भले अप्रैल में हुए पहले चयन ट्रायल में एथलीट के खिलाड़ी नहीं मिल पाएं हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि जब हम अगले माह जुलाई में बस्तर में जाकर चयन ट्रायल करेंगे तो वहां जरूर हमें खिलाड़ी मिलेंगे।
यहां यह बताना लाजिमी होगा कि वास्तव में बस्तर में एथलीटों की भरमार है। राज्य मैराथन में हमेशा टॉप 20 में बस्तर के ही एथलीट ज्यादा आते हैं। बस्तर में एथलीटों की भरमार के बारे में रुकमणी सेवा आश्रम के पद्मश्री  धर्मपाल सैनी भी बता चुके हैं कि उनके खिलाड़ियों को सूचना न मिलने के कारण वे राष्ट्रीय स्तर पर खेलने नहीं जा पाते हैं। अब अगर साई बस्तर में चयन ट्रायल करेगा तो जरूर बस्तर की प्रतिभाओं को साई सेंटर में आकर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिल जाएगा।
श्री खान ने बताया कि बस्तर के साथ ही रायपुर में भी स्कूलों का सत्र प्रारंभ होने पर एक और चयन ट्रायल किया जाएगा, ताकि जिन खेलों में खिलाड़ियों की कमी हा उसको पूरा किया जा सके।

Read more...

रविवार, जून 05, 2011

नवोदित पहले बनते हैं अंपायर फिर खिलाड़ी

रविशंकर विश्व विद्यालय के मैदान में चल रहे साफ्टबॉल के प्रशिक्षण शिविर में आने वाले हर नए खिलाड़ी को बल्लेबाज के पीछे खड़े करके पहले अंपायर बनाया जाता है। अंपायरिंग को समझने के बाद ही खिलाड़ियों को बल्ला दिया जाता है। इस समय प्रशिक्षण लेने वाले 60 खिलाड़ियों में 20 से ज्यादा खिलाड़ी नए हैं।
इस खेल का प्रशिक्षण लेने के लिए रोज सुबह के सत्र में 60 खिलाड़ी आ रहे हैं। इन खिलाड़ियों में 20 से ज्यादा नए खिलाड़ी हैं जो साफ्टबॉल से जुड़े हैं। इन खिलाड़ियों में शामिल शुभांगी, सजल अग्रवाल, रजनी चक्रवर्ती, हातिम हुसैन, ऐजान, उत्सव, शमनदीप सिंह, कौशल, परमेश्वर, निखिल नायक, किशन, कैलाश पटेल, दया सागर, छोटू महानंद, किशन महानंद, रौशनी निषाद, रोहित, वीरू बाग, नरेश निर्मलकर और कैलाश कहते हैं कि वे इस खेल में आए हैं तो उनको इसमें बिलकुल क्रिकेट जैसा रोमांच लग रहा है। सभी एक स्वर में कहते हैं कि हम इस खेल से नियमित रूप से जुड़े रहना चाहते हैं। इन्होंने बताया कि इस खेल की खासियत यह है कि यहां पर हमारे कोच निंगराज रेड्डी सबसे पहले अंपायरिंग कराते हैं, उसके बाद बल्लेबाजी करने या फिर गेंदबाजी करने का मौका देते हैं।
प्रशिक्षक निंगराज रेड्डी ने पूछने पर बताया कि हम नए खिलाड़ियों से अंपायरिंग इसलिए कराते हैं क्योंकि वे जब बल्लेबाज के पीछे खड़े होते हैं तो उनको समझ में आता है कि बॉल किस गति से आती है और बॉल की दिशा किस तरह की होती है। इसी के साथ उनको नियमों के बारे में भी बताया जाता है। खिलाड़ी खेलने से पहले अगर नियमों के बारे में जान जाए तो उनको अच्छा खिलाड़ी बनने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने बताया कि हम नए खिलाड़ियों को बेसिक जानकारी देते हैं इसमें हिटिंग, पीचिंग, थ्रोइंग, और फील्डिंग शामिल हैं। वे कहते हैं कि साफ्टबॉल में भी क्रिकेट जैसा रोमांच है इसलिए इस खेल में खिलाड़ियों को मजा आता है। उन्होंने बताया कि हर साल प्रशिक्षण शिविर में आने वाले नए खिलाड़ियों में कम से कम 50 प्रतिशत खिलाड़ी नियमित अभ्यास करने जरूर आते हैं। प्रशिक्षकों में श्री रेड्डी के साथ प्रदीप साहू और अमित वरु भी दे रहे हैं।


Read more...

शनिवार, जून 04, 2011

सपनों की शहजादी

मेरी कल्पना में
मेरे सपनों की शहजादी
सुंदरता की ऐसी देवी
जो सौन्दर्य को भी लजा दे
गोरे मुखड़े पर उभरने वाली आभा
मानो शीशे पर
भास्कर का धीमा प्रकाश
साथ में
माथे पर चांद सी चमकती बिंदियां
नयन ऐसे
मानो मछलियां
अधर इतने मधुर
मानो कोमल गुलाब
की दो पंखुडियां
आपस में आलिंगन कर रही हों
काली कजरारी पलकें
अपनी तरफ आकर्षिक करती
बिखरी हुई लटें
मानो घने काले बादल हों

Read more...

