खिलाडिय़ों को पेशेवर बनाने की पहल हो
अंतरराष्ट्रीय हॉकी निर्णायक और पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी नीता डुमरे का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार का राज्य खेल महोत्सव का आयोजन एक अच्छी पहल है। लेकिन इस पहल के साथ सरकार को एक और पहल खिलाडियों को पेशेवर बनाने की करनी चाहिए। इस महोत्सव से ही इसकी शुरुआत करते हुए खिलाडिय़ों को नकद राशि देने की पहल भी करनी चाहिए। सरकार को एक और काम खिलाडिय़ों के भले के लिए यह करना चाहिए कि इनामी राशि भी ज्यादा दी जाए जिससे खिलाडिय़ों में प्रतिस्पर्धा ज्यादा हो। उनसे हुई बातचीत के अंश प्रस्तुत हैं।
० छत्तीसगढ़ राज्य खेल महोत्सव के बारे में आप क्या सोचती हैं?
०० प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की यह एक अच्छी पहल है। इस पहल से राज्य में खेलों का माहौल तो बन रहा है, पर इस माहौल को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए सरकार को और कुछ कदम उठाने चाहिए।
०कैसे कदम?
०० सबसे पहले तो सरकार को खिलाडिय़ों को पेशेवर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
० खिलाडिय़ों को पेशेवर बनाने क्या होना चाहिए?
०० खिलाडिय़ों को पेशेवर बनाने के लिए यह जरूरी है कि हर खेल के खिलाडिय़ों को खेल में पैसे मिलने चाहिए। राज्य खेल महोत्सव एक अच्छा अवसर है, इसका फायदा उठाते हुए इस महोत्सव में शामिल हर खिलाड़ी को सरकार को कुछ न कुछ नकद राशि जरूर देनी चाहिए। ऐसा करने से गांव-गांव तक यह बात जाएगी कि खेलने से पैसे मिलते हैं।
० इनामी राशि के बारे में आप क्या सोचती है?
०० मेरा ऐसा मानना है कि किसी भी खेल में जितनी ज्यादा इनामी राशि होती है, उसमें उतनी की प्रतिस्पर्धा होती है। मैंने देखा है कि खिलाडिय़ों में इनामी राशि जीतने की एक अलग ही ललक होती है। राज्य खेल महोत्सव की इनामी राशि पर्याप्त नहीं है। इतने बड़े आयोजन में महज एक हजार की राशि बहुत ही कम है।
० खिलाडिय़ों को दिए जाने वाले ट्रेक शूट के बारे में आप क्या सोचती है?
०० यह एक अच्छी पहल है। मुङो याद है कि जब हम लोग खेलते थे, तो एक ट्रेक शूट के लिए तरस जाते थे, आज तो एक-एक खिलाड़ी को एक नहीं कई ट्रेक शूट मिल जाते हैं। राज्य महोत्सव में खिलाडिय़ों को ट्रेक शूट मिलेंगे तो वे इसको याद रखेंगे। लेकिन इसी के साथ यह भी जरूरी है कि उनको नकद राशि भी दी जाए।
० एशियाड में भारतीय दल को मिली सफलता पर क्या सोचती हैं?
०० भारतीय दल को पहले कामनवेल्थ और अब एशियाड में जो सफलता मिली है, उसके पीछे लंबी मेहनत है। अब अपने देश में भी खिलाडिय़ों के लिए लंबे समय के प्रशिक्षण शिविर लग रहे हैं जिसका नतीजा सामने आ रहा है।
० एशियाड में महिला हॉकी टीम को पदक क्यों नहीं मिल सका?
०० मेरा ऐसा मानना है कि टीम में नए कोच के कारण खिलाडिय़ों और उनके बीच सही तालमेल नहीं बन पाया। इसी के साथ खिलाडिय़ों में भी तालमेल की कमी रही जिसके कारण अपनी टीम पदक से वंचित हो गई और उसे चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा।
० पुरुष हॉकी के बारे में क्या सोचना है?
०० पुरुष हॉकी टीम ने अपने हाथ से फाइनल में पहुंचने का मौका गंवाया। टीम सेमीफाइनल में मलेशिया से अपनी गलती से हारी। मैच समाप्त होने के दो मिनट पहले तक भारत ३-२ से आगे था। बचे दो मिनट को न बचा पाने के कारण उसे हार का सामना करना पड़ा। एशियाड के इतिहास में भारत की गलती के कारण मलेशिया को पहली बार फाइनल में स्थान मिला।
० खिलाडिय़ों को जब सफलता मिल रही है को सरकार को क्या करना चाहिए?
०० खिलाड़ी देश के लिए पदकों की बारिश कर रहे हैं तो सरकार को खिलाडिय़ों के लिए ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने चाहिए। खिलाडिय़ों को खेल कोटे में निजी कंपनियों में भी काम देने की पहल होनी चाहिए।
० महिला खिलाडिय़ों की सफलता पर क्या कहना चाहेंगी?
