सिंथेटिक ट्रेक होने से मिलेंगे पदक विजेता
अपने राज्य में एथलेटिक्स में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हमारे खिलाड़ी आज अगर राष्ट्रीय स्तर पर पदक नहीं जीत पा रहे हैं तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सिंथेटिक ट्रेक की कमी है। जिस दिन राज्य में एक भी सिंथेटिक ट्रेक हो जाएगा, उस दिन के बाद से पदकों की बारिश होने लगेगी।
यह कहना है छत्तीसगढ़ में दो दशक से प्रशिक्षण देने वाले एनआईएस कोच सुदर्शन कुमार सिंह का। वे कहते हैं कि यह अपने राज्य का दुर्भाग्य है कि राज्य बनने के दस साल बाद भी राज्य में एक भी सिंथेटिक ट्रेक नहीं बन सका है। वे कहते हैं कि राष्ट्रीय स्पर्धाओं का आयोजन सिंथेटिक ट्रेक में ही होता है। बीस साल पहले 1991 में कोलकाता से एनआईएस कोर्स में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले सुदर्शन कहते हैं कि मैं दो दशक से देख रहा हूं कि छत्तीसगढ़ में एथलेटिक्स के खिलाड़ियों की खासकर बालिका खिलाड़ियों की भरमार है। दल्लीराजहरा की ही बात करें जहां मैं खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देता हूं तो यहां की खिलाड़ी लगातार राष्ट्रीय स्तर पर खेल रही हैं। खिलाड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन वे पदक के करीब पहुंच कर पदकों से चूक जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी एक शिष्या टी. संजू ने छत्तीसगढ़ बनने के बाद 2000-01 में राष्ट्रीय स्कूली खेलों में पहले स्वर्ण पदक जीता, इसके बाद संजू ने जयपुर (2002) के साथ जगदलपुर में 2003 में हुए राष्ट्रीय महिला खेलों में कांस्य पदक जीते। राष्ट्रीय स्तर पर संजू ने बहुत उम्मीदे थीं, लेकिन उन्होंने आगे पारिवारिक कारणों से खेलना बंद कर दिया।
दल्लीराजहरा में हैं प्रतिभाएं
सुदर्शन कहते हैं कि एथलेटिक्स की प्रतिभाओं की जहां तक बात है तो यह प्रतिभाएं दल्लीराजहरा में हैं। राजधानी रायपुर के साई सेंटर के लिए दल्लीराजहरा की 10 बालिका खिलाड़ियों का चयन हुआ है। दल्लीराजहरा में सेल द्वारा डे-बोर्डिंग प्रशिक्षण केंद्र चलाया जा रहा है जिसमें मैं प्रशिक्षण देकर खिलाड़ियों को तैयार करने का काम कर रहा हूं। सुदर्शन कहते हैं कि बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में एथलीटों की भरमार है, जरूरत है इनको सही दिशा दिखाने की। वे बताते हैं कि उनके पास जो दो एथलीट बिमला पटेल और भुवनेश्वरी हैं, इनमें राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जाने की क्षमता है। यह खिलाड़ी अभी 12-13 की हैं और इनका प्रदर्शन काबिले तारीफ है।
साई में आने तैयार
सुदर्शन एक सवाल के जवाब में कहते हैं कि रायपुर के साई सेंटर में आने के लिए तैयार हैं। उनको अगर प्रदेश के साथ देश के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का मौका मिलेगा, तो इससे अच्छी बात हो ही नहीं सकती है। वे बताते हैं कि उनके अलावा छत्तीसगढ़ में एक और एनआईएस कोच पीजी जयकृष्णनन आदिमजाति कल्याण विभाग के बिलासपुर के एक गांव के स्कूल में पीटीआई हैं। इसी के साथ शिक्षा विभाग में एक महिला एनआईएस कोच शकीला देवदास हैं। इन कोच के नाम राष्ट्रीय स्तर पर 100, 200 और 400 मीटर दौड़ में पदक हैं। यह कोच दुर्ग के पुरई गांव में पीटीआई हैं। सुदर्शन कहते हैं कि हम में से किसी भी कोच की सेवाएं साई ले सकता है। सुदर्शन बताते हैं कि उनके द्वारा 400 मीटर में बनाया गया 48.4 सेकेंड का रिकॉर्ड आज भी कायम है।
