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रविवार, अगस्त 08, 2010

दो पैसे में टेबल क्लाथ

टेंट के किराए में एक नया अध्याय जोड़ते हुए खेल विभाग ने पैसों में निविदा आमंत्रित करके इस निविदा में ही शासन के ५० लाख से ज्यादा की बचत कर दी है। इस निविदा में दस रुपए के किराए में मिलने वाला टेबल क्लाथ अब महज एकऔर दो पैसे में मिल रहा है। इसी के साथ कुल २८ सामानों की निविदा में शासन का लाखों बचाने में खेल विभाग सफल हो गया है। खेल विभाग की इस निविदा के बाद राज्य शासन के अन्य विभागों में हड़कंप मच गया है।
खेल विभाग ने अपने विभाग की फिजूलखर्जी पर लगाम लगाने के लिए पहली बार राज्य स्तर पर टेंट के लिए निविदा निकाली। इस निविदा की  खासियत यह रही है कि इसे अन्य विभागों की तरह रुपए में न मंगाकर पैसों में मंगाया गया। इसका यह फायदा हुआ है कि जो सामग्री रुपए में किराए में ली जाती थी वह अब पैसों में मिल रही है। खेल विभाग ने इस निविदा पर एक माह तक मेहनत करने के बाद अंतत: पूरे राज्य के १८ जिलों में होने वाले सभी आयोजनों में टेंट लगाने का जिम्मा एमपी किराया भंडार को दिया गया है। इसी फर्म ने जहां २८ सामानों में सबसे ज्यादा सामानों के लिए सबसे कम रेट दिए थे, वहीं अन्य सामानों के जिन फर्मों के रेट सबसे कम हैं, उन सामानों को भी उसी कम रेट में देने की सहमति देने पर ठेका इस फर्म को दे दिया गया है।
जिस फर्म को काम दिया गया है उस फर्म ने जहां १० रुपए के किराए पर मिलने वाले टेबल क्लाथ को एक से सात दिनों के लिए दो पैसे में देना मंजूर किया है, वहीं सात दिनों से ज्यादा के लिए किराया एक पैसे रखा है। इसी तरह से जिस कुर्सी का किराया पहले पांच रुपए देना पड़ता था, वह कुर्सी महज ९० पैसे किराए पर मिल रही है। खिलाडिय़ों के लिए बिस्तर में गद्दा, चादर और तकिया पहले १५ रुपए के किराए पर लेना पड़ता था, लेकिन अब यह तीन रुपए में मिलेगा। इसी तरह से स्टेज चेयर १२ रुपए की बजाए एक रुपए दस पैसे, दरी ८ रुपए के स्थान पर १९ पैसे में, सोफा २२ रुपए के स्थान पर २.८० रुपए, वीआईपी चेयर १० रुपए के स्थान पर १.८० रुपए, सफेद पर्दा दो रुपए के स्थान पर १४ पैसे, शामियाना वाटर प्रफू तीन रुपए स्क्वैयर फीट के स्थान पर २९ पैसे स्क्वैयर फीट, डोम वाटर प्रफू ८ रुपए के स्थान पर ४.१० रुपए स्क्वैयर फीट में लगेगा। कुल मिलाकर २८ सामानों में बहुत ज्यादा का फर्क आया है। टेंट व्यापार से जुड़े लोगों के साथ खेल विभाग के भी कई जानकारों का साफ कहना है कि इस एक निविदा से ही शासन को करीब ५० लाख से ज्यादा की बजत एक साल में हो जाएगी।
दूसरे विभागों मचेगा हड़कंप
खेल विभाग की निविदा के बाद एक बात तय मानी जा रही है कि अब उन विभागों के लिए परेशानी खड़ी होने वाली है जो विभाग पैसों के स्थान पर रुपए में निविदा मंगाकर शासन के लाखों रुपए का नुकसान करते हैं।
फिजूलखर्ची बचाने की पहल:खेल संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि वे जबसे खेल विभाग में आए हैं देख रहे हैं कि टेंट के नाम से बहुत ज्यादा फिजूलखर्ची की जा रही है। इसी पर लगाम लगाने के लिए पैसों में निविदा मंगाकर एक फर्म को साल भर  राज्य के हर जिले में खेल विभाग के होने वाले कार्यक्रमों में टेंट लगाने का जिम्मा दिया गया है। 


1 टिप्पणियाँ:

अन्तर सोहिल सोम अग॰ 09, 11:45:00 am 2010  

वाह!
हैरत भी है!

प्रणाम

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