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बुधवार, दिसंबर 22, 2010

सपनों की शहजादी

मेरी कल्पना में
मेरे सपनों की शहजादी
सुंदरता की ऐसी देवी
जो सौन्दर्य को भी लजा दे
गोरे मुखड़े पर उभरने वाली आभा
मानो शीशे पर
भास्कर का धीमा प्रकाश
साथ में
माथे पर चांद सी चमकती बिंदियां
नयन ऐसे
मानो मछलियां
अधर इतने मधुर
मानो कोमल गुलाब
की दो पंखुडियां
आपस में आलिंगन कर रही हों
काली कजरारी पलकें
अपनी तरफ आकर्षिक करती
बिखरी हुईं लटें
मानो घने काले बादल हों

1 टिप्पणियाँ:

उम्मतें बुध दिस॰ 22, 05:52:00 pm 2010  

माने सौंदर्य को लजा देने वाली , आपके सपनों की शहजादी उर्फ सौंदर्यवती को गौर वर्ण होना ज़रुरी है :)

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