यह कहना है छत्तीसगढ़ में दो दशक से प्रशिक्षण देने वाले एनआईएस कोच सुदर्शन कुमार सिंह का। वे कहते हैं कि यह अपने राज्य का दुर्भाग्य है कि राज्य बनने के दस साल बाद भी राज्य में एक भी सिंथेटिक ट्रेक नहीं बन सका है। वे कहते हैं कि राष्ट्रीय स्पर्धाओं का आयोजन सिंथेटिक ट्रेक में ही होता है। बीस साल पहले 1991 में कोलकाता से एनआईएस कोर्स में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले सुदर्शन कहते हैं कि मैं दो दशक से देख रहा हूं कि छत्तीसगढ़ में एथलेटिक्स के खिलाड़ियों की खासकर बालिका खिलाड़ियों की भरमार है। दल्लीराजहरा की ही बात करें जहां मैं खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देता हूं तो यहां की खिलाड़ी लगातार राष्ट्रीय स्तर पर खेल रही हैं। खिलाड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन वे पदक के करीब पहुंच कर पदकों से चूक जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी एक शिष्या टी. संजू ने छत्तीसगढ़ बनने के बाद 2000-01 में राष्ट्रीय स्कूली खेलों में पहले स्वर्ण पदक जीता, इसके बाद संजू ने जयपुर (2002) के साथ जगदलपुर में 2003 में हुए राष्ट्रीय महिला खेलों में कांस्य पदक जीते। राष्ट्रीय स्तर पर संजू ने बहुत उम्मीदे थीं, लेकिन उन्होंने आगे पारिवारिक कारणों से खेलना बंद कर दिया।
दल्लीराजहरा में हैं प्रतिभाएं
सुदर्शन कहते हैं कि एथलेटिक्स की प्रतिभाओं की जहां तक बात है तो यह प्रतिभाएं दल्लीराजहरा में हैं। राजधानी रायपुर के साई सेंटर के लिए दल्लीराजहरा की 10 बालिका खिलाड़ियों का चयन हुआ है। दल्लीराजहरा में सेल द्वारा डे-बोर्डिंग प्रशिक्षण केंद्र चलाया जा रहा है जिसमें मैं प्रशिक्षण देकर खिलाड़ियों को तैयार करने का काम कर रहा हूं। सुदर्शन कहते हैं कि बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में एथलीटों की भरमार है, जरूरत है इनको सही दिशा दिखाने की। वे बताते हैं कि उनके पास जो दो एथलीट बिमला पटेल और भुवनेश्वरी हैं, इनमें राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जाने की क्षमता है। यह खिलाड़ी अभी 12-13 की हैं और इनका प्रदर्शन काबिले तारीफ है।
साई में आने तैयार
सुदर्शन एक सवाल के जवाब में कहते हैं कि रायपुर के साई सेंटर में आने के लिए तैयार हैं। उनको अगर प्रदेश के साथ देश के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का मौका मिलेगा, तो इससे अच्छी बात हो ही नहीं सकती है। वे बताते हैं कि उनके अलावा छत्तीसगढ़ में एक और एनआईएस कोच पीजी जयकृष्णनन आदिमजाति कल्याण विभाग के बिलासपुर के एक गांव के स्कूल में पीटीआई हैं। इसी के साथ शिक्षा विभाग में एक महिला एनआईएस कोच शकीला देवदास हैं। इन कोच के नाम राष्ट्रीय स्तर पर 100, 200 और 400 मीटर दौड़ में पदक हैं। यह कोच दुर्ग के पुरई गांव में पीटीआई हैं। सुदर्शन कहते हैं कि हम में से किसी भी कोच की सेवाएं साई ले सकता है। सुदर्शन बताते हैं कि उनके द्वारा 400 मीटर में बनाया गया 48.4 सेकेंड का रिकॉर्ड आज भी कायम है।
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