शिक्षक ही बन गए भक्षक
सुबह को एक खबर पर नजरें पड़ीं कि अपने छत्तीसगढ़ के भिलाई में दो शिक्षक ही भक्षक बन गए। इन भक्षकों ने मासूम छात्राओं को अपना शिकार बनाया। भिलाई के ज्ञानदीप स्कूल के प्राचार्य अतुल मिश्रा एक सातवीं कक्षा में पढऩे वाली एक छात्रा ने पिछले एक साल से ज्यादा समय से छेड़छाड़ कर रहे थे। यह छात्रा भय की वजह से अपने परिजनों को कुछ नहीं बता रही थी, लेकिन जब प्राचार्य ने सारी हदें पार करते हुए छात्रा के साथ 15 अगस्त के दिन जबरदस्ती की और फिर लगातार ऐसे प्रयास करने लगा तो छात्रा ने अपने परजिनों की इसकी जानकारी दी।
ऐसे में परिजनों के साथ कई पालकों ने स्कूल का घेराव कर दिया। इस मामले की पुलिस में रिपोर्ट की गई है। भिलाई में ही एक और मामला कल ही तब सामने आया जब मालूम हुआ कि राजीव गांधी शिक्षा मिशन में कोआर्डिनेटर नेमराज वर्मा ने एक पांचवीं कक्षा की छात्रा के साथ छेड़छाड़ की और उसे अपनी हवस का शिकार बनाने का प्रयास किया। छात्रा ने इसकी जानकारी अपनी शिक्षिका को दी फिर इस मामले की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करवाई गई।
शिक्षा जगत में ये मामले नए नहीं हैं, ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं कि शिक्षक ही अपनी छात्राओं का शोषण करते हैं। सोचने वाली बात यह है कि आज के शिक्षकों को क्या हो गया है, कैसे वे इतने गिर गए हैं कि अपनी ही शिष्यों को शिकार बनाने से बाज नहीं आ रहे हैं। लगता है कि आज गुरुओं की आत्मा मर चुकी है।
ऐसे में परिजनों के साथ कई पालकों ने स्कूल का घेराव कर दिया। इस मामले की पुलिस में रिपोर्ट की गई है। भिलाई में ही एक और मामला कल ही तब सामने आया जब मालूम हुआ कि राजीव गांधी शिक्षा मिशन में कोआर्डिनेटर नेमराज वर्मा ने एक पांचवीं कक्षा की छात्रा के साथ छेड़छाड़ की और उसे अपनी हवस का शिकार बनाने का प्रयास किया। छात्रा ने इसकी जानकारी अपनी शिक्षिका को दी फिर इस मामले की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करवाई गई।
शिक्षा जगत में ये मामले नए नहीं हैं, ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं कि शिक्षक ही अपनी छात्राओं का शोषण करते हैं। सोचने वाली बात यह है कि आज के शिक्षकों को क्या हो गया है, कैसे वे इतने गिर गए हैं कि अपनी ही शिष्यों को शिकार बनाने से बाज नहीं आ रहे हैं। लगता है कि आज गुरुओं की आत्मा मर चुकी है।
7 टिप्पणियाँ:
वाकई आत्मा मर चुकी है इनकी.
अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना ! निंदनीय ! इस तरह के प्रकरणों में कानून और भी सख्त होना चाहिए !
gvaalaani bhaayi shikshk divs ke kuch vqt purv yeh ghinoni ghtnaa bhut shrmnaak he aapne is ghtna ko hm tk phunchaayi dhnyvad. akhtar khan akela kota rajsthan
बच्चों का भय के कारण किसी को ना बताना, माता-पिता द्वारा अपने बच्चों से खुलकर बात ना करना और समय की कमी, कडे कानूनों का अभाव इस प्रकार की घटनाओं का कारण हैं।
ऐसे लोगों को सरेआम फांसी की सजा भी कम है।
प्रणाम
sharmanaak ...is par apne kaalam mey bhi likhane vala hoo. kya ho gayaa hai in shikshako ko? dhikkar hai.
बेहद शर्मनाक एवं निंदनीय ! क्या ऐसे शिक्षकों को 'गोविन्द' के समकक्ष रखा जा सकता है ? इन्हें जितनी सज़ा दी जाए कम होगी !
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