सचिन तेंदुलकर से एक और मुलाकात
अचानक एक कार्यक्रम में जाना हुआ, तो देखा कि वहां के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अपने सचिन तेंदुलकर हैं। सचिन के यहां होने की किसी को जानकारी नहीं थी। सचिन को देखकर हमें भी अच्छा लगा कि चलो यार डेढ़ दशक बाद फिर से एक बार सचिन और हम आमने-सामने होंगे। हमें उम्मीद नहीं थी, पर सचिन ने हमें पहचान लिया। जब हम कार्यक्रम के बाद जाने लगे तो उन्होंने हमसे कहा कहां चले भाई साहब हमने आपको पहचान लिया है। हम आपसे दुर्ग के मैच में मिल चुके हैं, फिर आप जैसे पत्रकार को कौन भूल सकता है जिनके साथ ड्रेसिंग रूम में काफी समय साथ थे।
सचिन का हमें पहचान लेना हमारे लिए सुखद आश्चर्य का विषय था, क्योंकि एक तो हम उनसे करीब डेढ़ दशक पहले दुर्ग के एक दोस्ताना मैच में तब मिले थे, जब वहां पर मैच का आयोजन करवाने का काम अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राजेश चौहान ने किया था। हमें उम्मीद नहीं थी कि सचिन हमें इतनी आसानी से पहचान जाएंगे, कारण एक तो यह कि उस समय सचिन भारतीय टीम में नए-नए आए थे, लेकिन तब भी उनके नाम की तूती बोलती थी, और दूसरे यह कि आज उनका जितना नाम है और वे जितने लोगों से मिलते हैं, वैसे में छत्तीसगढ़ जैसे राज्य के एक छोटे से पत्रकार को वे कैसे पहचानेंगे यह हमने सोचा नहीं था।
बहरहाल वे कार्यक्रम के बाद हमें अपने साथ होटल ले गए। उन्होंने कहा कि यहां आराम से बात करेंगे। उन्होंने बताया कि साक्षरता पर बच्चों का कार्यक्रम होने की जानकारी होने पर वे यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि साक्षरता पर जहां भी देश में कार्यक्रम होगा, हम वहां जरूर जाएंगे। हमारे मन में सचिन से काफी लंबी बात करने की मंशा थी, हम उनसे कई सवाल करना चाहते थे। सचिन से जब हम पहली बार दुर्ग के मैच में मिले थे, तब भी उनके नाम का डंका पूरे विश्व में बजने लगा था आज को वे क्रिकेट के भगवान हो गए हैं। उस समय भी हमने उनके साथ फोटो नहीं खींचवाई थी, वैसे हम अपनी जिंदगी में कई क्रिकेटरों के साथ बड़े-बड़़े फिल्म स्टारों से मिल चुके हैं जिनमें अपने बिग-बी अमिताभ बच्चन भी शामिल हैं, लेकिन हमने कभी किसी के साथ फोटो खींचवाने का मोह नहीं किया। लेकिन न जाने कैसे सचिन के साथ फोटो खींचवाने का मन हो रहा था। ऐसे में हमने अपने प्रेस के फोटोग्राफर किशन लोखंड़े को फोन लगाया, वैसे भी रात के इस समय 11.30 बज रहे थे। हमने फोटोग्राफर से पूछा कि कहां हैं, तो उन्होंने बताया कि वे घर पर हैं। उन्होंने पूछा क्या बात है भईया कोई घटना हो गई है क्या। हमने उनको बताया कि सचिन यहां आए हैं, तुम आ जाओ तो कुछ फोटो ले लें। उसने कहा ठीक है भईया, हम बस 15 मिनट में पहुंच रहे हैं। हमने फोटोग्राफर को होटल का पता बताया और उनसे कहा कि सचिन रूम नंबर 106 में हैं और हम उनके साथ हैं।
अब इससे पहले की हमारे फोटोग्राफर का आगमन होता, अचानक हमारी नींद खुल गई।
दरअसल सचिन से हमारी यह मुलाकात सपने में हुई। संभवत: सचिन अचानक हमारे सपने में इसलिए आए कि क्योंकि कल ही हमने अपने ब्लाग, ब्लाग चौपाल में ब्लाग चर्चा का शतक पूरा किया और हमने उम्मीद जताई कि हमारी इस चौपाल में पोस्ट सचिन के शतकों के भी आगे जाएगी।
कल भले हमें सचिन से सपने में मिले, लेकिन उनसे वास्तव में हमारी करीब डेढ़ दशक पहले छत्तीसगढ़ के दुर्ग में तब मुलाकात हुई थी, जब वे यहां एक दोस्ताना मैच खेलने आए थे। तब हमें उनके साथ ड्रेसिंग रूम में काफी समय बिताने का मौका मिला था। हम उन पलों को कभी नहीं भूल सकते हैं।
