अध्यक्ष-सचिव का कार्यकाल तय करने वाला नियम जल्द लागू हो
प्रदेश के कई खेल संघ चाहते हैं कि राज्य में खेल संघों के अध्यक्ष और सचिव के कार्यकाल तय करने वाला नियम जल्द लागू हो। महाराष्ट्र में इस नियम के लागू होने के बाद यहां के खेल संघों का ऐसा मानना है कि प्रदेश की खेलमंत्री लता उसेंडी को इस दिशा में पहल करते हुए यह नियम लागू करवाने की पहल करनी चाहिए। वैसे खेल विभाग ने केन्द्रीय मंत्रालय द्वारा नियम लागू करते ही इस नियम को राज्य में लागू करने के लिए एक प्रस्ताव बनाकर प्रदेश के मंत्रालय को भेज दिया है।
भारतीय ओलंपिक संघ भले केन्द्रीय खेल मंत्रालय के खेल संघों पर लगाम लगाने वाले नियम को खारिज कर चुका है और आईओए के इस फैसले से प्रदेश का ओलंपिक संघ सहमत भी है। लेकिन जहां तक प्रदेश के खेल संघों का सवाल है तो खेल संघों में इस बात को लेकर एक राय नहीं है। कुछ खेल संघों को छोड़कर ज्यादातर खेल संघों के अध्यक्ष और सचिव इस पक्ष में हैं कि यह नियम लागू होना ही चाहिए। वालीबॉल संघ के सचिव मो. अकरम खान ने एक बार फिर से कहा कि वे पहले ही कह चुके हैं कि यह नियम बिलकुल ठीक है और वे इस नियम को राज्य में लागू करवाने के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि अगर आज यह नियम लागू हो और कल हमारे संघ का चुनाव होता है तो वे अपना पद छोडऩे के लिए तैयार हैं।
कैरम संघ के सचिव विजय कुमार भी कहते हैं कि खेल संघों के लिए यह नियम ठीक है। हम लोग भी बरसों से संघ के पद का बोङा लेकर परेशान हैं। हम लोग अपनी खुशी से पद पर नहीं हैं। अब इसका क्या किया जाए कि संघ में हमें योग्य मानकर बार-बार चुन लिया जाता है। अगर संघ में नए लोग आएंगे तो जरूर संघ का फायदा होगा। फिर हम लोग तो संघ की मदद करने के लिए बैठे ही हैं। कराते संघ के अजय साहू कहते हैं कि खेल संघों के पदों पर लगातार बने रहने का मतलब नहीं है। बदलाव तो होना ही चाहिए। फुटबॉल संघ से जुड़े मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं कि केन्द्र सरकार ने जो कदम उठाया है, वह कदम वास्तव में सराहनीय है। बरसों से संघों पर कब्जा जमाकर बैठे पदाधिकारियों को अपने पद का मोह त्यागकर दूसरों को मौका देना चाहिए। अगर संघों के पदाधिकारियों की तरह खिलाड़ी भी यह सोचे कि वही खेलते रहेंगे तो नए खिलाडिय़ों को मौैका कैसे मिलेगा। खेल संघों के पदाधिकारियों को भी खेल भावना का परिचय देते हुए संघों के पदों का मोह छोड़ देना चाहिए। फुटबॉल संघ के दिवाकर थिटे कहते हैं कि हमारे राज्य फुटबॉल संघ में हमेशा बदलाव हुआ है और अध्यक्ष और सचिव बदलते रहे हैं। बिना बदलाव के संघ को मजबूत नहीं किया जा सकता है।
प्रदेश ओलंपिक संघ के संरक्षक और नेटबॉल संघ के अध्यक्ष विधान मिश्रा का मानना है कि केन्द्र सरकार ने जो नियम बनाया है तो उस नियम के पीछे कारण है। वास्तव में राष्ट्रीय खेल संघों के पदों पर बरसों से पदाधिकारी जम हुए हैं। उन्होंने एक बार फिर से कहा कि इस नियम के छत्तीसगढ़ में लागू होने से कोई फर्क पडऩे वाला नहीं है। हमारे राज्य में खेल संघों के बीच ऐसा भाई-चारा है कि यहां तो किसी भी तरह का विवाद नहीं होगा। इसी के साथ उन्होंने कहा कि हमारे राज्य के खेल संघों के पदाधिकारी तो संघों की अदला-बदली भी कर सकते हैं। इससे जहां नए खेलों का अनुभव मिलेगा, वहीं जो पदाधिकारी खेलों का भला कना चाहते हैं वे खेलों का भला करने का काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह बात तय है कि इस नियम से खेल माफिया का काम करने वालों को जरूर परेशानी हो सकती है। श्री मिश्रा ने साफ कहा कि