राज्य ओलंपिक संघ समाप्त होंगे!
भारतीय ओलंपिक संघ ने देश के सभी राज्यों के ओलंपिक संघ को समाप्त करने की कवायद प्रारंभ कर दी है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ से मार्गदर्शन लेने के बाद संघ ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर उनके मत मांगे हैं कि क्या करना चाहिए। संघ की सामान्य सभा में इस बात का फैसला किया जाएगा कि क्या होना चाहिए। संघ ने राष्ट्रीय खेल संघों के मतदान के अधिकार भी कम करने की मानसिकता बनाई है। संघ की मानसिकता के खिलाफ पूरे देश में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ ने भी इस बात का विरोध करते हुए भारतीय ओलंपिक संघ को पत्र लिखा है।
भारतीय ओलंपिक संघ ने छत्तीसगढ़ सहित सभी राज्यों को एक पत्र भेजा है जिसमें लिखा गया है कि संघ अपने संविधान में संशोधन करना चाहता है। नए संविधान में राज्य के ओलंपिक संघों को किसी भी तरह के मतदान के अधिकार से वंचित करते हुए संघ को ही समाप्त करने का प्रस्ताव है। इसी के साथ राष्ट्रीय खेल संघों के मतदान के अधिकार में भी कटौती की बात है। अब तक राष्ट्रीय खेल संघों को भारतीय ओलंपिक संघ के चुनाव में तीन मत देने का अधिकार है। इसे कम करके एक किया जा रहा है। संघ के ऐसा करने के पीछे के कारण के बारे में जानकार बताते हैं कि संघ के अध्यक्ष के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ही भारतीय ओलंपिक संघ ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ को एक पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांगा था कि वह अपने संविधान में इस तरह का संशोधन करना चाहता है। अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन ने इसके जवाब में भारतीय ओलंपिक को लिखा कि वह सामान्य सभा बुलाकर बहुमत के आधार पर संशोधन कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ से मिले मार्गदर्शन के बाद भारतीय ओलंपिक संघ ने अपने संविधान में परिवर्तन करने का मन बनाया और सभी राज्यों को पत्र लिख कर उनके विचार मांगे हैं कि क्या होना चाहिए।
छत्तीसगढ़ ने जताया विरोध
भारतीय ओलंपिक संघ ने जो फैसला करने का मन बनाया है, उसका छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ ने विरोध करते हुए पत्र लिखा है। संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने बताया कि भारतीय ओलंपिक संघ के संविधान में कहीं नहीं है कि राज्य संघों की मान्यता समाप्त की जाएगी। उन्होंने बताया कि हमने सुङााव दिया है कि राज्य ओलंपिक संघ को समाप्त करने की बजाए उसको दो के स्थान पर एक ही मत का अधिकार दिया जाए। अभी राज्य ओलंपिक संघों को दो मतों का अधिकार है। इसी के साथ खेलों के राष्ट्रीय फेडरेशन को तीन मतों को अधिकार है, इसे दो कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि ओलंपिक संघ के संविधान में यह है कि खेल संघों से राज्य ओलंपिक संघों को कम मतों का अधिकार होना चाहिए। मप्र ओलंपिक संघ के सचिव एसआर देव ने भी बताया कि उनके राज्य संघ को भी भारतीय ओलंपिक संघ का पत्र मिला है।
पूरे देश में हो रहा है विरोध
ओलंपिक संघ से जुड़े पदाधिकारी बताते हैं कि भारतीय ओलंपिक संघ के इस कदम का पूरे देश में विरोध हो रहा है कि सभी राज्यों के ओलंपिक संघ एक हो गए हैं। जब भी दिल्ली में सामान्य सभा की बैठक होगी तो संविधान में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूर होने नहीं दिया जाएगा।
राष्ट्रीय खेलों का क्या होगा?