सचिन का हमें पहचान लेना हमारे लिए सुखद आश्चर्य का विषय था, क्योंकि एक तो हम उनसे करीब डेढ़ दशक पहले दुर्ग के एक दोस्ताना मैच में तब मिले थे, जब वहां पर मैच का आयोजन करवाने का काम अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राजेश चौहान ने किया था। हमें उम्मीद नहीं थी कि सचिन हमें इतनी आसानी से पहचान जाएंगे, कारण एक तो यह कि उस समय सचिन भारतीय टीम में नए-नए आए थे, लेकिन तब भी उनके नाम की तूती बोलती थी, और दूसरे यह कि आज उनका जितना नाम है और वे जितने लोगों से मिलते हैं, वैसे में छत्तीसगढ़ जैसे राज्य के एक छोटे से पत्रकार को वे कैसे पहचानेंगे यह हमने सोचा नहीं था।
बहरहाल वे कार्यक्रम के बाद हमें अपने साथ होटल ले गए। उन्होंने कहा कि यहां आराम से बात करेंगे। उन्होंने बताया कि साक्षरता पर बच्चों का कार्यक्रम होने की जानकारी होने पर वे यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि साक्षरता पर जहां भी देश में कार्यक्रम होगा, हम वहां जरूर जाएंगे। हमारे मन में सचिन से काफी लंबी बात करने की मंशा थी, हम उनसे कई सवाल करना चाहते थे। सचिन से जब हम पहली बार दुर्ग के मैच में मिले थे, तब भी उनके नाम का डंका पूरे विश्व में बजने लगा था आज को वे क्रिकेट के भगवान हो गए हैं। उस समय भी हमने उनके साथ फोटो नहीं खींचवाई थी, वैसे हम अपनी जिंदगी में कई क्रिकेटरों के साथ बड़े-बड़़े फिल्म स्टारों से मिल चुके हैं जिनमें अपने बिग-बी अमिताभ बच्चन भी शामिल हैं, लेकिन हमने कभी किसी के साथ फोटो खींचवाने का मोह नहीं किया। लेकिन न जाने कैसे सचिन के साथ फोटो खींचवाने का मन हो रहा था। ऐसे में हमने अपने प्रेस के फोटोग्राफर किशन लोखंड़े को फोन लगाया, वैसे भी रात के इस समय 11.30 बज रहे थे। हमने फोटोग्राफर से पूछा कि कहां हैं, तो उन्होंने बताया कि वे घर पर हैं। उन्होंने पूछा क्या बात है भईया कोई घटना हो गई है क्या। हमने उनको बताया कि सचिन यहां आए हैं, तुम आ जाओ तो कुछ फोटो ले लें। उसने कहा ठीक है भईया, हम बस 15 मिनट में पहुंच रहे हैं। हमने फोटोग्राफर को होटल का पता बताया और उनसे कहा कि सचिन रूम नंबर 106 में हैं और हम उनके साथ हैं।
अब इससे पहले की हमारे फोटोग्राफर का आगमन होता, अचानक हमारी नींद खुल गई।
दरअसल सचिन से हमारी यह मुलाकात सपने में हुई। संभवत: सचिन अचानक हमारे सपने में इसलिए आए कि क्योंकि कल ही हमने अपने ब्लाग, ब्लाग चौपाल में ब्लाग चर्चा का शतक पूरा किया और हमने उम्मीद जताई कि हमारी इस चौपाल में पोस्ट सचिन के शतकों के भी आगे जाएगी।
कल भले हमें सचिन से सपने में मिले, लेकिन उनसे वास्तव में हमारी करीब डेढ़ दशक पहले छत्तीसगढ़ के दुर्ग में तब मुलाकात हुई थी, जब वे यहां एक दोस्ताना मैच खेलने आए थे। तब हमें उनके साथ ड्रेसिंग रूम में काफी समय बिताने का मौका मिला था। हम उन पलों को कभी नहीं भूल सकते हैं।
7 टिप्पणियाँ:
पूरा बना बनाया माहौल ...काहे नींद खुल गई भई!! :)
मज़ा आ गया। जब सप्ने में इतने विनम्र हैं तो असलियत में कितने होंगे? वाह।
मजेदार है यह तो
बहुत खूब लिखा है मित्र
लोखंडे को आपके सपने में घुस कर कम से कम फोटो तो खींचना ही चाहिये थी :)
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
ऐसे मीठे सपने कम ही आते हैं.. चलिए आपकी दोबारा मुलाकात सपने में ही सही हुई तो..
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