रुस्तम सारंग भी कर सकते हैं छत्तीसगढ़ से पलायन
प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भारोत्तोलक रुस्तम सारंग भी अब प्रदेश से पलायन करने की तैयारी में हैं। काफी प्रयासों के बाद भी सीएएफ से जिला पुलिस में न लिए जाने के कारण अब उन्होंने बाहर से मिलने वाले ऑफरों की तरफ ध्यान देना प्रारंभ नहीं किया है। इतना होने के बाद भी वे कहते हैं कि मेरी पहली प्र्रथमिकता अपना राज्य है। अगर प्रदेश सरकार मुङो जिला पुलिस में नौकरी दे देती है, तो मैं अपना राज्य छोड़कर नहीं जाऊंगा। नौकरी न मिलने की स्थिति में राज्य से बाहर जाना मेरी मजबूरी होगी।
कामनवेल्थ से लेकर एशियाड में देश का परचम लहराने वाले प्रदेश के भारोत्तोलक रुस्तम सारंग का दर्द यह है कि उनके पिता विक्रम पुरस्कार प्राप्त बुधराम सारंग द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के भी दरबार में फरियाद करने के बाद रुस्तम को जिला पुलिस में नहीं लिया जा रहा है। बुधराम सारंग कहते हैं कि उनके पुत्र ने एक नहीं बल्कि पांच बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है और मलेशिया के कामनवेल्थ भारोत्तोलन के साथ सैफ खेलों में भी पदक जीता है। राष्ट्रीय स्तर पर वह लगातार पदक जीत रहा है, लेकिन इतना होने के बाद भी उसकी पदोन्नति नहीं हो रही है। रुस्तम को राज्य के तीन खेल पुरस्कार शहीद कौशल यादव, शहीद राजीव पांडे के साथ गुंडाधूर भी मिल चुका है। रुस्तम राज्य के उत्कृष्ट खिलाड़ी भी घोषित हो चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी उनको जिला पुलिस में नहीं लिया जा रहा है। श्री सारंग कहते हैं कि अगर सीएएफ से जिला पुलिस में लेने का प्रावधान नहीं है तो रुस्तम को सीधे जिला पुलिस में लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में मुक्केबाज दिनेश कुमार और जितेन्द्र कुमार को शैक्षणिक योग्यता कम होने के बाद भी डीएसपी बनाया गया है। श्री सारंग कहते हैं कि रुस्तम को जिला पुलिस में कम से कम सब इंस्पेक्टर तो लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि राज्य के मुक्केबाजों आर. राजू और टी सुमन को राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धि पर पुलिस में हवलदार बनाया गया है तो रुस्तम की अंतरराष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियों को देखते हुए उनको क्यों कर सब इंस्पेक्टर बनाया जा सकता है। रुस्तम सारंग ने पूछने पर बताया कि उनके पास बाहर से कई ऑफर हैं, लेकिन फिलहाल मैं किसी ऑफर पर ध्यान नहीं दे रहा हूं। उन्होंने कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता अपना राज्य है, लेकिन जब मुङो लगेगा कि यहां कुछ नहीं हो सकता है तो जरूर मुङो मजबूरीवश बाहर का रूख करना पड़ेगा। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि प्रदेश सरकार में नौकरी न मिलने के कारण ही बास्केटबॉल, हैंडबॉल, हॉकी, कराते और कई खेलों के खिलाडिय़ों को छत्तीसगढ़ छोड़कर बाहर जाना पड़ा है। अगर रुस्तम की तरफ भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो एक और प्रतिभा से राज्य को हाथ धोना पड़ सकता है।
1 टिप्पणियाँ:
अफसोसनाक !
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