अब छिनेंगी कुर्सियां
छत्तीसगढ़ के राज्य खेल संघों में बैठे मठाधीशों पर भी अब पद छोडऩे की गाज गिरने वाली है। प्रदेश के ३३ मान्यता प्राप्त खेल संघों में से आधे से ज्यादा पर अध्यक्ष और सचिव बरसों से काबिज हैं। अब इनको अपने पद छोडऩे ही पड़ेंगे। केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए कानून को यहां पर लागू किया जाएगा। वैसे तो मान्यता नियमों पर नजरें डालने से यह कानून स्वत: ही यहां लागू हो जाता है, पर इसके बाद भी खेल संचालक ने प्रदेश सरकार को इस कानून को लागू करने के लिए सरकार को पत्र लिखने की बात कही है।
देश के राष्ट्रीय खेल संघों पर कई दशकों से काबिज मठाधीशों को हटाने के लिए केन्द्र सरकार के खेल मंत्री एमएस गिल की पहल पर १९७५ के कानून में संशोधन किया गया है। अब नए कानून के मुताबिक राष्ट्रीय खेल संघों के अध्यक्ष १२ साल और सचिव ८ साल से ज्यादा समय तक पदों पर नहीं रह सकते हैं। इस नए कानून के कारण जहां कई राष्ट्रीय खेल संघों के ऐसे पदाधिकारी प्रभावित होंगे जो बरसों से कुर्सी से चिपके हुए हैं, वहीं अब इस नए कानून के कारण छत्तीसगढ़ के खेल संघों के पदाधिकारियों पर भी गाज गिरनी तय है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद से ही यहां पर राज्य खेल संघ बनाने की बाढ़ सी आ गई थी। छत्तीसगढ़ बनते ही जिन लोगों ने राष्ट्रीय खेल संघों के मठाधीशों से सेटिंग करके संघ ले लिए हैं, वे आज तक इन संघों के अध्यक्ष और सचिव के पदों पर काबिज हैं। छत्तीसगढ़ में ओलंपिक संघ की लड़ाई लंबे समय तक चली। अध्यक्ष के पद को लेकर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी ने क्या नहीं किया। उन्होंने अध्यक्ष का पद पाने के लिए लाखों रुपए पानी की तरह बहाए। छत्तीसगढ़ के १० साल के सफर में ओलंपिक संघ के अध्यक्ष तो बदलते रहे हैं, पर सचिव के पद पर प्रारंभ से ही भिलाई के बशीर अहमद खान चिपके हुए हैं। वे इस पद को किसी भी कीमत पर छोडऩा नहीं चाहते हैं। प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ बशीर अहमद खान हैंडबॉल संघ में भी प्रारंभ से ही सचिव बने हुए हैं। इस खेल के भी अध्यक्ष बदलते रहे हैं, पर सचिव को कभी बदला नहीं गया।
ये हैं बरसों से काबिज
ऐसे खेल संघ जिनके अध्यक्ष तो बदले गए, पर सचिव वहीं हैं उनमें पहले नंबर पर प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ हैंडबॉल संघ है, जिसके सचिव बशीर अहमद खान हैं। इनके अलावा कबड्डी संघ के सचिव पद पर प्रारंभ से लेकर अब तक रामबिसाल साहू काबिज हैं। इसी तरह से जूडो संघ के सचिव अरूण द्विवेदी, पावरलिफ्टिंग संघ के सचिव कृष्णा साहू, बेसबॉल संघ की सचिव मिताली घोष, खो-खो संघ के सचिव एस. रामू, सायकल पोलो संघ के विनायक राव चन्नावार और हॉकी संघ की नीता डुमरे शामिल हैं। इन खेल संघों के साथ कई खेल संघ ऐसे हैं जिनके अध्यक्ष और सचिव छत्तीसगढ़ बनने के बाद से ही पदों पर काबिज हैं। ऐसे संघों में बास्केटबॉल संघ (अध्यक्ष राजीव जैन, सचिव राजेश पटेल), वालीबॉल संघ (अध्यक्ष गजराज पगारिया, सचिव मो. अकरम खान, कैरम संघ (अध्यक्ष संदीप वर्मा, सचिव विजय कुमार), ताइक्वांडो संघ (अध्यक्ष आरएस आम्रवंशी, सचिव रामपूरी गोस्वामी), बैडमिंटन संघ (अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह भाटिया, सचिव दीपक पटेल), वेटलिफ्टिंग संघ (अध्यक्ष बीवी भदारैया, सचिव एसएल जंघेल), मुक्केबाजी संघ (अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद), थ्रो बाल संघ (अध्यक्ष अशोक जैन , सचिव रमन कुमार साहनी), म्यूथाई संघ (अध्यक्ष विजय अग्रवाल, सचिव अनीस मेमन), शरीर सौष्ठव (अध्यक्ष पुरुषोत्तम अजमानी, सचिव संजय शर्मा), तीरंदाजी (अध्यक्ष रमेश बैस, सचिव कैलाश मुरारका, लॉन टेनिस संघ(अध्यक्ष गुरुचरण सिंह होरा, सचिव लारेंस सेंटियागो), नेटबॉल संघ (अध्यक्ष विधान मिश्रा सचिव संजय शर्मा) शामिल हैं।
सरकार को प्रस्ताव भेजेंगे
