सब जूनियर खिलाडिय़ों के लिए भी हों राज्य पुरस्कार
प्रदेश के सब जूनियर खिलाडिय़ों के लिए भी अब राज्य पुरस्कार दिए जाने की मांग उठने लगी है। ऐसे में जबकि राज्य के खेल पुरस्कारों के नियमों में संशोधन की बात की जा रही है तो खेल के जानकारों का मानना है कि जब खेल विभाग सब जूनियर खिलाडिय़ों के खेलवृत्ति के साथ नकद राशि पुरस्कार देता है तो फिर राज्य के पुरस्कार से उनको वंचित क्यों रखा जाता है। फुटबॉल की दो बालिका खिलाडिय़ों को पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला है। इसी के साथ साफ्ट टेनिस में प्रदेश के आकाश चौबे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले हैं। ऐसे खिलाडिय़ों को क्यों न राज्य के पुरस्कारों से नवाजा जाए ऐेसा इन खेलों से जुड़े लोगों के साथ अन्य खेल संघों के पदाधिकारी भी कहते हैं। वैसे बास्केटबॉल के साथ और भी कुछ खेलों में सब जूनियर वर्ग में जहां टीमें राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रही हैं, वहीं व्यक्तिगत खेलों में भी खिलाड़ी कमाल कर रहे हैं।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा दिए जाने वाले राज्य के खेल पुरस्कारों के नियमों को लेकर इन दिनों चर्चा है कि इनके नियमों में भारी विसंगतियां हैं और इन नियमों में बदलाव की बयार चल रही है। ऐसे में जबकि नियमों में संशोधन की बात चल रही है तो नियमों में कुछ और नया करने की बातें भी सामने आने लगीं हंै। एक बात यह सामने आ रही है कि खेलों की नींव सब जूनियर स्तर को माना जाता है। इस स्तर के खिलाडिय़ों के लिए प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति और नकद राशि पुरस्कार तो दे रही है लेकिन राज्य का खेल पुरस्कार नहीं दिया जाता है। खेलवृत्ति में जहां जिला स्तर पर १८ सौ रुपए की राशि दी जाती है, वहीं राज्य स्तर पर पदक विजेताओं को २४ सौ की राशि दी जाती है। इसी के साथ राष्ट्रीय स्पर्धाओं में स्वर्ण विजेता को दस हजार, रजत विजेता को पांच हजार और कांस्य विजेता को चार हजार की राशि दी जाती है। खेलवृत्ति के साथ नकद राशि पुरस्कार से खिलाडिय़ों का मनोबल तो बढ़ रहा है, लेकिन इसके बाद भी यह जरूरी है कि राज्य के जूनियर खिलाडिय़ों को जिस तरह से शहीद कौशल यादव पुरस्कार के साथ एक लाख की नकद राशि और सीनियर खिलाडिय़ों को शहीद राजीव पांडे पुरस्कार के साथ दो लाख पच्चीस हजार की नकद राशि दी जाती है, उसी तरह से सब जूनियर खिलाडिय़ों के लिए भी एक पुरस्कार और एक लाख के आस-पास की नकद राशि दी जानी चाहिए।
तीन खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले
इस साल राज्य के लिए तीन खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले हैं जिसके कारण भी यह मांग अब सामने आई है। पहली बार फुटबॉल में दो खिलाड़ी सुप्रिया कुकरेती और निकिता स्विसपन्ना श्रीलंका में एशियन फुटबॉल फेस्टिवल में खेलीं। इधर एक नए खेल साफ्ट टेनिस में आकाश चौबे को जापान में सब जूनियर विश्व कप में खेलने का मौका मिला।
पुरस्कार से वंचित क्यों?
