मैच फिक्सिंग के तार छत्तीसगढ़ से भी जुड़े
अचानक सुबह को दैनिक भास्कर की एक खबर पर नजरें पड़ीं तो हम हैरान रह गए। इस खबर से साफ है कि मैच फिक्सिंग के तार छत्तीसगढ़ से भी जुड़े हैं। फिक्सिंग के तारे छत्तीसगढ़ से जुड़े होने की वजह से हम हैरान नहीं हुए बल्कि हमें हैरानी इस बात को लेकर हुई कि यहां से निकलने वाले एक छोटी सी अंग्रेजी पत्रिका जस्ट स्पोट्र्स के फोटोग्राफर इसमें शामिल हैं। हमें अब समझ में आ रहा है कि क्यों कर इस पत्रिका के बारे में लगातार जानकारी ली जा रही थी। खेलों से हमारा 20 साल से ज्यादा समय से नाता होने की वजह से कई पत्रकार मित्रों ने हमसे भी इस पत्रिका के बारे में पूछा था। संभवत: मीडिया से जुड़े हमारे अलावा और कोई इस पत्रिका के बारे में नहीं जानता था।
हमें आज याद आ रहा है कि एक दिन हमारे पास इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े एक पत्रकार का फोन आया कि कोई जस्ट स्पोट्र्स पत्रिका निकलती है, छत्तीसगढ़ से इसके बारे में क्या जानते हैं? हमने उनको बताया कि यह पत्रिका तो भिलाई के अशोक कुशवाहा निकालते थे, लेकिन संभवत: अब यह काफी समय से बंद है। बात आई-गई हो गई। इसके बाद फिर एक प्रिंट मीडिया के पत्रकार मित्र ने इसी पत्रिका के बारे में जानना चाहा। हमने उनसे पूछा यार कि आखिर बात क्या है इसके बारे में क्यों इतनी जांच हो रही है। इस पर उन्होंने बताया कि दिल्ली के किसी पत्रकार मित्र ने उनसे यह मालूम करने कहा है। इसके बाद फिर से एक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार मित्र ने इस पत्रिका के बारे में जानना चाहा। हमारा माथा ठनक रहा था कि हो न हो यार है तो कोई बड़ा लोचा जिसके कारण इतने सारे पत्रकारों से इस पत्रिका के बारे में जानकारी ली जा रही है। हमने अपने इन पत्रकार मित्र से कहा भी कि क्या कोई बड़ा गबन-वबन जैसे मामला हो गया है क्या। उन्होंने इतना कह कह कर टाल दिया कि हां यार कोई मामला है लेकिन इसके बारे में मुझे में भी ठीक से नहीं मालूम।
आज दैनिक भास्कर की खबर पढ़कर समझ आया कि वास्तव में माजरा क्या था। दरअसल इस पत्रिका के एक फोटोग्राफर धीरज दीक्षित ने बीसीसीआई से पत्रिका का फोटोग्राफर होने के नाते मान्यता ले रखी थी। इसी के साथ पत्रिका के संपादक अशोक कुशवाहा को भी बीसीसीआई से मान्यता है। अशोक तो कई बार विदेश भी जा चुके हंै भारतीय
टीम के दौरे के समय। अब यह भी खुलासा हुआ है कि उनके साथ फोटोग्राफर धीरज दीक्षित भी कई बार गए हैं। हमें याद है हम उस समय दैनिक देशबन्धु में खेल संपादक थे तो अक्सर अशोक कुशवाहा हमारे पास आते थे और बताते थे कि वे भारतीय टीम के साथ बाहर जा रहे हैं। हमसे वे कहीं से आर्थिक मदद की बात भी कहते थे। इसी के साथ वे हमेशा चाहते थे कि हम उनकी भेजी गई क्रिकेट की खबरों को स्थान दें। हमने लगातार उनकी खबरों को देशबन्धु में स्थान भी दिया। हम उनसे हमेशा कहते थे कि अगर खबरें मैच की रिपोर्टिंग से अगल होंगी तभी हम प्रकाशित करेंगे। वे अक्सर अलग अंदाज की खबरें भेजते थे। हम उनकी खबरों को प्रकाशित करने के साथ उनको खबरें भेजने के लिए कुछ पैसे भी दिलवाते थे।
बहरहाल हम यह तो नहीं जानते हैं कि मैच फिक्सिंग में अशोक शामिल हैं या नहीं। वैसे हमें उम्मीद नहीं है कि वे ऐसा काम कर सकते हैं। हम उनको बरसों से जानते हैं। लेकिन इतना तय है कि अब उनके फोटोग्राफर का नाम तो फिक्सिंग में शामिल हो गया है। सोचने वाले बात यह है कि आखिर भिलाई से निकलने वाली एक छोटी की पत्रिका को कैसे बीसीसीआई से मान्यता दे दी। इसके पीछे दो कारण लगते हैं कि एक तो अपने देश में अंग्रेजी में अगर कोई चीज होती है तो फिर भले वह चीज सड़ी-गली क्यों न हो उसकी पूछ-परख हो जाती है। दूसरी यह कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट राजेश चौहान भी भिलाई के हैं, अशोक कुशवाहा उनके पास भी जाते थे, संभव है मान्यता दिलाने में उन्होंने अशोक कुशवाहा की मदद की हो।