अगर राज्य के ओलंपिक संघों को समाप्त कर दिया जाता है तो राष्ट्रीय खेलों का क्या होगा। राष्ट्रीय खेलों के आयोजन का जिम्मा राज्य ओलंपिक संघों का होता है। राज्य संघ की मेजबानी लेकर सरकार के साथ मिलकर इसका आयोजन करते हैं।
भारतीय ओलंपिक भी समाप्त हो
राज्य ओलंपिक संघ ही नहीं रहेगा तो भारतीय ओलंपिक संघ की क्या जरूरत रहेगी। खेलों से जुड़े लोग कहते हैं कि अगर राज्य ओलंपिक संघ समाप्त किए जाते हैं तो फिर भारतीय ओलंपिक संघ की क्या जरुरत है। राज्य ओलंपिक संघों में इस बार तो लेकर बहुत नाराजगी है कि भारतीय ओलंपिक संघ अपनी मनमर्जी कर रहा है और राज्य संघों को समाप्त करने की साजिश कर रहा है।
भारतीय ओलंपिक संघ ने छत्तीसगढ़ सहित सभी राज्यों को एक पत्र भेजा है जिसमें लिखा गया है कि संघ अपने संविधान में संशोधन करना चाहता है। नए संविधान में राज्य के ओलंपिक संघों को किसी भी तरह के मतदान के अधिकार से वंचित करते हुए संघ को ही समाप्त करने का प्रस्ताव है। इसी के साथ राष्ट्रीय खेल संघों के मतदान के अधिकार में भी कटौती की बात है। अब तक राष्ट्रीय खेल संघों को भारतीय ओलंपिक संघ के चुनाव में तीन मत देने का अधिकार है। इसे कम करके एक किया जा रहा है। संघ के ऐसा करने के पीछे के कारण के बारे में जानकार बताते हैं कि संघ के अध्यक्ष के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ही भारतीय ओलंपिक संघ ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ को एक पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांगा था कि वह अपने संविधान में इस तरह का संशोधन करना चाहता है। अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन ने इसके जवाब में भारतीय ओलंपिक को लिखा कि वह सामान्य सभा बुलाकर बहुमत के आधार पर संशोधन कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ से मिले मार्गदर्शन के बाद भारतीय ओलंपिक संघ ने अपने संविधान में परिवर्तन करने का मन बनाया और सभी राज्यों को पत्र लिख कर उनके विचार मांगे हैं कि क्या होना चाहिए।
छत्तीसगढ़ ने जताया विरोध
भारतीय ओलंपिक संघ ने जो फैसला करने का मन बनाया है, उसका छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ ने विरोध करते हुए पत्र लिखा है। संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने बताया कि भारतीय ओलंपिक संघ के संविधान में कहीं नहीं है कि राज्य संघों की मान्यता समाप्त की जाएगी। उन्होंने बताया कि हमने सुङााव दिया है कि राज्य ओलंपिक संघ को समाप्त करने की बजाए उसको दो के स्थान पर एक ही मत का अधिकार दिया जाए। अभी राज्य ओलंपिक संघों को दो मतों का अधिकार है। इसी के साथ खेलों के राष्ट्रीय फेडरेशन को तीन मतों को अधिकार है, इसे दो कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि ओलंपिक संघ के संविधान में यह है कि खेल संघों से राज्य ओलंपिक संघों को कम मतों का अधिकार होना चाहिए। मप्र ओलंपिक संघ के सचिव एसआर देव ने भी बताया कि उनके राज्य संघ को भी भारतीय ओलंपिक संघ का पत्र मिला है।
पूरे देश में हो रहा है विरोध
ओलंपिक संघ से जुड़े पदाधिकारी बताते हैं कि भारतीय ओलंपिक संघ के इस कदम का पूरे देश में विरोध हो रहा है कि सभी राज्यों के ओलंपिक संघ एक हो गए हैं। जब भी दिल्ली में सामान्य सभा की बैठक होगी तो संविधान में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूर होने नहीं दिया जाएगा।
राष्ट्रीय खेलों का क्या होगा?
अगर राज्य के ओलंपिक संघों को समाप्त कर दिया जाता है तो राष्ट्रीय खेलों का क्या होगा। राष्ट्रीय खेलों के आयोजन का जिम्मा राज्य ओलंपिक संघों का होता है। राज्य संघ की मेजबानी लेकर सरकार के साथ मिलकर इसका आयोजन करते हैं।
भारतीय ओलंपिक भी समाप्त हो
राज्य ओलंपिक संघ ही नहीं रहेगा तो भारतीय ओलंपिक संघ की क्या जरूरत रहेगी। खेलों से जुड़े लोग कहते हैं कि अगर राज्य ओलंपिक संघ समाप्त किए जाते हैं तो फिर भारतीय ओलंपिक संघ की क्या जरुरत है। राज्य ओलंपिक संघों में इस बार तो लेकर बहुत नाराजगी है कि भारतीय ओलंपिक संघ अपनी मनमर्जी कर रहा है और राज्य संघों को समाप्त करने की साजिश कर रहा है।
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