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गुरुवार, सितंबर 02, 2010

हम पुरस्कार से वंचित क्यों?

राज्य के खेल पुरस्कारों के लिए इस बार वंचित किए गए शरीर सौष्ठव के खिलाडिय़ों साथ जहां इस संघ के पदाधिकारी भारी खफा हैं, वहीं और कुछ खेल संघों के पदाधिकारियों के साथ खिलाडिय़ों का ऐसा मानना है कि हम ही पुरस्कारों से वंचित क्यों हैं। नियमों की वजह से पुरस्कारों से वंचित रहने वाले खेलों में जंप रोप, म्यूथाई, किक बाक्सिंग पंजा कुश्ती, और पैरा ओलंपिक के खिलाड़ी हैं। इनका मानना है कि जब हम लोग भी राष्ट्रीय के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी धमाकेदार प्रदर्शन कर रहे हैं तो हमें पुरस्कारों से क्यों वंचित रखा जा रहा है। कुछ खेलों के खिलाडिय़ों को पुरस्कारों से वंचित रखे जाने की शिकायतें राज्यपाल शेखर दत्त के साथ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह तक पहुंची हैं। मुख्यमंत्री ने खिलाडिय़ों को यह भरोसा दिलाया है कि अगली बार जरूर उनको पुरस्कार मिलेंगे।
राज्य के खेल पुरस्कारों की इस बार घोषणा के बाद से ही इनको लेकर विवादों का क्रम चल रहा है। पहले एक डोपिंग के खिलाड़ी का चयन कर लिए जाने का मामला सामने आया। इस मामले के किसी तरह से निपट जाने के बाद यह बात सामने आई कि इस बार शरीर सौष्ठव के खिलाडिय़ों को पुरस्कार से वंचित किया गया है। इस बात को लेकर इस खेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी अपनी नाराजगी जताई। श्री अग्रवाल की वजह से ही छत्तीसगढ़ में इस खेल के खिलाडिय़ों को पुरस्कार देना प्रारंभ किया गया था। लेकिन इस बार खेल पुरस्कारों के चयन के लिए बनाई गई जूरी ने इस खेल के खिलाडिय़ों को यह कहते हुए पुरस्कारों से वंचित कर दिया कि इस खेल संघ को भारतीय खेल मंत्रालय से मान्यता नहीं है। जब इस बात की जानकारी इस खेल संघ के सचिव संजय शर्मा को हुई तो उन्होंने इसका पूरजोर विरोध किया और अपने खिलाडिय़ों के हक के लिए मैदान में उतर आए। संजय शर्मा इस बार तो अपने खिलाडिय़ों को हक दिलवाने में सफल नहीं हुए लेकिन उन्होंने राज्यपाल शेखर दत्त के साथ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह तक जो शिकायत पहुंचाई उसका नतीजा यह रहा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने खेल अलंकरण समारोह में यह बात कही कि कुछ खेल के खिलाडिय़ों को और पुरस्कार दिया जाना था, पर नहीं दिया गया, लेकिन अगली बार ऐसा नहीं होगा और किसी भी खेल के खिलाडिय़ों को शिकायत नहीं होगी।
खिलाडिय़ों में निराशा है
संजय शर्मा कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में जिस तरह से शरीर सौष्ठव के खिलाडिय़ों का जलवा रहा है और यहां के खिलाड़ी पी. सालोमन दो बार भारतश्री बने हैं, इसी के साथ जिस तरह से खिलाड़ी लगातार राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं उसके बाद भी खिलाडिय़ों को पुरस्कार से वंचित करना गलत है। बकौल श्री शर्मा कई राज्यों में ऐसे खेलों को पुरस्कारों के लिए शामिल किया जाता है जिनको भारतीय खेल मंत्रालय से मान्यता नहीं है। उनका कहना है कि राज्य शासन पुरस्कार देती है तो फिर किसी भी खेल के लिए भारत सरकार के खेल मंत्रालय से मान्यता की बाध्यता क्यों।
हम भी हैं हकदार
इधर जंप रोप संघ के महासचिव अखिलेश दुबे कहते हैं कि हमारे खिलाड़ी विश्व कप में खेलने के बाद भी पुरस्कार के लिए इसलिए हकदार नहीं है क्योंकि हमारे खेल को भी भारत सरकार से मान्यता नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि विश्व कप में खेल कर आए राज्य के खिलाडिय़ों राजदीप सिंह हरगोत्रा, पूजा हरगोत्रा और श्वेता कुर्रे के साथ जब वे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिलने गए थे तो खिलाडिय़ों और संघ को मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि अगली बार जरूर आपके खेल के साथ न्याय होगा और सरकार इस खेल को भी मान्यता देगी।
जंप रोप की तरह ही किक बाक्सिंग के खिलाड़ी भी मान्यता न होने पुरस्कारों से वंचित हैं। इस खेल में राज्य के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्पर्धाओं में १५० से ज्यादा पदक जीत चुके हैं। इस खेल संघ की पूर्व अध्यक्ष गुरमीत धनई का कहना है कि हमारा खेल स्कूली खेलों में शामिल है, इसी के साथ इस खेल को छह राज्यों के ओलंपिक संघ ने भी मान्यता दे रखी है, लेकिन छत्तीसगढ़ में इसको ओलंपिक संघ मान्यता नहीं देना चाहता है। इसी के साथ हमारे खिलाड़ी भारतीय खेल मंत्रालय से मान्यता न होने के कारण ही पुरस्कारों से वंचित किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस खेल में उनकी बेटी राशि धनई का चयन अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा के लिए एक बार हुआ था। श्रीमती धनई का कहना है कि इस खेल के खिलाडिय़ों को भी राज्य के पुरस्कारों से नवाजा जाना चाहिए।
इन खेलों के साथ राज्य में म्यूथाई भी एक ऐसा खेल है जिसके खिलाड़ी लगातार राष्ट्रीय के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं। पंजा कुश्ती के भी खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपने जौहर दिखाने का काम कर रहे हैं। पैरा ओलंपिक में कमाल करने वाली अंजली पटेल भी अब मान्यता के नियमों के कारण पुरस्कार से वंचित है।
अलग पुरस्कार ही दे दें
इन खेलों से जुड़े खेल संघों के पदाधिकारियों के साथ खिलाडिय़ों का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार को ऐसा लगता है कि राज्य के पूर्व मं घोषित खेल पुरस्कार इन खेलों के खिलाडिय़ों को देना संभव नहीं है तो अलग पुरस्कार भी इन खेलों के साथ और ऐसे खेलों के लिए तय किए जा सकते हैं। ऐसे में जबकि खेल पुरस्कारों के नियमों में संशोधन की बात चल रही है तो ऐसे नियम बनाए जाने चाहिए जिससे राज्य में प्रचलित खेलों  के खिलाडिय़ों को पुरस्कार से वंचित न होना पड़े।

3 टिप्पणियाँ:

कौशल तिवारी 'मयूख' गुरु सित॰ 02, 11:17:00 am 2010  

बन्दर बाँट ऐसा ही होता है

उम्मतें गुरु सित॰ 02, 04:01:00 pm 2010  

अच्छे खिलाडी हैं तो सब को दिया जाये !

ताऊ रामपुरिया गुरु सित॰ 02, 08:08:00 pm 2010  

राधे राधे....जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

रामराम.

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