हमें आज याद आ रहा है कि एक दिन हमारे पास इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े एक पत्रकार का फोन आया कि कोई जस्ट स्पोट्र्स पत्रिका निकलती है, छत्तीसगढ़ से इसके बारे में क्या जानते हैं? हमने उनको बताया कि यह पत्रिका तो भिलाई के अशोक कुशवाहा निकालते थे, लेकिन संभवत: अब यह काफी समय से बंद है। बात आई-गई हो गई। इसके बाद फिर एक प्रिंट मीडिया के पत्रकार मित्र ने इसी पत्रिका के बारे में जानना चाहा। हमने उनसे पूछा यार कि आखिर बात क्या है इसके बारे में क्यों इतनी जांच हो रही है। इस पर उन्होंने बताया कि दिल्ली के किसी पत्रकार मित्र ने उनसे यह मालूम करने कहा है। इसके बाद फिर से एक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार मित्र ने इस पत्रिका के बारे में जानना चाहा। हमारा माथा ठनक रहा था कि हो न हो यार है तो कोई बड़ा लोचा जिसके कारण इतने सारे पत्रकारों से इस पत्रिका के बारे में जानकारी ली जा रही है। हमने अपने इन पत्रकार मित्र से कहा भी कि क्या कोई बड़ा गबन-वबन जैसे मामला हो गया है क्या। उन्होंने इतना कह कह कर टाल दिया कि हां यार कोई मामला है लेकिन इसके बारे में मुझे में भी ठीक से नहीं मालूम।
आज दैनिक भास्कर की खबर पढ़कर समझ आया कि वास्तव में माजरा क्या था। दरअसल इस पत्रिका के एक फोटोग्राफर धीरज दीक्षित ने बीसीसीआई से पत्रिका का फोटोग्राफर होने के नाते मान्यता ले रखी थी। इसी के साथ पत्रिका के संपादक अशोक कुशवाहा को भी बीसीसीआई से मान्यता है। अशोक तो कई बार विदेश भी जा चुके हंै भारतीय
टीम के दौरे के समय। अब यह भी खुलासा हुआ है कि उनके साथ फोटोग्राफर धीरज दीक्षित भी कई बार गए हैं। हमें याद है हम उस समय दैनिक देशबन्धु में खेल संपादक थे तो अक्सर अशोक कुशवाहा हमारे पास आते थे और बताते थे कि वे भारतीय टीम के साथ बाहर जा रहे हैं। हमसे वे कहीं से आर्थिक मदद की बात भी कहते थे। इसी के साथ वे हमेशा चाहते थे कि हम उनकी भेजी गई क्रिकेट की खबरों को स्थान दें। हमने लगातार उनकी खबरों को देशबन्धु में स्थान भी दिया। हम उनसे हमेशा कहते थे कि अगर खबरें मैच की रिपोर्टिंग से अगल होंगी तभी हम प्रकाशित करेंगे। वे अक्सर अलग अंदाज की खबरें भेजते थे। हम उनकी खबरों को प्रकाशित करने के साथ उनको खबरें भेजने के लिए कुछ पैसे भी दिलवाते थे।
बहरहाल हम यह तो नहीं जानते हैं कि मैच फिक्सिंग में अशोक शामिल हैं या नहीं। वैसे हमें उम्मीद नहीं है कि वे ऐसा काम कर सकते हैं। हम उनको बरसों से जानते हैं। लेकिन इतना तय है कि अब उनके फोटोग्राफर का नाम तो फिक्सिंग में शामिल हो गया है। सोचने वाले बात यह है कि आखिर भिलाई से निकलने वाली एक छोटी की पत्रिका को कैसे बीसीसीआई से मान्यता दे दी। इसके पीछे दो कारण लगते हैं कि एक तो अपने देश में अंग्रेजी में अगर कोई चीज होती है तो फिर भले वह चीज सड़ी-गली क्यों न हो उसकी पूछ-परख हो जाती है। दूसरी यह कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट राजेश चौहान भी भिलाई के हैं, अशोक कुशवाहा उनके पास भी जाते थे, संभव है मान्यता दिलाने में उन्होंने अशोक कुशवाहा की मदद की हो।
1 टिप्पणियाँ:
ओह ये तो दुखद है ! फिक्सिंग की लपटें यहां तक पहुँची ,सुनकर बुरा लगा !
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