फुटबॉल के कोच मुश्ताक अली प्रधान, जिला फुटबॉल संघ के दिवाकर थिटे के साथ खिलाड़ी शिरीष यादव, रेफरी शफीक अमन का कहना है कि सब जूनियर वर्ग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना आसान नहीं होता है। निश्चित ही अगर किसी भी खेल में खिलाडिय़ों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला है तो उनमें प्रतिभा है। ऐसी प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए अगर राज्य में खेल पुरस्कार होता है तो इससे बड़ी बात नहीं हो सकती है। साफ्ट टेनिस संघ के सचिव प्रमोद कुमार ठाकुर कहते हैं कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि सब जूनियर स्तर से ही अगर खिलाडिय़ों के लिए पुरस्कार हो तो खिलाड़ी और ज्यादा मेहनत करेंगे।
निचले स्तर से प्रोत्साहन जरूरी
प्रदेश ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष गुरूचरण सिंह होरा का कहना है कि राज्य में जितने ज्यादा स्तर के पुरस्कार होंगे उतना ही अच्छा है। अपने राज्य की मेजबानी में ३७वें राष्ट्रीय खेल होने हैं। ऐसे समय में अगर राज्य में सब जूनियर वर्ग के लिए राज्य के पुरस्कार घोषित कर दिए जाते हैं तो इसका फायदा अपनी मेजबानी में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में मिलेगा। सब जूनियर वर्ग के खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों तक सीनियर वर्ग में पहुंचने लायक हो जाएंगे। खिलाडिय़ों के लिए अगर हर स्तर पर पुरस्कार तो खिलाडिय़ों में उस पुरस्कार को पाने के लिए प्रतिस्पर्धा रहती है।
प्रदेश वालीबॉल संघ के सचिव मो. अकरम खान का कहना है कि वैसे भी अपना राज्य कुछ न कुछ नया करने में माहिर रहा है। देश के किसी भी राज्य में सब जूनियर वर्ग के लिए कोई पुरस्कार नहीं दिया जाता है, ऐसे में अगर अपने राज्य में यह पहल की जाती है तो यह पूरे देश के लिए एक मिसाल होगी। बास्केटबॉल संघ के महासचिव राजेश पटेल कहते हैं कि अपने राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर हमारे बास्केटबॉल की बालिका टीम के साथ बालक टीमें भी लगातार पदक जीत रही है अगर सब जूनियर वर्ग में भी खेल पुरस्कार हो जाए तो इससे अच्छी और कोई बात हो ही नहीं सकती हैं।
कराते संघ के अजय साहू का कहना है कि हमारे खेल में तो ८ साल वर्ग से ही मुकाबले प्रारंभ हो जाते हैं। ऐसे में हमारे खेल के लिए इससे बड़ी खुशी की बात हो ही नहीं सकती है कि राज्य सरकार सब जूनियर खिलाडिय़ों को खेल पुरस्कार देना प्रारंभ कर दें। ऐसे करने से स्कूली खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित होंगे क्योंकि इस वर्ग के खिलाड़ी स्कूल स्तर के होते हैं। स्कूली खिलाडिय़ों के प्रोत्साहित होने का मतलब साफ है कि स्कूलों में भी खेलों का स्तर सुधारेगा। आज यह बात किसी से छुपी नहीं है कि स्कूल में खेलों का स्तर सबसे खराब है।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा दिए जाने वाले राज्य के खेल पुरस्कारों के नियमों को लेकर इन दिनों चर्चा है कि इनके नियमों में भारी विसंगतियां हैं और इन नियमों में बदलाव की बयार चल रही है। ऐसे में जबकि नियमों में संशोधन की बात चल रही है तो नियमों में कुछ और नया करने की बातें भी सामने आने लगीं हंै। एक बात यह सामने आ रही है कि खेलों की नींव सब जूनियर स्तर को माना जाता है। इस स्तर के खिलाडिय़ों के लिए प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार खिलाडिय़ों को खेलवृत्ति और नकद राशि पुरस्कार तो दे रही है लेकिन राज्य का खेल पुरस्कार नहीं दिया जाता है। खेलवृत्ति में जहां जिला स्तर पर १८ सौ रुपए की राशि दी जाती है, वहीं राज्य स्तर पर पदक विजेताओं को २४ सौ की राशि दी जाती है। इसी के साथ राष्ट्रीय स्पर्धाओं में स्वर्ण विजेता को दस हजार, रजत विजेता को पांच हजार और कांस्य विजेता को चार हजार की राशि दी जाती है। खेलवृत्ति के साथ नकद राशि पुरस्कार से खिलाडिय़ों का मनोबल तो बढ़ रहा है, लेकिन इसके बाद भी यह जरूरी है कि राज्य के जूनियर खिलाडिय़ों को जिस तरह से शहीद कौशल यादव पुरस्कार के साथ एक लाख की नकद राशि और सीनियर खिलाडिय़ों को शहीद राजीव पांडे पुरस्कार के साथ दो लाख पच्चीस हजार की नकद राशि दी जाती है, उसी तरह से सब जूनियर खिलाडिय़ों के लिए भी एक पुरस्कार और एक लाख के आस-पास की नकद राशि दी जानी चाहिए।
तीन खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले
इस साल राज्य के लिए तीन खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले हैं जिसके कारण भी यह मांग अब सामने आई है। पहली बार फुटबॉल में दो खिलाड़ी सुप्रिया कुकरेती और निकिता स्विसपन्ना श्रीलंका में एशियन फुटबॉल फेस्टिवल में खेलीं। इधर एक नए खेल साफ्ट टेनिस में आकाश चौबे को जापान में सब जूनियर विश्व कप में खेलने का मौका मिला।
पुरस्कार से वंचित क्यों?
फुटबॉल के कोच मुश्ताक अली प्रधान, जिला फुटबॉल संघ के दिवाकर थिटे के साथ खिलाड़ी शिरीष यादव, रेफरी शफीक अमन का कहना है कि सब जूनियर वर्ग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना आसान नहीं होता है। निश्चित ही अगर किसी भी खेल में खिलाडिय़ों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला है तो उनमें प्रतिभा है। ऐसी प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए अगर राज्य में खेल पुरस्कार होता है तो इससे बड़ी बात नहीं हो सकती है। साफ्ट टेनिस संघ के सचिव प्रमोद कुमार ठाकुर कहते हैं कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि सब जूनियर स्तर से ही अगर खिलाडिय़ों के लिए पुरस्कार हो तो खिलाड़ी और ज्यादा मेहनत करेंगे।
निचले स्तर से प्रोत्साहन जरूरी
प्रदेश ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष गुरूचरण सिंह होरा का कहना है कि राज्य में जितने ज्यादा स्तर के पुरस्कार होंगे उतना ही अच्छा है। अपने राज्य की मेजबानी में ३७वें राष्ट्रीय खेल होने हैं। ऐसे समय में अगर राज्य में सब जूनियर वर्ग के लिए राज्य के पुरस्कार घोषित कर दिए जाते हैं तो इसका फायदा अपनी मेजबानी में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में मिलेगा। सब जूनियर वर्ग के खिलाड़ी राष्ट्रीय खेलों तक सीनियर वर्ग में पहुंचने लायक हो जाएंगे। खिलाडिय़ों के लिए अगर हर स्तर पर पुरस्कार तो खिलाडिय़ों में उस पुरस्कार को पाने के लिए प्रतिस्पर्धा रहती है।
प्रदेश वालीबॉल संघ के सचिव मो. अकरम खान का कहना है कि वैसे भी अपना राज्य कुछ न कुछ नया करने में माहिर रहा है। देश के किसी भी राज्य में सब जूनियर वर्ग के लिए कोई पुरस्कार नहीं दिया जाता है, ऐसे में अगर अपने राज्य में यह पहल की जाती है तो यह पूरे देश के लिए एक मिसाल होगी। बास्केटबॉल संघ के महासचिव राजेश पटेल कहते हैं कि अपने राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर हमारे बास्केटबॉल की बालिका टीम के साथ बालक टीमें भी लगातार पदक जीत रही है अगर सब जूनियर वर्ग में भी खेल पुरस्कार हो जाए तो इससे अच्छी और कोई बात हो ही नहीं सकती हैं।
कराते संघ के अजय साहू का कहना है कि हमारे खेल में तो ८ साल वर्ग से ही मुकाबले प्रारंभ हो जाते हैं। ऐसे में हमारे खेल के लिए इससे बड़ी खुशी की बात हो ही नहीं सकती है कि राज्य सरकार सब जूनियर खिलाडिय़ों को खेल पुरस्कार देना प्रारंभ कर दें। ऐसे करने से स्कूली खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित होंगे क्योंकि इस वर्ग के खिलाड़ी स्कूल स्तर के होते हैं। स्कूली खिलाडिय़ों के प्रोत्साहित होने का मतलब साफ है कि स्कूलों में भी खेलों का स्तर सुधारेगा। आज यह बात किसी से छुपी नहीं है कि स्कूल में खेलों का स्तर सबसे खराब है।
1 टिप्पणियाँ:
सामायिक आलेख ! उनकी मांग जायज लगती है !
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