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बुधवार, दिसंबर 01, 2010

पैसा ही अब सबका ईमान है

जमाने में कहा वफा है
हर कोई लगता बेवफा है।।
हमने हसीनों को भी देखा है
उनके चेहरे में भी फरेब छिपा है।।
बेवफाई उनकी अदा है
धोखा उनका काम है।।
आशिकी का यही इनाम
तभी तो प्यार बदनाम है।।
आज के प्रेमी नाकाम
सारे झूठे इसांन हैं।।
प्यार का घट गया मान है
पैसा ही अब सबका ईमान है।।
पैसे की खातिर करते हैं सब प्यार
पैसों की खातिर बदल लेते हैं यार।।

3 टिप्पणियाँ:

उम्मतें बुध दिस॰ 01, 06:54:00 pm 2010  

इस बात पर आपसे सहमत होना मुश्किल है !

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