क्या उनके घर में मां-बहनें नहीं हैं?
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में फ्रेडशिप डे के दिन धर्मसेना और बजरंग दल के युवाओं ने शहर की युवतियों और युवकों के साथ जो किया उसको लेकर पूरे शहर के साथ विधानसभा में भी बवाल मच गया। हर तरफ से बस एक ही सवाल दागा गया कि क्या ऐसा करने वालों के घरों में मां-बहनें नहीं हैं। तमाशाबीन बने पुलिस अफसरों के साथ नंगा नाच करने वालों पर भी अंतत: गाज गिरी। पुलिस वाले जहां निलंबति किए गए, वहीं संस्कृति के नाम पर नंगा खेल खेलने वालों को पुलिस ने रात भर घुम-घुम कर खोजा और पकड़ कर अदालत में पेश किया।
फ्रेडशिप डे के दिन रायपुर में धर्मसेना और बजरंग दल के गुंडों ने जो नंगा नाच खेला उसकी खबरें अखबारों प्रकाशित होने के बाद पूरा शहर जाग गया। इसी के साथ जाग गए विपक्षी नेता। एक तरफ से नागरिकों ने संबंधित थाना क्षेत्र का घेराव कर दिया, वहीं विपक्ष के नेताओं ने विधानसभा में बवाल मचा दिया कि यह कैसी कानून व्यवस्था है जो संस्कृति के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों को पकडऩे की बजाए सामने खड़े होकर तमाशा देखती है। इस मामले ने इतना ज्यादा तूल पकड़ा कि अंतत: तमाशाबीन बने तमाशा देखने वाले सभी पुलिस वालों को निलंबित किया गया। इसी के साथ गुंडागर्दी करने वाले सभी बजरंगियों को पकड़कर पहले थाने लाया गया इसके बाद उनको अदालत में पेश किया गया। पूरे शहर के लोग कल दिन भर एक ही सवाल करते रहे कि क्या ऐसी हरकतें करने वालों के घरों में मां-बहने नहीं हैं। हम एक बात बता दें कि अगर नंगा नाच करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हुई है तो उसके पीछे मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है। हमारी कल की पोस्ट में एक सज्जन ने टिप्पणी देते हुए कहा था कि फोटोग्राफरों ने गुंडागर्दी करने वालों को रोका क्यों नहीं। अगर फोटोग्राफर उनको रोकने में लगते तो वे तो अपना काम कर ही लेते, पर फोटो नहीं खींची जाती और फोटो नहीं खींची जाती तो वह छपती नहीं और अगर ऐसी फोटो छपती नहीं तो ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी नहीं होती। मीडिया ने जिस तरह के सवाल जवाब अफसरों ने लेकर मंत्रियों से किए उसी का नतीजा यह रहा कि पुलिस अफसरों को कार्रवाई करने मजबूर होना पड़ा।
चलिए कम से कम संस्कृति के नाम से खिलवाड़ करने वालों को जेल की हवा खाने से कुछ तो सबक मिलेगा। अब भविष्य में वे ऐसा करने से पहले जरूर सोचेंगे कि ऐसा करें या न करें। हम एक बात बता दें कि अक्सर ऐसा तमाशा करने वाले तमाशा करने से पहले प्रेस फोटोग्राफरों को फोन करके बुलाते हैं। एक अगस्त को भी उन्होंने ऐसा किया था, पर तब उनको यह मालूम नहीं था कि उनकी यही हरकतें उनको भारी पड़ जाएगी। फोटोग्राफर भी नहीं जानते थे कि ये इतनी ज्यादा नंगाई पर उतर आएंगे। हमारे एक फोटोग्राफर मित्र ने बताया कि बजरंगी तो युवक और युवतियों के सर के बाल कटवाकर उनको गंजा करना चाहते थे, फोटोग्राफरों ने उनको ऐसा करने से रोका। बहरहाल चलिए कभी तो बुरे काम का बुरा नतीजा सामने आया।
