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शनिवार, दिसंबर 04, 2010

छत्तीसगढ़ दोहरे खिताब के करीब

राष्ट्रीय शालेय नेटबॉल में मेजबान छत्तीसगढ़ अपना विजयक्रम जारी रखते हुए बालक के साथ बालिका वर्ग के भी सेमीफाइनल में स्थान बना लिया है। अब मेजबान टीम दोहरे स्वर्ण से बस दो ही जीत दूर है।
नेताजी स्टेडियम में चल रही स्पर्धा में दोपहर के सत्र में बालिका वर्ग में छत्तीसगढ़ का सामना क्वार्टर फाइनल में कर्नाटक से हुआ। इस मैच में मेजबान टीम ने जोरदार खेल दिखाते हुए एकतरफा मुकाबले में २१-६ से जीत प्राप्त की। विजेता टीम के लिए प्रियंका सोनवानी ने १८ और अनुपमा मसीह ने तीन अंक बनाए। बालिका वर्ग के अन्य क्वार्टर फाइनल मैचों में पंजाब ने तमिलनाडु को २४-०३, हरियाणा ने महाराष्ट्र को २७-१२ और दिल्ली ने चंडीगढ़ को १७-०५ से मात देकर सेमीफाइनल में स्थान बनाया। इसके पहले सुबह के सत्र में हुए लीग मैचों में हरियाणा ने नवोदय को २०-००, महाराष्ट्र ने मप्र को १६-१३, तमिलनाडु ने जम्मू-कश्मीर को १४-०१ से हराया। चंडीगढ़ और उप्र का मुकाबला १३-१३ से ड्रा रहा।
बालक वर्ग से क्वार्टर फाइनल में मेजबान छत्तीसगढ़ ने एकतरफा मुकाबले में महाराष्ट्र को २७-०२ से परास्त किया। विजेता टीम पहले हॉफ में १४-०४ से आगे थी। विजेता टीम के विक्की शुक्ला, बादल डे, उत्तम, टी. प्रतीक औैर पलाश का खेल सराहनीय रहा। अन्य क्वार्टर फाइनल मैचों में पंजाब ने जम्मू कश्मीर को २१-०२ और कर्नाटक ने नवोदय को २३-०९ से मात दी। पहली बार ही खेलने आई नवोदय की टीम ने पहली बार में क्वार्टर फाइनल में स्थान बना लिया। खिलाड़़ी अनुभव की कमी के कारण ही क्वार्टर फाइनल में कर्नाटक से हार गए। इसके पहले सुबह को लीग मैचों में हरियाणा ने तमिलनाडु को २१-०४, नवोदय ने मप्र को २९-०५ और महाराष्ट्र ने उप्र को १४-०६ से मात दी।
ये कैसी खेल भावना ...
राष्ट्रीय शालेय नेटबॉल स्पर्धा में सुबह के सत्र में नेटबॉल संघ के पदाधिकारियों ने इस बात को लेकर बवाल मचा दिया कि शिक्षा विभाग ने मीडिया को यह जानकारी दे दी कि विभाग ने दस तकनीकी अधिकारी रखने के लिए कहा था और संघ ने ज्यादा रख लिए हैं। संघ के पदाधिकारियों ने खबर के प्रकाशित होने के बाद शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। करीब डेढ़ घंटे तक मैच प्रारंभ नहीं किया गया। बाद में जिला शिक्षा अधिकारी आर. बाम्बरा के आने के बाद मैच प्रारंभ करवाए गए। मैच में सभी अधिकारियों ने काली पट्टी लगाकर अपना विरोध जताया। यह विरोध पहले सत्र तक ही रहा। आर. बाम्बरा ने संघ के पदाधिकारियों के सामने ही पूछने पर कहा कि हमारे विभाग ने दस तकनीकी अधिकारियों का ही मानदेय देने की बात कही है, क्योंकि इससे ज्यादा का बजट नहीं है। विभाग ने यह नहीं कहा है कि आप ज्यादा अधिकारी नहीं रख सकते हैं। संघ चाहे तो जितने अधिकारी रखे, लेकिन सभी को मानदेय देना संभव नहीं होगा। इधर संघ के उपाध्यक्ष सुधीर वर्मा के साथ अंपायर प्रवीण रिछारिया का कहना है कि राष्ट्रीय आयोजन दस अधिकारियों में होना संभव नहीं इसके लिए कम से कम २० अधिकारी चाहिए। जिला शिक्षा अधिकारी के दस अधिकारियों की बात कह जाने के बाद संघ के पदाधिकारियों ने सुबह के सत्र में एक मैदान में मैच करवाने बंद कर दिए थे, शाम के सत्र में उन्होंने खेल भावना का हवाला देते हुए दोनों मैदानों में मैच करवाने प्रारंभ किए। उनकी इस हरकत पर बाहर से आए राज्यों के खिलाडिय़ों में चर्चा होती रही कि ये कैसी खेल भावना दिखाई जा रही है। इस मामले में भारतीय स्कूल फेडरेशन से आए पर्यवेक्षक आरके यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आयोजन को लेकर उनके पास अब तक किसी भी खिलाड़ी और राज्य से शिकायत नहीं आई है, यहां जो भी मामला है वह आपसी खींच-तान का लगता है। उन्होंने कहा कि उनके पास अगर किसी भी तरह की शिकायत आती है देखेंगे कि क्या किया जा सकता है।

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