छेड़छाड़ से एक छात्रा की जान चली गई और मंत्री कहते हैं छेड़छाड़ मामूली बात है
हमारे शहर रायपुर में एक छात्रा की छेड़छाड़ के कारण जान चली गई। इस छात्रा नेहा भाटिया को इतना ज्यादा परेशान किया गया कि अंत में उसको अपनी जान देनी पड़ी। जब अपने शहर में यह हादसा हुआ तो हमें अपने राज्य के उन शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की वह बात याद आई जिसमें उन्होंने कहा था कि छेड़छाड़ तो मालूमी बात है। क्या छेड़छाड़ इतनी मामूली बात है कि एक छात्रा को जान देकर उसकी कीमत चुकानी पड़ी। क्या ऐसे में ऐसे मंत्रियों को शर्म नहीं आती है। अब इनको शर्म आएगी भी तो कैसे, जब शर्म होगी तब आएगी न।
अपना पूरा शहर इस बात से नाराज है कि शहर की कानून व्यवस्था इतना ज्यादा लचर हो गई है कि एक स्कूली छात्रा को छेड़छाड़ से तंग आकर जान देनी पड़ी। इस छात्रा नेहा भाटिया को उनके स्कूल के ही छात्र परेशान करते थे। इस छात्रा ने इसकी शिकायत लगातार अपने स्कूल में की, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने इस दिशा में ध्यान ही नहीं दिया। अंत में यह गरीब छात्रा इतनी ज्यादा परेशान हो गई कि उसने आत्महत्या कर ली। जिंदगी और मौत से एक दिन जूझने के बाद उसने दम तोड़ दिया। लेकिन उसके दम तोडऩे के बाद अब भी कई सवाल सामने खड़े हैं।
सोचने वाली बात है कि क्यों कर छेड़छाड़ को मामूली बात समझ लिया जाता है। जिस राज्य के शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल जैसे लोग होंगे तो वहां तो छेड़छाड़ को मामूली बात ही समझा जाएगा। हमें याद है कि कुछ दिनों पहले ही जब स्कूली खेलों की एक राष्ट्रीय स्पर्धा का उद्घाटन हुआ था तो वहां पर पंजाब के लड़कों ने अपनी टीम के साथ तख्ती लेकर चलने वाली छत्तीसगढ़ के एक स्कूल की एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की थी, जब इस मामले को मीडिया ने शिक्षा मंत्री ने सामने रखा था तो उन्होंने इस बात को हवा में उड़ाते हुए कह दिया था कि छेड़छाड़ तो मामूली बात है, यह सब होते रहता है। अब हमारे शिक्षा मंत्री को जवाब देना चाहिए कि अगर छेड़छाड़ मामूली बात है तो क्यों कर एक स्कूल की छात्रा को जान देनी पड़ी। जब तक अपने समाज में ऐसे मंत्री और ऐसी सोच वाले लोग रहेंगे जिनकी नजर में छेड़छाड़ मामूली बात है तो अपने देश के हर शहर में नेहा भाटिया जैसी छात्राओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।
अपना पूरा शहर इस बात से नाराज है कि शहर की कानून व्यवस्था इतना ज्यादा लचर हो गई है कि एक स्कूली छात्रा को छेड़छाड़ से तंग आकर जान देनी पड़ी। इस छात्रा नेहा भाटिया को उनके स्कूल के ही छात्र परेशान करते थे। इस छात्रा ने इसकी शिकायत लगातार अपने स्कूल में की, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने इस दिशा में ध्यान ही नहीं दिया। अंत में यह गरीब छात्रा इतनी ज्यादा परेशान हो गई कि उसने आत्महत्या कर ली। जिंदगी और मौत से एक दिन जूझने के बाद उसने दम तोड़ दिया। लेकिन उसके दम तोडऩे के बाद अब भी कई सवाल सामने खड़े हैं।
सोचने वाली बात है कि क्यों कर छेड़छाड़ को मामूली बात समझ लिया जाता है। जिस राज्य के शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल जैसे लोग होंगे तो वहां तो छेड़छाड़ को मामूली बात ही समझा जाएगा। हमें याद है कि कुछ दिनों पहले ही जब स्कूली खेलों की एक राष्ट्रीय स्पर्धा का उद्घाटन हुआ था तो वहां पर पंजाब के लड़कों ने अपनी टीम के साथ तख्ती लेकर चलने वाली छत्तीसगढ़ के एक स्कूल की एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की थी, जब इस मामले को मीडिया ने शिक्षा मंत्री ने सामने रखा था तो उन्होंने इस बात को हवा में उड़ाते हुए कह दिया था कि छेड़छाड़ तो मामूली बात है, यह सब होते रहता है। अब हमारे शिक्षा मंत्री को जवाब देना चाहिए कि अगर छेड़छाड़ मामूली बात है तो क्यों कर एक स्कूल की छात्रा को जान देनी पड़ी। जब तक अपने समाज में ऐसे मंत्री और ऐसी सोच वाले लोग रहेंगे जिनकी नजर में छेड़छाड़ मामूली बात है तो अपने देश के हर शहर में नेहा भाटिया जैसी छात्राओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।
4 टिप्पणियाँ:
जिस दिन मंत्री अपनी जिम्मेदारी समझ लें .. देश का कायापलट न हो जाए !!
मंत्री जी, शायद पहले यही करते थे !
बेहद अफसोसजनक....
अत्यंत दुखद !
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