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रविवार, अगस्त 22, 2010

ये पतित पावन है या रावण ...

हमारे ब्लाग में कोई बंदा काफी समय से पतित पावन के नाम से फर्जी आईडी बनाकर कुछ भी अनाप-शनाप टिप्पणियां कर रहा है। इनकी टिप्पणियों से ही परेशान होकर हमें मॉडरेशन का सहारा लेना पड़ा। इसके पहले भी कई ऐसे बेशर्म फर्जी आईडी से आए हैं, लेकिन इस पतित पावन जैसा बेशर्म हमने नहीं देखा है। हमें समझ में नहीं आता है कि ये पतित पावन है या रावण जो नहा-धोकर बेवजह हमारे पीछे पड़े हुए हैं। अरे भाई साहब या फिर बहनजी आप जो भी हैं, अगर आप हमारे दुश्मन हैं और दुश्मनी करने का दम रखते हैं तो अपने असली नाम और पहचान के साथ सामने आए न। अगर आप सामने आकर बात करें तो हम आपकी हर बात का जवाब देने को तैयार हैं। अगर सामने आने की हिम्मत नहीं है तो हम ऐसे लोग से न तो बात करना पसंद करते हैं और न ही इनकी बातों का जवाब देना।
आपकी टिप्पणी को प्रकाशित करना हमारे लिए जरूरी नहीं है, क्योंकि ब्लाग हमारा है हमें जो लगेगा कि ठीक है, उसी को प्रकाशित करेंगे आप अपनी असली पहचान के साथ सामने आकर टिप्पणी करें फिर उस टिप्पणी में हमारी कितनी भी आलोचना हो या फिर आप चाहे गालियां दें हम उसे जरूर प्रकाशित करेंगे यह हमारा वादा है। आप अच्छी तरह से जानते हैं कि आपने अगर अपनी असली पहचान के साथ कुछ भी उलटा सीधा लिखा तो उसका अंजाम क्या हो सकता है। दरअसल में आप एक डरपोक और वाहियात किस्म के इंसान हैं। या फिर कोई सनकी हैं जिनको किसी को भी परेशान करने में मजा आता है। हम जानते हैं कि आप कहां से आते हैं। हम यह भी जानते हैं कि आपकी मानसिकता क्या है।
आप बार-बार कहते हैं हम ऐसा कौन सा महान काम कर रहे हैं जिससे हमें रोकने का काम किया जा रहा है। वैसे तो कायदे से आप जैसे इंसान की इस बात का जवाब नहीं देना चाहिए, फिर भी हम बता दें कि हम कोई महान काम तो नहीं लेकिन ब्लाग जगत में फैली गुटबाजी को समाप्त करने की एक पहल पर काम कर रहे हैं। हमें तो लगता है जिनको यह पहल रास नहीं आ रही है उन्हीं में से आप भी एक हैं। लेकिन किसी को हमारी बात पसंद आए या न आए इससे हमें क्या। हमें लगा कि ब्लाग जगत बिना वजह गुटबाजी में अपना समय खराब कर रहा है। अगर गुटबाजी ही करनी है तो एकता की गुटबाजी करें। हम सभी को एक होकर ब्लाग जगत में कुछ अच्छा करने की दिशा में सोचना चाहिए। लेकिन कोई सोचेगा कैसे बीच में ये फर्जी आईडी बनाकर पतित पावन जैसे रावण जो सामने आ जाते हैं। अब ऐसे रावणों से निपटना तो हर किसी के बस में नहीं है न। खैर ऐसे रावणों को मारने वाले रामों की भी अपने देश में कमी नहीं है। भगवान ऐसे रावणों का भी भला करें जो दूसरों का हमेशा बुरा चाहते हैं।
तो मिस्टर पतित पावन हम फिर कह रहे हैं कि अगर दम है तो अपने असली वजूद के साथ सामने आकर बात करें। कभी पतित पावन, कभी तहसीलदार तो कभी मूलचंदानी  या फिर किसी भी नाम से आने से कुछ नहीं होता है। हमें न तो टिप्पणियों की भूख है न ही ब्लाग में लिखने की मजबूरी। हमें कोई छपास रोग नहीं है। हम बता दें कि हम रायपुर के एक प्रतिष्ठित अखबार में काम करते हैं और साथ ही एक पत्रिका भी निकालते हैं। हम जो चाहते हैं उसे अखबार और पत्रिका में लिख लेते हैं। लगता है कि आप ही कुंठित हैं क्योंकि आप कहीं कुछ लिख नहीं पाते हैं इसलिए लिखने वालों को ही परेशान करने का अभियान चला रखा है। करते रहे आप अपना काम, लेकिन अब आप कम से कम हमें परेशान नहीं कर पाएंगे। क्योंकि आपका लिखा अब कचरा दान में ही जाएगा, इसलिए अपना समय खराब करने से बेहतर है कि कोई दूसरा शिकार तलाश करें।

2 टिप्पणियाँ:

Smart Indian रवि अग॰ 22, 06:48:00 pm 2010  

सौ बात की एक बात - टिप्पणी मॉड्रेशन समय की ज़रूरत है।

अन्तर सोहिल सोम अग॰ 23, 01:10:00 pm 2010  

सच्चाई ये है कि ये बेनामी हममें से ही होते हैं और दोगली प्रजाति के होते हैं। जो कहते कुछ हैं, करते कुछ हैं और दिल में कुछ और ही होता है। असली आईडी से आने पर इन्हें डर लगता है, क्योंकि सभी लोग तो इन्हें जानते हैं या इनके लिखे हुये से इन्हें पहचानते हैं और इन्हें सम्मान देते हैं, अच्छा आदमी बताते हैं। असली पहचान से ये लोग वह बात नही कह सकते, जो ये कहना चाहते हैं। जो सचमुच इनका चरित्र है।

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