पाबला जी का आया फोन-नहीं बदली है उनकी टोन
रविवार को छुट्टी के दिन सुबह को करीब 10.30 बजे बीएस पाबला जी का फोन आया। उधर से जानी-पहचानी टोन में आवाज आई।
राजकुमार जी क्या हाल है?
हमने कहा ठीक है पाबला जी।
उन्होंने अपनी मधुर टोन में कहा- कोई नाराजगी है क्या?
हमने कही नहीं तो।
उन्होंने हंसते हुए कहा कि जब से नई गाड़ी (बाइक) ली है, तब से नजर आना तो दूर बात भी नहीं हो रही है।
हमने कहा कि काम की व्यस्तता ज्यादा है।
उन्होंने कहा- तब तो ठीक है।
हमने पूछा कि कैसे याद किया?
उन्होंने बताया कि आज रविवार है तो हम भिलाई-दुर्ग के ब्लागर शाम को महफिल सजा रहे हैं सोचा आपको याद कर लिया जाए, क्योंकि आप तो पलक झपकते ही भिलाई पहुंच जाते हैं।
हमने कहा बात तो ठीक है, पर हम अभी मित्रों से साथ काम से बाहर जा रहे हैं, इस बार को आना संभव नहीं होगा। अगली बार जरूर महफिल में शरीक होंगे।
पाबला जी ने कहा ठीक है।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि काफी समय से हम लोगों की महफिल जम नहीं पा रही है। अब इसके पीछे जहां छत्तीसगढ़ में पड़ रही ताबड़तोड़़ गर्मी भी एक कारण है, तो वहीं एक कारण यह भी है कि हम लोगों में से किसी को समय मिलता है तो किसी को नहीं। ऐसे में महफिल का फोरम पूरा नहीं हो रहा है। जैसे ही महफिल का फोरम पूरा होगा सज जाएगी यारों की महिफल।
कोशिश करते हैं कि जल्द से जल्द किसी रविवार को सभी यार खाली रहे और सज जाए एक महफिल और गुजरे शाम सुहानी फिर लिखें सब मिलकर महफिल की कहानी।
राजकुमार जी क्या हाल है?
हमने कहा ठीक है पाबला जी।
उन्होंने अपनी मधुर टोन में कहा- कोई नाराजगी है क्या?
हमने कही नहीं तो।
उन्होंने हंसते हुए कहा कि जब से नई गाड़ी (बाइक) ली है, तब से नजर आना तो दूर बात भी नहीं हो रही है।
हमने कहा कि काम की व्यस्तता ज्यादा है।
उन्होंने कहा- तब तो ठीक है।
हमने पूछा कि कैसे याद किया?
उन्होंने बताया कि आज रविवार है तो हम भिलाई-दुर्ग के ब्लागर शाम को महफिल सजा रहे हैं सोचा आपको याद कर लिया जाए, क्योंकि आप तो पलक झपकते ही भिलाई पहुंच जाते हैं।
हमने कहा बात तो ठीक है, पर हम अभी मित्रों से साथ काम से बाहर जा रहे हैं, इस बार को आना संभव नहीं होगा। अगली बार जरूर महफिल में शरीक होंगे।
पाबला जी ने कहा ठीक है।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि काफी समय से हम लोगों की महफिल जम नहीं पा रही है। अब इसके पीछे जहां छत्तीसगढ़ में पड़ रही ताबड़तोड़़ गर्मी भी एक कारण है, तो वहीं एक कारण यह भी है कि हम लोगों में से किसी को समय मिलता है तो किसी को नहीं। ऐसे में महफिल का फोरम पूरा नहीं हो रहा है। जैसे ही महफिल का फोरम पूरा होगा सज जाएगी यारों की महिफल।
कोशिश करते हैं कि जल्द से जल्द किसी रविवार को सभी यार खाली रहे और सज जाए एक महफिल और गुजरे शाम सुहानी फिर लिखें सब मिलकर महफिल की कहानी।
4 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छे-
हमारे फ़ोन पर भी एक रिंग टोन
कई दिन से नहीं बजी है।
बहुत व्यस्त हो,नई बाईक की भी पार्टी होनी है।
वाह यारी हो तो ऐसी
हम तो इंतजार करते रह गए।
खैर, अगली बार सही।
...पर बाइक की पार्टी तो अपनी भी बनती है।
आज हिंदी ब्लागिंग का काला दिन है। ज्ञानदत्त पांडे ने आज एक एक पोस्ट लगाई है जिसमे उन्होने राजा भोज और गंगू तेली की तुलना की है यानि लोगों को लडवाओ और नाम कमाओ.
लगता है ज्ञानदत्त पांडे स्वयम चुक गये हैं इस तरह की ओछी और आपसी वैमनस्य बढाने वाली पोस्ट लगाते हैं. इस चार की पोस्ट की क्या तुक है? क्या खुद का जनाधार खोता जानकर यह प्रसिद्ध होने की कोशीश नही है?
सभी जानते हैं कि ज्ञानदत्त पांडे के खुद के पास लिखने को कभी कुछ नही रहा. कभी गंगा जी की फ़ोटो तो कभी कुत्ते के पिल्लों की फ़ोटूये लगा कर ब्लागरी करते रहे. अब जब वो भी खत्म होगये तो इन हरकतों पर उतर आये.
आप स्वयं फ़ैसला करें. आपसे निवेदन है कि ब्लाग जगत मे ऐसी कुत्सित कोशीशो का पुरजोर विरोध करें.
जानदत्त पांडे की यह ओछी हरकत है. मैं इसका विरोध करता हूं आप भी करें.
एक टिप्पणी भेजें