डोपिंग के दोषी को अवार्ड
डोपिंग में दोषी पाए गए भिलाई के भारोत्तोलक को शहीद कौशल यादव पुरस्कार दिए जाने के बाद अब मामला सामने आने पर इस खिलाड़ी के स्थान पर दूसरे खिलाड़ी को पुरस्कार देने की तैयारी में खेल विभाग जुट गया है। खेल विभाग को अंधेरे में रखते हुए प्रदेश संघ ने यह बात बताई ही नहीं कि खिलाड़ी डोपिंग में दोषी पाया गया है और उसका नाम पुरस्कार के लिए भेज दिया। इधर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अनिता शिंदे ने भी गलत खिलाड़ी को पुरस्कार दिए जाने की बात कहते हुए खेल विभाग के सामने पुरस्कार की पात्र होने का दावा पेश किया है।
प्रदेश के खेल पुरस्कारों की सूची जैसे ही २४ अगस्त को जारी हुई और इस सूची में शहीद कौशल यादव पुरस्कार के लिए भिलाई के भारोत्तोलक सिद्धार्थ मिश्रा का नाम सामने आया, वैसे ही मीडिया के साथ इस खेल से जुड़े लोग सक्रिय हो गए, क्योंकि सभी को मालूम था कि सिद्धार्थ मिश्रा अप्रैल में डोपिंग में दोषी पाए गए थे। इधर जैसे ही दल्लीराजहरा की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अनिता शिंदे को मालूम हुआ कि पुरस्कार उनके स्थान पर सिद्धार्थ मिश्रा को दिया गया है तो वह भी २५ अगस्त की सुबह खेल विभाग पहुंच गयीऔर खेल संचालक जीपी सिंह के सामने अपनी बात रखी।
प्रदेश संघ ने छुपाई सच्चाई
इस सारे मामले में प्रदेश भारोत्तोलन संघ की भूमिका ही संदिग्ध है। संघ को जानकारी होने के बाद उसने खेल विभाग से जानकारी छुपाते हुए सिद्धार्थ मिश्रा का नाम पुरस्कार के लिए भेज दिया। इस बारे में संघ के महासचिव सुखलाल जंघेल अब ही यही कह रहे हैं कि उनको इस मामले की कोई जानकारी नहीं है, जबकि राष्ट्रीय फेडरेशन के सचिव सहदेव यादव ने आज जो जानकारी खेल विभाग के मांगने पर खेल संचालक जीपी सिंह को भेजी है, उसमें इस बात का साफ उल्लेख है कि प्रदेश संघ के सचिव को अप्रैल में ही यह बता दिया गया था कि श्री मिश्रा डोप टेस्ट दोषी पाए गए हैं और उन पर ५० हजार का जुर्माना किया गया है। इस बारे में संघ के कार्यकारी अध्यक्ष पी. रत्नाकर का कहना है कि श्री मिश्रा पहले टेस्ट में दोषी पाए गए हैं अभी दूसरे टेस्ट की रिपोर्ट ३१ अगस्त को आएगी।
सिद्धार्थ डोप टेस्ट में दोषी था
सिद्धार्थ मिश्रा डोप टेस्ट में दोषी पाया गया था या नहीं इसके बारे में जानकारी लेने जब राष्ट्रीय फेडरेशन के सचिव सहदेव यादव से हरिभूमि ने संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि वह दोषी भी पाया गया था और इसके बारे में प्रदेश संघ को लिखित में जानकारी भी भेजी गई। उन्होंने बताया कि एशियन चैंपियनशिप के लिए बेंगलुरु में १५ फरवरी से एक अप्रैल तक प्रशिक्षण शिविर लगा था इसी शिविर के समय खिलाडिय़ों का डोप टेस्ट किया गया था जिसमें सिद्धार्थ मिश्रा भी दोषी पाया गया था जिसके कारण उनको अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने नहीं भेजा गया था।
बदला जाएगा पुरस्कार
इस मामले में खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि खेल विभाग को प्रदेश संघ ने गलत जानकारी दी जिसके कारण यह गलती हुई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय फेडरेशन से सारी जानाकारी मंगा ली गई है, इसे शासन के सामने रखते के बाद पुरस्कार चयन समिति की बैठक करके दूसरे पात्र खिलाड़ी को पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने पूछने पर कहा कि अगर अनिता शिंदे पात्र हैं तो उनको ही पुरस्कार मिलेगा।
जूरी की समझ पर सवाल
इधर अनिता शिंदे के मामले में पुरस्कार चयन समिति की जूरी की समझ पर सवाल खड़े हो गए। अनिता शिंदे को इसलिए पुरस्कार के योग्य नहीं माना गया क्योंकि उनके विश्व कप में खेलने वाले प्रमाणपत्र में अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन के अध्यक्ष और सचिव के हस्ताक्षर नहीं थे। इस बारे में जूरी के सामने प्रदेश संघ के सचिव ने खुलासा भी कर दिया था कि भागादारी करने वाले खिलाडिय़ों के प्रमाणपत्रों में हस्ताक्षर नहीं रहते हैं जिनको पदक मिलते हैं उनके ही प्रमाणपत्रों में हस्ताक्षर होते हैं। लेकिन जूरी ने इस बात जो जहां नहीं माना वहीं जूरी ने यह भी जरूरी नहीं समङाा कि राष्ट्रीय फेडरेशन से पूछा जाए कि यह खिलाड़ी विश्व कप में खेली है या नहीं। आज जब खिलाड़ी ने अपना दावा खेल संचालक के सामने रखा तो खेल संचालक ने इस बारे में राष्ट्रीय फेडरेशन से पत्र मंगवाया है। ऐसे में अब सिद्धार्थ मिश्रा के स्थान पर अनिता शिंदे को पुरस्कार मिलने की संभावना है।