फ्रेडशिप डे के दिन रायपुर में धर्मसेना और बजरंग दल के गुंडों ने जो नंगा नाच खेला उसकी खबरें अखबारों प्रकाशित होने के बाद पूरा शहर जाग गया। इसी के साथ जाग गए विपक्षी नेता। एक तरफ से नागरिकों ने संबंधित थाना क्षेत्र का घेराव कर दिया, वहीं विपक्ष के नेताओं ने विधानसभा में बवाल मचा दिया कि यह कैसी कानून व्यवस्था है जो संस्कृति के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों को पकडऩे की बजाए सामने खड़े होकर तमाशा देखती है। इस मामले ने इतना ज्यादा तूल पकड़ा कि अंतत: तमाशाबीन बने तमाशा देखने वाले सभी पुलिस वालों को निलंबित किया गया। इसी के साथ गुंडागर्दी करने वाले सभी बजरंगियों को पकड़कर पहले थाने लाया गया इसके बाद उनको अदालत में पेश किया गया। पूरे शहर के लोग कल दिन भर एक ही सवाल करते रहे कि क्या ऐसी हरकतें करने वालों के घरों में मां-बहने नहीं हैं। हम एक बात बता दें कि अगर नंगा नाच करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हुई है तो उसके पीछे मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है। हमारी कल की पोस्ट में एक सज्जन ने टिप्पणी देते हुए कहा था कि फोटोग्राफरों ने गुंडागर्दी करने वालों को रोका क्यों नहीं। अगर फोटोग्राफर उनको रोकने में लगते तो वे तो अपना काम कर ही लेते, पर फोटो नहीं खींची जाती और फोटो नहीं खींची जाती तो वह छपती नहीं और अगर ऐसी फोटो छपती नहीं तो ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी नहीं होती। मीडिया ने जिस तरह के सवाल जवाब अफसरों ने लेकर मंत्रियों से किए उसी का नतीजा यह रहा कि पुलिस अफसरों को कार्रवाई करने मजबूर होना पड़ा।
चलिए कम से कम संस्कृति के नाम से खिलवाड़ करने वालों को जेल की हवा खाने से कुछ तो सबक मिलेगा। अब भविष्य में वे ऐसा करने से पहले जरूर सोचेंगे कि ऐसा करें या न करें। हम एक बात बता दें कि अक्सर ऐसा तमाशा करने वाले तमाशा करने से पहले प्रेस फोटोग्राफरों को फोन करके बुलाते हैं। एक अगस्त को भी उन्होंने ऐसा किया था, पर तब उनको यह मालूम नहीं था कि उनकी यही हरकतें उनको भारी पड़ जाएगी। फोटोग्राफर भी नहीं जानते थे कि ये इतनी ज्यादा नंगाई पर उतर आएंगे। हमारे एक फोटोग्राफर मित्र ने बताया कि बजरंगी तो युवक और युवतियों के सर के बाल कटवाकर उनको गंजा करना चाहते थे, फोटोग्राफरों ने उनको ऐसा करने से रोका। बहरहाल चलिए कभी तो बुरे काम का बुरा नतीजा सामने आया।
9 टिप्पणियाँ:
फोटोग्राफरों का धन्यवाद।
बुरे काम का बुरा नतीजा सामने आया।
..sach kaha aapne
aise logon ko kadi se kadi saja honi chahiye... virodh karne ka bhi to koi tareeka hota hai... koi galat baat to nahi friendship day manana!
फोटोग्राफरों का धन्यवाद।
Prasuti ke liye aapka aabhar
बुरे काम का बुरा नतीजा सामने आया।
..sach kaha aapne
aise logon ko kadi se kadi saja honi chahiye... virodh karne ka bhi to koi tareeka hota hai... koi galat baat to nahi friendship day manana!
फोटोग्राफरों का धन्यवाद।
Prasuti ke liye aapka aabhar
सही हुआ
ऐसे लोगों को सजा मिलनी ही चाहिये
प्रणाम
आप इधर बेहद तीखे तेवर के साथ लिख रहे हैं.अब ज़रुरत भी है.
पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार-लेखक गिरीश पंकज को : बाज़ार में मीडिया
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post.html
फोटोग्राफरों का धन्यवाद।
बुरे काम का बुरा नतीजा सामने आया।
yhi to baat he bhaayi ki khud ki to maan bhne or dusron ki bhne maataayen gaajr muli hen bs dnde ke bl pr hi ise sudhaara jaa kaa he. akhtar khan akela kota rajsthan
इन बजरंग दल वालों का दीमाग खराब हो चुका है....
संस्कृति के ठेकेदार बनते हैं...उनको संस्कृति का स्पेल्लिंग भी मालूम है...
सिर्फ दहशत फैलाना जानते हैं...बल्कि ये ही हैं जो ऐसे मौकों का फायदा उठाते हैं और अपनी मन मानी करते हैं....
इनको सख्त से सख्त सज़ा मिलनी चाहिए....ये तालेबान से कम नहीं हैं...अगर इन्हें नहीं रोका गया तो ये तालेबानियों से भी बढ़ कर निकलेंगे...
एक टिप्पणी भेजें