शुक्रवार, जून 03, 2011

जंप रोप सहित 11 नए खेल राष्ट्रीय स्कूली खेलों में

राष्ट्रीय स्कूली खेलों में इस बार से जिन 11 नए खेलों को शामिल किया गया है, उनमें छत्तीसगढ़ में खेले जाने वाले आधा दर्जन खेल जंप रोप, कैरम, साफ्ट टेनिस, टेनीक्वाइट, थांग ता और टी-20 क्रिकेट भी शामिल हैं। इन खेलों में छत्तीसगढ़ को लगातार राष्ट्रीय स्तर पर सफलता मिल रही है और खिलाड़ी पदक जीत रहे हैं, खासकर जंप रोप के खिलाड़ी ज्यादा पदक जीतने में सफल हो रहे हैं।
राष्ट्रीय स्कूली खेलों की मेजबानी तय करने जब इस बार स्कूल फेडरेशन आॅफ इंडिया की बैठक गोवा में हुई तो इस बैठक में 25 नए खेलों को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था जिसमें से 11 खेलों को शामिल किया गया। बैठक में शामिल हुए  बैठक में पहले पुराने खेलों की मेजबानी तय करने के बाद नए खेलों के प्रस्ताव रखे गए इन खेलों में 25 खेल शामिल थे, सभी राज्यों से चर्चा के बाद 11 खेलों जिनमें जंप रोप, कैरम, टेनीक्वाइट, थांग ता, साफ्ट टेनिस, कराते डू, मलखंब, जित कुंडो, फुटबॉल टेनिस, और टी-20 क्रिकेट को शामिल गया।
इन खेलों में छत्तीसगढ़ में जंप रोप के साथ कैरम, थांग ता, टेनीक्वाइट, साफ्ट टेनिस और टी-20 क्रिकेट खेला जाता है। छत्तीसगढ़ को सबसे ज्यादा सफलता अब तक जंप रोप में मिली है। जंप रोप राज्य स्कूली खेलों में पिछले तीन साल से शामिल हैं। जंप रोप संघ के सचिव अखिलेश दुबे ने उम्मीद जताई है कि इस खेल की राष्ट्रीय स्पर्धा में छत्तीसगढ़ को सबसे ज्यादा पदक मिलेंगे। इसकी राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेजबानी महाराष्ट्र ने ली है। छत्तीसगढ़ ने कैरम की मेजबानी लेने में सफल रहा है।

Read more...

गुरुवार, जून 02, 2011

प्रशिक्षण से निखरेगी छत्तीसगढ़ की तरुणाई

हमारे प्रदेश लॉन टेनिस संघ से प्रदेश की तरुणाई को निखारने के लिए राष्ट्रीय कोच साजिद लोधी को यहां बुलाया है। हम प्रदेश की प्रतिभाओं को निखारने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इस प्रशिक्षण शिविर के बाद लगातार राष्ट्रीय और राज्य स्तर की स्पर्धाओं का आयोजन किया जाएगा।
ये बातें प्रदेश लॉन टेनिस संघ के अध्यक्ष विक्रम सिंह सिसोदिया ने विशेष प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन अवसर पर कहीं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिले इसलिए हमारा संघ पिछले साल से राष्ट्रीय प्रशिक्षक की सेवाएं लेकर प्रतिभाओं को निखारने का काम कर रहा है। हमारा ऐसा मानना है कि छत्तीसगढ़ की प्रतिभााएं राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर राज्य का नाम रौशन कर सकती हैं। अपने राज्य की प्रतिभाओं को बस मार्गदर्शन की जरूरत है। वैसे तो अपने राज्य में भी अच्छे प्रशिक्षकों की कमी नहीं है, वे मेहनत करके खिलाड़ियों को तैयार करने में जुटे हैं। लेकिन जब खिलाड़ियों के बीच में कोई राष्ट्रीय स्तर का कोच आता है तो इससे खिलाड़ियों का मनोबल और बढ़ता है। हमने देखा है पिछले साल जब हमने पूर्व डेविस कप खिलाड़ी अख्तर अली के साथ राष्ट्रीय कोच सुखबीर सिंह को बुलाया था तो इनसे प्रशिक्षण लेकर प्रदेश के खिलाड़ियों का खेल निखरा है। आज खिलाड़ियों के बीच पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और राष्ट्रीय कोच साजिद लोधी हैं। इनसे खेल की   बारीकियों को सीखने का मौका यहां पर चुने हुए 30 खिलाड़ियों को मिलेगा। हमें उम्मीद है कि इस प्रशिक्षण शिविर के बाद जब हमारे खिलाड़ी राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलेंगे तो उनका खेल एक अलग मुकाम पर नजर आएगा।
राष्ट्रीय कोच साजिद लोधी ने कहा कि यह अच्छी बात है कि छत्तीसगढ़ राज्य छोटा राज्य होने के बाद बाहर से कोच बुलाकर खिलाड़ियों को निखारने का काम कर रहा है। खिलाड़ियों को एक तो मेहनत पर ध्यान देना चाहिए और अपने राज्य में उपलब्ध सुविधाओं का फायदा उठाना चाहिए।
लॉन टेनिस को गोद लेने वाले उद्योग शारडा एनर्जी के पंकज शारडा ने कहा कि मुझे खुशी है कि हमारे उद्योग को लॉन टेनिस का जिम्मा मिला है। मैं खुद लॉन टेनिस का खिलाड़ी रहा हूं। मैंने अपने स्कूल आरके शारडा विद्या मंदिर में टेनिस के दो सिंथेटिक कोर्ट बनवाए हैं। ये कोर्ट फ्लड लाइट वाले सर्वसुविधायुक्त हैं। इनका उपयोग हमारे स्कूल के खिलाड़ी भी करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में टेनिस को बढ़ाने के लिए जो मदद होगी, मैं करूंगा। इस अवसर पर लॉन टेनिस संघ के सचिव गुरुचरण सिंह होरा, डॉ. अजय पाठक, चर्तुभुज अग्रवाल, आशीष सर्राफ, रूपेन्द्र सिंह चौहान सहित संघ के पदाधिकारी और खिलाड़ी उपस्थित थे।

