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रविवार, मई 23, 2010

हमारे कम्प्यूटर ने तोड़ दिया दम-जल्द ठीक करवा लिए इसलिए नहीं है गम

घर से फोन आया कि न जाने क्या हो गया है घर के सारे के सारे इलेक्ट्रानिक सामानों की जान जा रही है। सबसे पहले कूलर, फिर कम्प्यूटर, टीवी और फिर पंखों के साथ कई सीएफएल उड़ गए। ये सब बिजली वालों की मेहरबानी से हुआ। अचानक घरों में 220 वोल्ट के स्थान पर 440 वोल्ट की सप्लाई आ गई और हमारी कालोनी के कई घरों के न जाने कितने इलेक्ट्रानिक सामानों की जान चली गई।
बात दो दिन पुरानी है। हम खेल विभाग में समाचार के लिए गए हुए थे कि अचानक घर से फोन आया कि कूलर में चिंगारी निकलने के बाद कम्प्यूटर में एक विस्फोट जैसा हुआ और कम्प्यूटर भी बंद हो गया। इस घटनाक्रम से हमारे बच्चे स्वप्निल राज ग्वालानी और सागर राज ग्वालानी बहुत डर गए थे। हम तुरंत घर पहुंचे। वैसे हमारी समझ मेें आ गया था कि आज बिजली वालों का कहर हमारे घर पर गिरा है। जब हम घर पहुंचे तो हमने जैसे ही किसी भी कमरे का सीएफएल चालू किया, वह उड़ गया। हमारे दो पंखें भी उड़ चुके थे। फ्रिज श्रीमती जी की सतर्कता के कारण बच गया। उनको लगा कि शायद इसका भी नंबर आ सकता है ऐसे में उन्होंने उसको बंद करके उसका स्विच निकाल दिया जिसके कारण वह बच गया।
अब ऐसे में जहां हमने सबसे पहला काम कूलर बनाने वाले मिस्त्री को बुलाने का किया, वहीं कम्प्यूटर इंजीनियर को भी बुलावा लिया। हमारे लिए फिलहाल ये दो प्रमुख सामान थे जिनके बिना रहना संभव नहीं था। कूलर वाले ने आकर जहां तुरंत कूलर का एगजाज बदल दिया, वहीं कम्प्यूटर वाले ने आकर कम्प्यूटर को एक घंटे में ही ठीक कर दिया। कम्प्यूटर के साथ हमारा साउंड बाक्स भी उड़ गया है जो अब तक नहीं बन पाया है। वैसे हमारे टीवी का डीटीएच भी उड़ गया है। उसको हम फिलहाल इसलिए ठीक नहीं करवा रहे हैं क्योंकि हमारे बालक की अभी परीक्षा है। उसका हाथ टूट गया था ऐसे में वह चार पेपर नहीं दे पाया था, ऐसे में उसको जून में परीक्षा देनी है।
हमने जब अचानक घरों के सामान के उडऩे का कारण पता लगाया तो मालूम हुआ कि जिस ट्रासंफार्मर से हमारे घर के साथ ही अनेकों घरों में सप्लाई गई है उस का तेल पूरी तरह से सूख गया था जिसके कारण घरों में 220 के स्थान पर 440 वोल्ट की सप्लाई चली गई और कई घरों के इलेक्ट्रानिक उपकरणों के बारह बज गए। हमने जहां इस खबर को अपने अखबार में हरिभूमि में प्रमुखता से छपवाया, वहीं अब हम लोग इस तैयारी में है कि अपने नुकसान की भरपाई के लिए बिजली विभाग के खिलाफ उपभोक्ता फोरम जाएं। कालोनी में जिनके घरों में नुकसान हुआ है उनसे बात हो रही है। बात होने के बाद फैसला किया जाएगा कि क्या करना है।
जहां हमें एक तरफ घर के सामानों के नुकसान होने का गम है, वहीं इस बात की खुशी है कि हमने अपने कम्प्यूटर को तुरंत ठीक करवा लिया और हमें ब्लाग जगत से ज्यादा समय के लिए दूर नहीं रहना पड़ा।

3 टिप्पणियाँ:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा रवि मई 23, 09:43:00 am 2010  

पहले कहानियों में पढते थे ना कि जादूगर की जान तोते में थी। राक्षस की जान कबूतर में थी। वैसे ही अपन लोगों की जान इन गोदी या मेज पर पड़ी मशीनों में जा बसी है। :-)

बेनामी,  रवि मई 23, 10:19:00 am 2010  

hmmm....
kya kahein ab bijli waalon ki galti ka khamiyaja aapko bhugatna pad raha hai..
aasha hai ab aisa kuch nahi hoga........

ummeed hai mere blog par bhi aapke darshan honge...
http://i555.blogspot.com/

Mishra Pankaj सोम मई 24, 06:08:00 am 2010  

दादा इसी बात का डर मै इस जंगल में झेल रहा हु यहाँ पर कंप्यूटर की दूकान दूर दूर तक नहीं है और बीजली का हाल ये है कि हफ्ते में एक दिन तो जरुर इस तरह का कहर ढाती है इसीलिए मै लैपटॉप को किसी तरह एक बार चार्ज होने के बाद तुरंत चार्जर अलग कर देता हु ..क्युकी जल गया तो सीधे दिल्ली काल रास्ता देखना होगा ..
फिलहाल पंतनगर के जंगल में मर रहा हु ....

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