केन्द्र सरकार के नए कानून के बारे में हालांकि खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि वे आज ही केन्द्र सरकार के खेल मंत्रालय की वेबसाइड से संशोधित नियमों की कापी निकालकर प्रदेश सरकार को नया कानून राज्य में भी लागू करने का प्रस्ताव बनाकर भेज रहे हैं। इधर एक खेल अधिकारी ने बताया कि अगर राज्य के मान्यता नियमों को देखा जाए तो केन्द्र सरकार का नियम राज्य में स्वत: ही लागू हो जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के खेल संघों को जिन नियमों के तहत मान्यता दी जाती है, उन मान्यता नियमों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि राष्ट्रीय स्तर के खेल संघों के लिए जो नियम भारतीय खेल मंत्रालय द्वारा तय किए गए हैं, वे ही नियम राज्य खेल संघों पर भी लागू होंगे। ऐसे में किसी भी तरह के प्रस्ताव के बिना ही ऐसे खेल संघों के पदाधिकारियों को हटाया जा सकता है जो बरसों से संघों पर काबिज हैं।
मैं पद छोडऩे तैयार हूं: अकरम
प्रदेश वालीबॉल संघ के सचिव के पद पर बरसों से काबिज मो. अकमर खान कहते हैं कि वे तो तत्काल पद छोडऩे के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का नया कानून स्वागत योग्य है। इस कानून से हर खेल संघों में नए चेहरों को मौका मिलेगा। इसी के साथ जब नए लोग आएंगे तो उनकी नई सोच का जहां लाभ मिलेगा, वहीं उनको मालूम होगा कि पद पर बैठना आसान तो होता है पर संघ को चलना कितना मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि वे सचिव के पद पर इतने सालों से इसलिए काबिज हैं क्योंकि इस पद को लेने कोई तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि केन्द्र के नियम को राज्य में भी तत्काल लागू करना चाहिए।
विरोध करेंगे: बशीर
प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ हैंडबॉल संघ पर छत्तीसगढ़ बनने के बाद से ही काबिज बशीर अहमद खान का कहना है कि अगर प्रदेश में केन्द्र सरकार का नियम लागू किया जाता है तो हम लोग इसका विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर इसका जहां विरोध हो रहा है, वहीं इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की तैयारी है। सुप्रीम कोर्ट ेफैसले के बाद ही कुछ होगा। केन्द्र सरकार के कानून बनाने से कुछ होने वाला नहीं है।
देश के राष्ट्रीय खेल संघों पर कई दशकों से काबिज मठाधीशों को हटाने के लिए केन्द्र सरकार के खेल मंत्री एमएस गिल की पहल पर १९७५ के कानून में संशोधन किया गया है। अब नए कानून के मुताबिक राष्ट्रीय खेल संघों के अध्यक्ष १२ साल और सचिव ८ साल से ज्यादा समय तक पदों पर नहीं रह सकते हैं। इस नए कानून के कारण जहां कई राष्ट्रीय खेल संघों के ऐसे पदाधिकारी प्रभावित होंगे जो बरसों से कुर्सी से चिपके हुए हैं, वहीं अब इस नए कानून के कारण छत्तीसगढ़ के खेल संघों के पदाधिकारियों पर भी गाज गिरनी तय है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद से ही यहां पर राज्य खेल संघ बनाने की बाढ़ सी आ गई थी। छत्तीसगढ़ बनते ही जिन लोगों ने राष्ट्रीय खेल संघों के मठाधीशों से सेटिंग करके संघ ले लिए हैं, वे आज तक इन संघों के अध्यक्ष और सचिव के पदों पर काबिज हैं। छत्तीसगढ़ में ओलंपिक संघ की लड़ाई लंबे समय तक चली। अध्यक्ष के पद को लेकर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी ने क्या नहीं किया। उन्होंने अध्यक्ष का पद पाने के लिए लाखों रुपए पानी की तरह बहाए। छत्तीसगढ़ के १० साल के सफर में ओलंपिक संघ के अध्यक्ष तो बदलते रहे हैं, पर सचिव के पद पर प्रारंभ से ही भिलाई के बशीर अहमद खान चिपके हुए हैं। वे इस पद को किसी भी कीमत पर छोडऩा नहीं चाहते हैं। प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ बशीर अहमद खान हैंडबॉल संघ में भी प्रारंभ से ही सचिव बने हुए हैं। इस खेल के भी अध्यक्ष बदलते रहे हैं, पर सचिव को कभी बदला नहीं गया।
ये हैं बरसों से काबिज
