एक के बदले दूसरी नौकरी की इजाजत नहीं
प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को एक नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी चुनने की इजाजत अभी नहीं दी गई है। रेलवे के साथ छत्तीसगढ़ शासन में काम कर रहे खिलाडिय़ों को इस बात से झटका लगा है। लेकिन खेल विभाग से सामान्य प्रशासन से आग्रह किया है कि खिलाडिय़ों को नौकरी चुनने की मंजूरी दी जाए ताकि रेलवे के खिलाड़ी अगर यहां आना चाहे तो आ जाए। ऐसा होने से प्रदेश की टीमें मजबूत हो जाएंगी।
राज्य के ७० उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए प्रदेश सरकार ने नौकरी के दरवाजे खोल दिए हैं। ऐसे में करीब दो दर्जन खिलाड़ी खेल विभाग में ही नौकरी की अर्जी लगा चुके हैं। इन खिलाडिय़ों में कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो पहले से नौकरी में हैं। लेकिन इन खिलाडिय़ों को अपनी पसंद का विभाग मिलने वाला नहीं है। सामान्य प्रशासन ने जो नियम जारी किए हैं उसमें उन्हीं खिलाडिय़ों को नौकरी में रखने की बात है जिनके पास रोजगार नहीं है। जो खिलाड़ी पहले से ही रेलवे या फिर छत्तीसगढ़ शासन के ही किसी विभाग में काम कर रहे हैं वे अपनी पहली नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। पहले से नौकरी करने वाले खिलाडिय़ों का ऐसा कहना है कि उनको खेल कोटे में नौकरी नहीं मिली है जिसके कारण उनको वो सारी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जो खेल कोटे के खिलाडिय़ों को मिलनी चाहिए। ऐसे में ये खिलाड़ी खेल कोटे में नौकरी करने के इच्छुक हैं।
इधर रेलवे में काम करने वाले कुछ खिलाड़ी भी अपने राज्य में नौकरी करना चाहते हैं। इन खिलाडिय़ों का कहना है कि वे अपने राज्य में नौकरी करेंगे तो अपने राज्य की टीम से खेलकर राज्य की टीम को मजबूत करेंगे। लेकिन इन खिलाडिय़ों के लिए यह परेशानी का सबब है कि इनको ऐसा करने का मौका नहीं मिलने वाला है। सामान्य प्रशासन के नियम आड़े आ रहे हैं।
खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि सामान्य प्रशासन के नियम में खिलाडिय़ों को नौकरी चुनने की स्वतंत्रता नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे विभाग ने सामान्य प्रशासन को एक प्रस्ताव भेजा है कि नियमों में फेरबदल किया जाए ताकि खिलाडिय़ों को नौकरी चुनने का मौका मिल सके। उन्होंने उम्मीद जताई का नियमों में संशोधन हो जाएगा।
राज्य के ७० उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए प्रदेश सरकार ने नौकरी के दरवाजे खोल दिए हैं। ऐसे में करीब दो दर्जन खिलाड़ी खेल विभाग में ही नौकरी की अर्जी लगा चुके हैं। इन खिलाडिय़ों में कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो पहले से नौकरी में हैं। लेकिन इन खिलाडिय़ों को अपनी पसंद का विभाग मिलने वाला नहीं है। सामान्य प्रशासन ने जो नियम जारी किए हैं उसमें उन्हीं खिलाडिय़ों को नौकरी में रखने की बात है जिनके पास रोजगार नहीं है। जो खिलाड़ी पहले से ही रेलवे या फिर छत्तीसगढ़ शासन के ही किसी विभाग में काम कर रहे हैं वे अपनी पहली नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। पहले से नौकरी करने वाले खिलाडिय़ों का ऐसा कहना है कि उनको खेल कोटे में नौकरी नहीं मिली है जिसके कारण उनको वो सारी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जो खेल कोटे के खिलाडिय़ों को मिलनी चाहिए। ऐसे में ये खिलाड़ी खेल कोटे में नौकरी करने के इच्छुक हैं।
इधर रेलवे में काम करने वाले कुछ खिलाड़ी भी अपने राज्य में नौकरी करना चाहते हैं। इन खिलाडिय़ों का कहना है कि वे अपने राज्य में नौकरी करेंगे तो अपने राज्य की टीम से खेलकर राज्य की टीम को मजबूत करेंगे। लेकिन इन खिलाडिय़ों के लिए यह परेशानी का सबब है कि इनको ऐसा करने का मौका नहीं मिलने वाला है। सामान्य प्रशासन के नियम आड़े आ रहे हैं।
खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि सामान्य प्रशासन के नियम में खिलाडिय़ों को नौकरी चुनने की स्वतंत्रता नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे विभाग ने सामान्य प्रशासन को एक प्रस्ताव भेजा है कि नियमों में फेरबदल किया जाए ताकि खिलाडिय़ों को नौकरी चुनने का मौका मिल सके। उन्होंने उम्मीद जताई का नियमों में संशोधन हो जाएगा।
2 टिप्पणियाँ:
सुन्दर पोस्ट, छत्तीसगढ मीडिया क्लब में आपका स्वागत है.
एक अच्छी पोस्ट । बधाई भाई -आशुतोष मिश्र
एक टिप्पणी भेजें