क्यों कर अपने राज्य के खेल संघों के पदाधिकारी दुबले होने का काम कर रहे हैं। हमने राज्य में ऐसे कितने संघ हैं जिनके पदाधिकारियों को सरकारी खर्च पर विदेश यात्रा पर जाने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि अपने राज्य के संघों के पदाधिकारियों को तो देश में ही टीमों के साथ मौका नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि इस नियम से राष्ट्रीय संघों के पदाधिकारियों के पेट में जरूर दर्द हो रहा है जिसके कारण इसका विरोध हो रहा है। टेबल टेनिस संघ के अध्यक्ष शरद शुक्ला कहते हैं कि हमारे संघ में भी लगातार पदाधिकारी बदलते रहे हैं। संघों में एक ही पद पर बने रहना का मतलब नहीं होता है।
ज्यादातर खेल संघों के पदाधिकारी कहते हैं कि इस नियम को प्रदेश में लागू करवाने के लिए खेलमंत्री लता उसेंडी को पहल करनी चाहिए। उन्होंने अगर ऐसा कर दिया इसमें कोई दो मत नहीं है कि उनका नाम खेल जगत के इतिहास में दर्ज हो जाएगा। खेलमंत्री को खेल संघों के पदाधिकारियों ने सलाह देते हुए कहा कि उनको इस नियम को जल्द लागू करवाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से बात करनी चाहिए।
ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन नहीं
खेलों के जानकारों ने एक बार फिर दावा किया है कि भारतीय ओलंपिक संघ ओलंपिक चार्टर के उल्लंघन होने की गलत दुहाई दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक चार्टर में अध्यक्ष का कार्यकाल १२ साल और सचिव का कार्यलय ८ साल तय किया गया है। जानकार साफ कहते हैं कि केन्द्रीय खेल मंत्री एमएस गिल ने अगर यह नियम लागू करवाया है तो कुछ सोच समङा कर ही करवाया है। केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने भी अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक चार्टर का अवलोकन कर लिया है। अब यह बात अलग है कि भारतीय ओलंपिक संघ के पदाधिकारी खेल संघों को गुमराह करने के लिए यह बात कह रहे हैं कि ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन किया जा रहा है।
भारतीय ओलंपिक संघ भले केन्द्रीय खेल मंत्रालय के खेल संघों पर लगाम लगाने वाले नियम को खारिज कर चुका है और आईओए के इस फैसले से प्रदेश का ओलंपिक संघ सहमत भी है। लेकिन जहां तक प्रदेश के खेल संघों का सवाल है तो खेल संघों में इस बात को लेकर एक राय नहीं है। कुछ खेल संघों को छोड़कर ज्यादातर खेल संघों के अध्यक्ष और सचिव इस पक्ष में हैं कि यह नियम लागू होना ही चाहिए। वालीबॉल संघ के सचिव मो. अकरम खान ने एक बार फिर से कहा कि वे पहले ही कह चुके हैं कि यह नियम बिलकुल ठीक है और वे इस नियम को राज्य में लागू करवाने के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि अगर आज यह नियम लागू हो और कल हमारे संघ का चुनाव होता है तो वे अपना पद छोडऩे के लिए तैयार हैं।
कैरम संघ के सचिव विजय कुमार भी कहते हैं कि खेल संघों के लिए यह नियम ठीक है। हम लोग भी बरसों से संघ के पद का बोङा लेकर परेशान हैं। हम लोग अपनी खुशी से पद पर नहीं हैं। अब इसका क्या किया जाए कि संघ में हमें योग्य मानकर बार-बार चुन लिया जाता है। अगर संघ में नए लोग आएंगे तो जरूर संघ का फायदा होगा। फिर हम लोग तो संघ की मदद करने के लिए बैठे ही हैं। कराते संघ के अजय साहू कहते हैं कि खेल संघों के पदों पर लगातार बने रहने का मतलब नहीं है। बदलाव तो होना ही चाहिए। फुटबॉल संघ से जुड़े मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं कि केन्द्र सरकार ने जो कदम उठाया है, वह कदम वास्तव में सराहनीय है। बरसों से संघों पर कब्जा जमाकर बैठे पदाधिकारियों को अपने पद का मोह त्यागकर दूसरों को मौका देना चाहिए। अगर संघों के पदाधिकारियों की तरह खिलाड़ी भी यह सोचे कि वही खेलते रहेंगे तो नए खिलाडिय़ों को मौैका कैसे मिलेगा। खेल संघों के पदाधिकारियों को भी खेल भावना का परिचय देते हुए संघों के पदों का मोह छोड़ देना चाहिए। फुटबॉल संघ के दिवाकर थिटे कहते हैं कि हमारे राज्य फुटबॉल संघ में हमेशा बदलाव हुआ है और अध्यक्ष और सचिव बदलते रहे हैं। बिना बदलाव के संघ को मजबूत नहीं किया जा सकता है।
प्रदेश ओलंपिक संघ के संरक्षक और नेटबॉल संघ के अध्यक्ष विधान मिश्रा का मानना है कि केन्द्र सरकार ने जो नियम बनाया है तो उस नियम के पीछे कारण है। वास्तव में राष्ट्रीय खेल संघों के पदों पर बरसों से पदाधिकारी जम हुए हैं। उन्होंने एक बार फिर से कहा कि इस नियम के छत्तीसगढ़ में लागू होने से कोई फर्क पडऩे वाला नहीं है। हमारे राज्य में खेल संघों के बीच ऐसा भाई-चारा है कि यहां तो किसी भी तरह का विवाद नहीं होगा। इसी के साथ उन्होंने कहा कि हमारे राज्य के खेल संघों के पदाधिकारी तो संघों की अदला-बदली भी कर सकते हैं। इससे जहां नए खेलों का अनुभव मिलेगा, वहीं जो पदाधिकारी खेलों का भला कना चाहते हैं वे खेलों का भला करने का काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह बात तय है कि इस नियम से खेल माफिया का काम करने वालों को जरूर परेशानी हो सकती है। श्री मिश्रा ने साफ कहा कि क्यों कर अपने राज्य के खेल संघों के पदाधिकारी दुबले होने का काम कर रहे हैं। हमने राज्य में ऐसे कितने संघ हैं जिनके पदाधिकारियों को सरकारी खर्च पर विदेश यात्रा पर जाने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि अपने राज्य के संघों के पदाधिकारियों को तो देश में ही टीमों के साथ मौका नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि इस नियम से राष्ट्रीय संघों के पदाधिकारियों के पेट में जरूर दर्द हो रहा है जिसके कारण इसका विरोध हो रहा है। टेबल टेनिस संघ के अध्यक्ष शरद शुक्ला कहते हैं कि हमारे संघ में भी लगातार पदाधिकारी बदलते रहे हैं। संघों में एक ही पद पर बने रहना का मतलब नहीं होता है।
ज्यादातर खेल संघों के पदाधिकारी कहते हैं कि इस नियम को प्रदेश में लागू करवाने के लिए खेलमंत्री लता उसेंडी को पहल करनी चाहिए। उन्होंने अगर ऐसा कर दिया इसमें कोई दो मत नहीं है कि उनका नाम खेल जगत के इतिहास में दर्ज हो जाएगा। खेलमंत्री को खेल संघों के पदाधिकारियों ने सलाह देते हुए कहा कि उनको इस नियम को जल्द लागू करवाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से बात करनी चाहिए।
ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन नहीं
खेलों के जानकारों ने एक बार फिर दावा किया है कि भारतीय ओलंपिक संघ ओलंपिक चार्टर के उल्लंघन होने की गलत दुहाई दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक चार्टर में अध्यक्ष का कार्यकाल १२ साल और सचिव का कार्यलय ८ साल तय किया गया है। जानकार साफ कहते हैं कि केन्द्रीय खेल मंत्री एमएस गिल ने अगर यह नियम लागू करवाया है तो कुछ सोच समङा कर ही करवाया है। केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने भी अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक चार्टर का अवलोकन कर लिया है। अब यह बात अलग है कि भारतीय ओलंपिक संघ के पदाधिकारी खेल संघों को गुमराह करने के लिए यह बात कह रहे हैं कि ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन किया जा रहा है।
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