ललित शर्मा दिखे और गायब हो गए...
दो दिन पहले की बात है, हम प्रेस से रोज की मीटिंग के बाद करीब 12 बजे लौट रहे थे। अचानक सिविल लाइन के पास पीछे से आवाज आई, साँई..., हम समझ गए कि ये अपने ललित शर्मा जी हैं। हमें इस तरह से और कोई आवाज नहीं देता है। हमने पीछे मुड़कर देखा को हमारे पीछे ललिल शर्मा ही थे। उनसे काफी समय बाद मुलाकात हो रही थी, लेकिन यह मुलाकात, मुलाकात जैसी नहीं हुई, चलते-चलते हाल-चाल पूछा। शर्मा जी ने कहा था कि वे शाम तक रायपुर में हैं, लेकिन वे शाम को मिले बिना ही गायब हो गए, और हम उनको रस-मलाई खिलाने का वादा पूरा नहीं कर सके।
शनिवार को जब ललित शर्मा मिले थे, तो उस समय हम भी एक जरूरी काम से जा रहे थे, उधर संभवत: शर्मा जी भी जल्दी में थे। चलते-चलते थोड़ी सी बातें हुईं, उनके ललित कला डाट इन पर कुछ बात हुई। हमने उनको यह भी बताया कि यार आज तबीयत कुछ ठीक नहीं है, इसलिए हम ब्लाग चौपालमें भी कुछ नहीं लिख सके हैं औैर राजतंत्र में भी कुछ नहीं लिखा है। शर्मा जी से हमने पूछा कब तक हैं रायपुर में। उन्होंने कहा कि शाम तक हैं। हमने कहा चलिए फिर जब खाली होंगे तो मिलते हैं, लेकिन लगता है कि शर्मा जी को उस दिन फुर्सत ही नहीं ंमिली और वे हमसे बिना मिले ही वापस चले गए। हमने उस दिन सोचा था कि अब शर्मा जी मिल गए हैं तो हम उनको अपने वादे कि रस-मलाई खिला ही दें, लेकिन उन्होंने मौका ही नहीं दिया। बहरहाल अबकि शर्मा जी आएंगे तो उनको जरूर रस-मलाई खिला देंगे, ये वादा है।
शनिवार को जब ललित शर्मा मिले थे, तो उस समय हम भी एक जरूरी काम से जा रहे थे, उधर संभवत: शर्मा जी भी जल्दी में थे। चलते-चलते थोड़ी सी बातें हुईं, उनके ललित कला डाट इन पर कुछ बात हुई। हमने उनको यह भी बताया कि यार आज तबीयत कुछ ठीक नहीं है, इसलिए हम ब्लाग चौपालमें भी कुछ नहीं लिख सके हैं औैर राजतंत्र में भी कुछ नहीं लिखा है। शर्मा जी से हमने पूछा कब तक हैं रायपुर में। उन्होंने कहा कि शाम तक हैं। हमने कहा चलिए फिर जब खाली होंगे तो मिलते हैं, लेकिन लगता है कि शर्मा जी को उस दिन फुर्सत ही नहीं ंमिली और वे हमसे बिना मिले ही वापस चले गए। हमने उस दिन सोचा था कि अब शर्मा जी मिल गए हैं तो हम उनको अपने वादे कि रस-मलाई खिला ही दें, लेकिन उन्होंने मौका ही नहीं दिया। बहरहाल अबकि शर्मा जी आएंगे तो उनको जरूर रस-मलाई खिला देंगे, ये वादा है।
5 टिप्पणियाँ:
आप मित्रों को रस मलाई खिलाते हैं जानकर अच्छा लगा ! ललित शर्मा रस मलाई छोड़ कर चल दिये पर दूसरे मित्र नहीं छोडनें वाले :)
रसमलाई तो खा ही लेना वह जल्दी ही खराब हो जाती है।
सही है ऐसी मूँछ वाला तो ललित ही हो सकता है , वैसे रसमलाई हमे भे पसन्द है ।
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
हमें भी याद रखिएगा, रसमलाई के पहले :-)
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