Read more...

बुधवार, जून 01, 2011

6 फीट वाले खिलाड़ियों को सीधे प्रवेश

राष्ट्रीय हैंडबॉल अकादमी में छत्तीसगढ़ के साथ देश के किसी भी राज्य के 6 फीट लंबे खिलाड़ियों को सीधे प्रवेश दिया जाएगा। ऐसे खिलाड़ियों का किसी भी तरह से टेस्ट नहीं लिया जाएगा। अकादमी के लिए भिलाई में 17 जून से चयन ट्रायल होगा। अकादमी में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
यह जानकारी देते हुए अकादमी के प्रभारी बशीर अहमद खान ने बताया कि अकादमी के लिए 25 खिलाड़ियों का चयन किया जाना है। ऐसे में पहली बार यह फैसला किया गया है कि जो खिलाड़ी 6 फीट या इससे ज्यादा लंबाई के होंगे उन खिलाड़ियों का किसी भी तरह का टेस्ट लिए बिना उनको सीधे प्रवेश दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार एक बदलाव यह भी किया जा रहा है कि अब खिलाड़ियों की उम्र के हिसाब से अलग-अलग वजन तय किया जाएगा। इसके पूर्व 13 से 17 के पात्र खिलाड़ियों का वजन 55 किलो से ज्यादा अनिवार्य था। श्री खान ने बताया कि यह बात ठीक है कि किसी भी 13 साल के खिलाड़ी का वजन 55 किलो से ज्यादा होना संभव नहीं है ऐसे में अब उम्र के हिसाब से वजन तय किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अकादमी में प्राथमिकता प्रदेश के खिलाड़ियों को दी जाएगी, ताकि छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में राज्य के लिए खिलाड़ी पदक जीतने में मदद कर सकें।
ट्रायल की पात्रता
चयन ट्रायल की पात्रता के बारे में उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों की उम्र 13 से 17 साल होनी चाहिए। लंबाई 168 सेंटी मीटर। खिलाड़ियों के लिए होने वाले बैटरी टेस्ट में स्टैडिंग ब्रांड जंप 215 सेंटी मीटर , 30 मीटर की दौड़ 4.5 सेंकेड में, 6 से 10 मीटर शटल रन 16 सेकेंड में, वर्टिकल जंप 42 सेंटी मीटर, 1600 मीटर दौड़ 7 मिनट से कम, लचीलापन 8सेंटी मीटर, हैंडबॉल खेलने में दक्षता। जो खिलाड़ी चयन ट्रायल में शामिल होंगे उनके 17 से 21 जून तक रहने और खाने की व्यवस्था की गई है। बैटरी टेस्ट के 6 में से चार टेस्ट पास करने वालों को यात्रा व्यय भी दिया जाएगा।  खिलाड़ियों को जन्म प्रमाणपत्र के लिए 5वीं, 8वीं और 10वीं की अंक सूची लानी होगी।
अकादमी में मिलने वाली सुविधाएं
चुने गए खिलाड़ियों को तीन साल भिलाई की राष्ट्रीय अकादमी में रखा जाएगा। नि:शुल्क खाना, आवास, चिकित्सा, आवश्यकता अनुसार पढ़ाई के लिए ट्यूशन।  हर माह 450 रुपए की खेलवृत्ति, हर एक किट बैग, एक ट्रेक शूट, 3 प्लेइंग किट, 3 सेट जूता और मोजा, एक ब्लेजर, टाई, ट्राउजर, जूता और मोजा तीन साल में एक बार (समारोह के लिए)। खिलाड़ियों को बाहर खेलने जाने पर रेल किराया, यात्रा भत्ता 150 रुपए और दैनिक भत्ता 150 रुपए दिया जाता है। भारतीय टीम में चुने जाने पर विदेश यात्रा में भी आर्थिक मदद की जाती है।
c

Read more...
Related Posts with Thumbnails

ब्लाग चर्चा

Blog Archive

मेरी ब्लॉग सूची

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP