राज्योत्सव में भी कामनवेल्थ जैसा भ्रष्टाचार
राज्योत्सव की इस समय छत्तीसगढ़ में धूम है और कल उसका अंतिम दिन है। हमें कल ही हमारे एक आईपीएस मित्र ने बताया कि उनके विभाग का एक डोम राज्योत्सव में लगा है। उस डोम के लिए ठेका देने वाली कंपनी से जब नीचे कारपेड लगाने की बात की गई तो मालूम हुआ कि डोम में जितनी जगह है उस जगह में कारपेड लगाने का किराया एक सप्ताह का करीब साढ़े तीन लाख रुपए लगेगा। जब बाजार में उतनी जगह के लिए नए कारपेड की कीमत मालूम की गई तो मालूम हुआ कि ढाई लाख में नया कारपेड आ जाएगा। उन अफसर ने यह सब सुनकर अपना सिर पकड़ लिया और कहने लगे कि यार भ्रष्टाचार की तो हद हो गई।
वास्तव में यह तो एक महज उदाहरण है, ऐसे ही और न जाने कितने सामानों में क्या-क्या नहीं होता है। राज्योत्सव के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जाते हैं और इसका विरोध कोई नहीं करता है। विरोध करेगा भी कौन। अब आम जनता तो विरोध करने से रही, क्योंकि जनता के विरोध से कुछ होता नहीं है। अब रही बात विरोधी पार्टी कांग्रेस की तो वह भला क्यों कर विरोध करेगी। उसे अच्छी तरह से मालूम है कि आज नहीं तो कल उसकी बारी भी आएगी और जब बारी आएगी तो वह भी कूद-कूद कर राज्योत्सव के नाम पर कमाई करेगी। ऐसे में जबकि चोर-चोर मौसेरे भाई हैं तो फिर भला विरोध कैसे होगा। कुल मिलाकर आम जनता के खून-पसीने की कमाई को बर्बादी हो रही है और सब तमाश देख रहे हैं। जनता को लूभाने के नाम पर जब सलमान खान जैसे स्टार बुलाए जाते हैं तो आम जनता के हिस्से में आती हैं पुलिस की लाठियां और सलमान खान को गोद में बिठाने का काम वीआईपी करते हैं। ऐसे आयोजनों पर विराम लगना चाहिए। राज्योत्सव के नाम पर खर्च किए जाने वाले करोड़ों को अगर राज्य में विकास के कामों में लगाया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा।