दम है तो मेरा मेघा से मुकाबला करवा लें
जिस तरह की राजनीति करके मुझे कामनवेल्थ की नेटबॉल टीम से बाहर किया गया, उससे मैं हैरान हूं। मुङो यह कहने में थोड़ी सी भी झिझक नहीं है कि वास्तव में सत्ता से ज्यादा राजनीति तो खेल में होती है। मैं यह दावे से साथ कह सकती हूं कि मुझे सोची समझी साजिश के तहत टीम की विदेशी कोच के जाते ही टीम से बाहर किया गया है। मैं अंतिम समय तक अपने हक के लिए लड़ते रहूंगी। मैं दावे के साथ कहती हूं कि फेडरेशन में दम है तो मेघा से मेरा मुकाबला करवा लें।
ये बातें यहां पर दिल्ली से लौटने के बाद प्रीति बंछोर ने कहीं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मेरा खेल रहा है और मैं भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविर में लगातार ढाई साल तक रही हूं उसके बाद तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि मुङो टीम से बाहर कर दिया जाएगा। पूछने पर उन्होंने बताया कि टीम की मुख्य कोच श्रीलंका की मेरी मर्सिल लूज्ड को अपने बेटे की तबीयत खराब होने की वजह से ३१ अगस्त को अपने देश लौटना पड़ा था। एक दिन बाद एक सितंबर को घोषित की गई टीम में मेरा नाम १२ खिलाडिय़ों में था। लेकिन इसके बाद साजिश करके अचानक मुङो २४ सिंतबर को टीम से बाहर कर दिया गया। मुझे अब तब फेडरेशन ने टीम से बाहर करने का सही कारण नहीं बताया है। प्रीति ने बताया कि फेडरेशन के अध्यक्ष गुरबीर सिंह का इस बारे में कहना है कि उनको इसलिए बाहर किया गया है क्योंकि यह पहले से तय था कि अगर मेघा चौधरी डोपिंग के आरोप से बरी हो जाती हैं तो उनके स्थान पर प्रीति को बाहर जाना पड़ेगा। प्रीति का कहना है कि फेडरेशन ने टीम घोषित करते समय इस तरह की किसी भी शर्त के बारे में उसे नहीं बताया था, अब भी उसे नहीं बताया गया है कि उसे क्यों टीम से बाहर किया गया है।
मेघा से मुकाबला करवा लें
प्रीति का कहना है कि वह नेटबॉल फेडरेशन को खुली चुनौती दे रही हैं कि वे उनका मेघा चौधरी के साथ सीधा मुकाबला करवा लें। बकौल प्रीति मैं भी गोल अटैक और गोल शूटर की पोजीशन में खेलती हूं और मेघा भी। लेकिन मेघा पिछले डेढ़ माह से चोटग्रस्त हैं और वह किसी भी कीमत में गोल अटैक का काम नहीं कर सकती है, इसके लिए बहुत ज्यादा दौडऩा पड़ता है।
कोच की वजह के किया गया बाहर
प्रीति बंछोर ने सीधे तौर पर टीम के सहायक कोच अमित शर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब उनकी साजिश की वजह से हुआ है। उन्होंने कहा कि अमित शर्मा गाजियाबाद के हैं और मेघा चौधरी भी उनके शहर की हैं। अपने शहर की लड़की को टीम में स्थान दिलाने के लिए ही अमित शर्मा ने फेडरेशन के अध्यक्ष गुरबीर सिंह के साथ मिलकर यह काम किया है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि फेडरेशन को देश की प्रतिष्ठा से कोई मतलब नहीं है। फेडरेशन के लिए उप्र देश से बढ़कर हो गया है।
अब राज्यपाल से ही उम्मीद
प्रीति बंछोर का कहना है कि अब उनको अपने राज्य के राज्यपाल शेखर दत्त से ही उम्मीद है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में उन्होंने दो दिनों तक राज्यपाल से मिलने की कोशिश की पर सफलता नहीं मिल सकी। कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोरा से जरूर मुलाकात हुई, उन्होंने भारतीय खेल प्राधिकरण के डीजी से बात करके उनको इस मामले में दखल देने कहा है। इसी के साथ प्रीति ने बताया कि वह केन्द्रीय खेलमंत्री एमएस गिल तक भी अपनी शिकायत पहुंची चुकी है।
मुझे अपने राज्य पर गर्व है
प्रीति ने कहा कि उनको अपने राज्य की सरकार के साथ राज्य के नेटबॉल संघ और मीडिया पर गर्व है कि उनका सबने साथ दिया। प्रीति कहती हैं कि वह हताश जरूर है, पर निराश नहीं हैं। अंतिम समय तक लडऩे का इरादा रखने वाली प्रीति कहती हैं कि मेरा इरादा मजबूत है और मैं किसी भी कीमत में पीछे हटने वाली नहीं हूं। अंत में वह कहती हैं कि किस्मत ने साथ दिया तो जरूर टीम में वापसी होगी। पूछने पर वह कहती हैं कि खेल छोडऩा का तो कताई सवाल नहीं उठता है। अब तो मैं ज्यादा मेहनत करके सबको दिखाना चाहता हूं कि मुझमें कितना दम है।
4 टिप्पणियाँ:
प्रीति के लिए शुभकामनाएँ.
खेलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए !
हर क्षेत्र में आज राजनीति है .. प्रीति को शुभकामनाएं !!
सबके अपने अपने तर्क होंगे । प्रीति के लिए शुभकामनायें ।
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