प्रदेश के खेल पुरस्कारों की सूची जैसे ही २४ अगस्त को जारी हुई और इस सूची में शहीद कौशल यादव पुरस्कार के लिए भिलाई के भारोत्तोलक सिद्धार्थ मिश्रा का नाम सामने आया, वैसे ही मीडिया के साथ इस खेल से जुड़े लोग सक्रिय हो गए, क्योंकि सभी को मालूम था कि सिद्धार्थ मिश्रा अप्रैल में डोपिंग में दोषी पाए गए थे। इधर जैसे ही दल्लीराजहरा की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अनिता शिंदे को मालूम हुआ कि पुरस्कार उनके स्थान पर सिद्धार्थ मिश्रा को दिया गया है तो वह भी २५ अगस्त की सुबह खेल विभाग पहुंच गयीऔर खेल संचालक जीपी सिंह के सामने अपनी बात रखी।
प्रदेश संघ ने छुपाई सच्चाई
इस सारे मामले में प्रदेश भारोत्तोलन संघ की भूमिका ही संदिग्ध है। संघ को जानकारी होने के बाद उसने खेल विभाग से जानकारी छुपाते हुए सिद्धार्थ मिश्रा का नाम पुरस्कार के लिए भेज दिया। इस बारे में संघ के महासचिव सुखलाल जंघेल अब ही यही कह रहे हैं कि उनको इस मामले की कोई जानकारी नहीं है, जबकि राष्ट्रीय फेडरेशन के सचिव सहदेव यादव ने आज जो जानकारी खेल विभाग के मांगने पर खेल संचालक जीपी सिंह को भेजी है, उसमें इस बात का साफ उल्लेख है कि प्रदेश संघ के सचिव को अप्रैल में ही यह बता दिया गया था कि श्री मिश्रा डोप टेस्ट दोषी पाए गए हैं और उन पर ५० हजार का जुर्माना किया गया है। इस बारे में संघ के कार्यकारी अध्यक्ष पी. रत्नाकर का कहना है कि श्री मिश्रा पहले टेस्ट में दोषी पाए गए हैं अभी दूसरे टेस्ट की रिपोर्ट ३१ अगस्त को आएगी।
सिद्धार्थ डोप टेस्ट में दोषी था
सिद्धार्थ मिश्रा डोप टेस्ट में दोषी पाया गया था या नहीं इसके बारे में जानकारी लेने जब राष्ट्रीय फेडरेशन के सचिव सहदेव यादव से हरिभूमि ने संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि वह दोषी भी पाया गया था और इसके बारे में प्रदेश संघ को लिखित में जानकारी भी भेजी गई। उन्होंने बताया कि एशियन चैंपियनशिप के लिए बेंगलुरु में १५ फरवरी से एक अप्रैल तक प्रशिक्षण शिविर लगा था इसी शिविर के समय खिलाडिय़ों का डोप टेस्ट किया गया था जिसमें सिद्धार्थ मिश्रा भी दोषी पाया गया था जिसके कारण उनको अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने नहीं भेजा गया था।
बदला जाएगा पुरस्कार
इस मामले में खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि खेल विभाग को प्रदेश संघ ने गलत जानकारी दी जिसके कारण यह गलती हुई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय फेडरेशन से सारी जानाकारी मंगा ली गई है, इसे शासन के सामने रखते के बाद पुरस्कार चयन समिति की बैठक करके दूसरे पात्र खिलाड़ी को पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने पूछने पर कहा कि अगर अनिता शिंदे पात्र हैं तो उनको ही पुरस्कार मिलेगा।
जूरी की समझ पर सवाल
इधर अनिता शिंदे के मामले में पुरस्कार चयन समिति की जूरी की समझ पर सवाल खड़े हो गए। अनिता शिंदे को इसलिए पुरस्कार के योग्य नहीं माना गया क्योंकि उनके विश्व कप में खेलने वाले प्रमाणपत्र में अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन के अध्यक्ष और सचिव के हस्ताक्षर नहीं थे। इस बारे में जूरी के सामने प्रदेश संघ के सचिव ने खुलासा भी कर दिया था कि भागादारी करने वाले खिलाडिय़ों के प्रमाणपत्रों में हस्ताक्षर नहीं रहते हैं जिनको पदक मिलते हैं उनके ही प्रमाणपत्रों में हस्ताक्षर होते हैं। लेकिन जूरी ने इस बात जो जहां नहीं माना वहीं जूरी ने यह भी जरूरी नहीं समङाा कि राष्ट्रीय फेडरेशन से पूछा जाए कि यह खिलाड़ी विश्व कप में खेली है या नहीं। आज जब खिलाड़ी ने अपना दावा खेल संचालक के सामने रखा तो खेल संचालक ने इस बारे में राष्ट्रीय फेडरेशन से पत्र मंगवाया है। ऐसे में अब सिद्धार्थ मिश्रा के स्थान पर अनिता शिंदे को पुरस्कार मिलने की संभावना है।
2 टिप्पणियाँ:
हर दिशा राजनीति से होकर गुजरने लगी है ! अच्छा आलेख !
hame aage aakar khilafat karana hi hoga,expose karate rahen,
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