फ्रेडशिप डे पर धर्मसेना के गुंडों का नंगा नाच
दोस्ती के दिन जो कुछ हमारे शहर में हुआ, वह वास्तव में बहुत दुखद है। धर्मसेना के गुंड़ों ने संस्कृति के नाम पर जिस तरह की गुड़ागर्दी की उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। क्या फ्रेडशिप डे पर भी उसी तरह से लगाम कसने की जरूरत आ पड़ी है जिस तरह की लगाम कसने का काम ये धर्म के ठेकेदार वेलन्टाइन डे पर करते हैं। वैसे तो किसी को भी दोस्ती या प्यार करने से रोकना अपराध है। लेकिन हमारे शहर में जब धर्मसेना के गुंडे पार्क में बैठे युवक-युवतियों के साथ मार-पीट कर रहे थे तब पुलिस वाले वहां खड़े तमाश देख रहे थे। धर्मसेना के गुंडों ने पूरे शहर में कल नंगा नाच खेला। सोचने वाली बात है कि क्या संस्कृति को बचाने का ठेका धर्मसेना ने ही ले रखा है।
क्या दोस्ती के दिन किसी के साथ ऐसा करना उचित है?
क्या दोस्ती करना अपराध है?
क्या एक लड़के और लड़की में दोस्ती का रिश्ता गलत है?
क्या लड़के और लड़की के बीच प्यार की ही रिश्ता होता है?
ब्लागर मित्र अपने विचारों से जरूर अवगत कराए।
10 टिप्पणियाँ:
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गधों के लिए... लग रहा है जैसे जंगल राज हो....
kisi kaam ke nahin, bas naam ke hain ye sangthan
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
मेरा मानना है कि दुनिया में सबसे आसान काम है है सांप गुजर जाने के बाद लकीर पीटना और मौका हाथ लगते ही भाषण देना। वैसे फोटोग्राफर महोदय कोशिश करते तो शायद इस सांस्कृतिक सिपाहियों को कुछ रोक पाते। लेकिन बेचारा फोटोग्राफर ही क्या कर लेता, क्या पता ये लोग उस बेचारे पर ही टूट पड़ते।
जब पुलिस वाले खड़े होकर तमाशा देखते रहे तो फिर फोटो खींचने वाला क्या कर पाता। कानून के रखवालों को ही परवाह नहीं है। अगर फोटो खींचने वाला बचाने लगता तो फोटो कैसे लेते। उसे भी तो अपना काम करना था।
सब सुरक्षा एजेंसियों और गुंडों की मिली भगत है.......
शायद वही लोग इन सेनाओं में भर्ती होते होंगें, "जिन्हें माता-पिता और परिवार से प्यार नसीब नहीं हुआ और दोस्ती का मतलब जिनके लिये भीड में रहना है।"
इनके बीवी-बच्चे जरुर इनकी विचारधारा के विरुद्ध रहते होंगें और ये अपनी कुंठा ऐसे निकालते हैं।
प्रणाम
Ye sirf bheed ke hisse bhar hai...bhedchal mein rahna aise logon ko raas aata hai.... aaj bhi aise log gulami mansikta ke beech jee rahe hain...
behat sharmnaak hai yah desh ke liye
शर्मनाक है.
जहां भी चार गुंडे इकट्ठे हो जाएँ, क़ानून-व्यवस्था की ऐसी-तैसी कर देते हैं. और शरीफ आदमी पुलिस के पास रपट लिखाने तक से डरता है - इस देश में कुछ भी और सोचने से पहले पुलिस-व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की बड़ी आवश्यकता है.
क्या दोस्ती में प्यार नहीं होता?
बहुत गलत है ये तो
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