०० यह अपने देश के लिए गौरव की बात है कि आज महिला खिलाडिय़ों को कामनवेल्थ के बाद एशियाड में भी सफलता मिली है। मैंने १९८२ के दिल्ली एशियाड के बाद ही हॉकी की शुरुआत की थी, उस समय बहुत कम लड़कियां खेलों में जाती थीं, लेकिन आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला खिलाडिय़ों का दबदबा है। एशियाड के एथलेटिक्स में पदक जीतने वाली एक महिला खिलाड़ी को जब राष्ट्रपति से मिलने का मौका मिला था, उसे खुशी हुई थी कि अब क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलों की भी पूछ-परख होने लगी है। अब यह कहा जा सकता है कि दूसरे खेल खेलने वाले खिलाड़ी भी सम्मानित होने लगे हैं।
० छत्तीसगढ़ राज्य खेल महोत्सव के बारे में आप क्या सोचती हैं?
०० प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की यह एक अच्छी पहल है। इस पहल से राज्य में खेलों का माहौल तो बन रहा है, पर इस माहौल को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए सरकार को और कुछ कदम उठाने चाहिए।
०कैसे कदम?
०० सबसे पहले तो सरकार को खिलाडिय़ों को पेशेवर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
० खिलाडिय़ों को पेशेवर बनाने क्या होना चाहिए?
०० खिलाडिय़ों को पेशेवर बनाने के लिए यह जरूरी है कि हर खेल के खिलाडिय़ों को खेल में पैसे मिलने चाहिए। राज्य खेल महोत्सव एक अच्छा अवसर है, इसका फायदा उठाते हुए इस महोत्सव में शामिल हर खिलाड़ी को सरकार को कुछ न कुछ नकद राशि जरूर देनी चाहिए। ऐसा करने से गांव-गांव तक यह बात जाएगी कि खेलने से पैसे मिलते हैं।
० इनामी राशि के बारे में आप क्या सोचती है?
०० मेरा ऐसा मानना है कि किसी भी खेल में जितनी ज्यादा इनामी राशि होती है, उसमें उतनी की प्रतिस्पर्धा होती है। मैंने देखा है कि खिलाडिय़ों में इनामी राशि जीतने की एक अलग ही ललक होती है। राज्य खेल महोत्सव की इनामी राशि पर्याप्त नहीं है। इतने बड़े आयोजन में महज एक हजार की राशि बहुत ही कम है।
० खिलाडिय़ों को दिए जाने वाले ट्रेक शूट के बारे में आप क्या सोचती है?
०० यह एक अच्छी पहल है। मुङो याद है कि जब हम लोग खेलते थे, तो एक ट्रेक शूट के लिए तरस जाते थे, आज तो एक-एक खिलाड़ी को एक नहीं कई ट्रेक शूट मिल जाते हैं। राज्य महोत्सव में खिलाडिय़ों को ट्रेक शूट मिलेंगे तो वे इसको याद रखेंगे। लेकिन इसी के साथ यह भी जरूरी है कि उनको नकद राशि भी दी जाए।
० एशियाड में भारतीय दल को मिली सफलता पर क्या सोचती हैं?
०० भारतीय दल को पहले कामनवेल्थ और अब एशियाड में जो सफलता मिली है, उसके पीछे लंबी मेहनत है। अब अपने देश में भी खिलाडिय़ों के लिए लंबे समय के प्रशिक्षण शिविर लग रहे हैं जिसका नतीजा सामने आ रहा है।
० एशियाड में महिला हॉकी टीम को पदक क्यों नहीं मिल सका?
०० मेरा ऐसा मानना है कि टीम में नए कोच के कारण खिलाडिय़ों और उनके बीच सही तालमेल नहीं बन पाया। इसी के साथ खिलाडिय़ों में भी तालमेल की कमी रही जिसके कारण अपनी टीम पदक से वंचित हो गई और उसे चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा।
० पुरुष हॉकी के बारे में क्या सोचना है?
०० पुरुष हॉकी टीम ने अपने हाथ से फाइनल में पहुंचने का मौका गंवाया। टीम सेमीफाइनल में मलेशिया से अपनी गलती से हारी। मैच समाप्त होने के दो मिनट पहले तक भारत ३-२ से आगे था। बचे दो मिनट को न बचा पाने के कारण उसे हार का सामना करना पड़ा। एशियाड के इतिहास में भारत की गलती के कारण मलेशिया को पहली बार फाइनल में स्थान मिला।
० खिलाडिय़ों को जब सफलता मिल रही है को सरकार को क्या करना चाहिए?
०० खिलाड़ी देश के लिए पदकों की बारिश कर रहे हैं तो सरकार को खिलाडिय़ों के लिए ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने चाहिए। खिलाडिय़ों को खेल कोटे में निजी कंपनियों में भी काम देने की पहल होनी चाहिए।
० महिला खिलाडिय़ों की सफलता पर क्या कहना चाहेंगी?
०० यह अपने देश के लिए गौरव की बात है कि आज महिला खिलाडिय़ों को कामनवेल्थ के बाद एशियाड में भी सफलता मिली है। मैंने १९८२ के दिल्ली एशियाड के बाद ही हॉकी की शुरुआत की थी, उस समय बहुत कम लड़कियां खेलों में जाती थीं, लेकिन आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला खिलाडिय़ों का दबदबा है। एशियाड के एथलेटिक्स में पदक जीतने वाली एक महिला खिलाड़ी को जब राष्ट्रपति से मिलने का मौका मिला था, उसे खुशी हुई थी कि अब क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलों की भी पूछ-परख होने लगी है। अब यह कहा जा सकता है कि दूसरे खेल खेलने वाले खिलाड़ी भी सम्मानित होने लगे हैं।
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