ऐसे खेल संघ जिनके अध्यक्ष तो बदले गए, पर सचिव वहीं हैं उनमें पहले नंबर पर प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ हैंडबॉल संघ है, जिसके सचिव बशीर अहमद खान हैं। इनके अलावा कबड्डी संघ के सचिव पद पर प्रारंभ से लेकर अब तक रामबिसाल साहू काबिज हैं। इसी तरह से जूडो संघ के सचिव अरूण द्विवेदी, पावरलिफ्टिंग संघ के सचिव कृष्णा साहू, बेसबॉल संघ की सचिव मिताली घोष, खो-खो संघ के सचिव एस. रामू, सायकल पोलो संघ के विनायक राव चन्नावार और हॉकी संघ की नीता डुमरे शामिल हैं। इन खेल संघों के साथ कई खेल संघ ऐसे हैं जिनके अध्यक्ष और सचिव छत्तीसगढ़ बनने के बाद से ही पदों पर काबिज हैं। ऐसे संघों में बास्केटबॉल संघ (अध्यक्ष राजीव जैन, सचिव राजेश पटेल), वालीबॉल संघ (अध्यक्ष गजराज पगारिया, सचिव मो. अकरम खान, कैरम संघ (अध्यक्ष संदीप वर्मा, सचिव विजय कुमार), ताइक्वांडो संघ (अध्यक्ष आरएस आम्रवंशी, सचिव रामपूरी गोस्वामी), बैडमिंटन संघ (अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह भाटिया, सचिव दीपक पटेल), वेटलिफ्टिंग संघ (अध्यक्ष बीवी भदारैया, सचिव एसएल जंघेल), मुक्केबाजी संघ (अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद), थ्रो बाल संघ (अध्यक्ष अशोक जैन , सचिव रमन कुमार साहनी), म्यूथाई संघ (अध्यक्ष विजय अग्रवाल, सचिव अनीस मेमन), शरीर सौष्ठव (अध्यक्ष पुरुषोत्तम अजमानी, सचिव संजय शर्मा), तीरंदाजी (अध्यक्ष रमेश बैस, सचिव कैलाश मुरारका, लॉन टेनिस संघ(अध्यक्ष गुरुचरण सिंह होरा, सचिव लारेंस सेंटियागो), नेटबॉल संघ (अध्यक्ष विधान मिश्रा सचिव संजय शर्मा) शामिल हैं।
सरकार को प्रस्ताव भेजेंगे
केन्द्र सरकार के नए कानून के बारे में हालांकि खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि वे आज ही केन्द्र सरकार के खेल मंत्रालय की वेबसाइड से संशोधित नियमों की कापी निकालकर प्रदेश सरकार को नया कानून राज्य में भी लागू करने का प्रस्ताव बनाकर भेज रहे हैं। इधर एक खेल अधिकारी ने बताया कि अगर राज्य के मान्यता नियमों को देखा जाए तो केन्द्र सरकार का नियम राज्य में स्वत: ही लागू हो जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के खेल संघों को जिन नियमों के तहत मान्यता दी जाती है, उन मान्यता नियमों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि राष्ट्रीय स्तर के खेल संघों के लिए जो नियम भारतीय खेल मंत्रालय द्वारा तय किए गए हैं, वे ही नियम राज्य खेल संघों पर भी लागू होंगे। ऐसे में किसी भी तरह के प्रस्ताव के बिना ही ऐसे खेल संघों के पदाधिकारियों को हटाया जा सकता है जो बरसों से संघों पर काबिज हैं।
मैं पद छोडऩे तैयार हूं: अकरम
प्रदेश वालीबॉल संघ के सचिव के पद पर बरसों से काबिज मो. अकमर खान कहते हैं कि वे तो तत्काल पद छोडऩे के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का नया कानून स्वागत योग्य है। इस कानून से हर खेल संघों में नए चेहरों को मौका मिलेगा। इसी के साथ जब नए लोग आएंगे तो उनकी नई सोच का जहां लाभ मिलेगा, वहीं उनको मालूम होगा कि पद पर बैठना आसान तो होता है पर संघ को चलना कितना मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि वे सचिव के पद पर इतने सालों से इसलिए काबिज हैं क्योंकि इस पद को लेने कोई तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि केन्द्र के नियम को राज्य में भी तत्काल लागू करना चाहिए।
विरोध करेंगे: बशीर
प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ हैंडबॉल संघ पर छत्तीसगढ़ बनने के बाद से ही काबिज बशीर अहमद खान का कहना है कि अगर प्रदेश में केन्द्र सरकार का नियम लागू किया जाता है तो हम लोग इसका विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर इसका जहां विरोध हो रहा है, वहीं इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की तैयारी है। सुप्रीम कोर्ट ेफैसले के बाद ही कुछ होगा। केन्द्र सरकार के कानून बनाने से कुछ होने वाला नहीं है।
1 टिप्पणियाँ:
ऐसे मठाधीशों का जाना ही खेल जगत के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।
चलो। कम से कम खेलों का कुछ भला तो होगा।
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