मुझे तो फी-मेल भी पसंद नहीं
एक मित्र से दूसरे ने पूछा- यार तुम्हें मेल पसंद है क्या? मेरे पास तो बहुत ज्यादा मेल आते हैं। इतने ज्यादा आते हैं कि मैं रात-दिन परेशान हो जाता हूं।
दूसरे ने कहा- न बाबा न.. अपनी ऐसी कोई आदत नहीं है, मुझे तो फी-मेल भी पसंद नहीं आती है, तुम तो फिर मेल की बात कर रहे हो। मैं वैसा नहीं हूं।
पहले ने गुस्से में कहा- अबे न जाने तू क्या समझ रहा है, मैं इंटरनेट ने आने वाले ई-मेल की बात कर रहा हूं।
दूसरा- तो ऐसा बोल न बे, तू मेल कहेंगे तो मैं क्या समझूंगा। वैसे भी आज कल कोर्ट ने भी इसकी मंजूरी दे रखी है।
2 टिप्पणियाँ:
...रोचक !!!
umda
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
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