साई सेंटर में एक और नया खेल जुड़ेगा
साई सेंटर में बोर्डिंग की खाली 40 सीटों को भरने के लिए कम से कम एक और नया खेल जोड़ने की तैयारी चल रही है। नए खेलों में प्रमुख रूप से तीरंदाजी, कबड्डी और हॉकी शामिल हैं। इनमें से ही एक खेल का चयन खिलाड़ियों की प्रतिभा के हिसाब से किया जाएगा।
राजधानी रायपुर के साई सेंटर के लिए भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय ने 100 सीटों का कोटा तय किया था। इन सीटों में 46 सीटें बालक खिलाड़ियों से भरी गईं हैं। बालिका खिलाड़ियों में 34 खिलाड़ियों का चयन किया गया था, लेकिन अब तक 14 खिलाड़ी ही आई हैं। दल्लीराजहरा की दस खिलाड़ियों का न आना तय है। ऐसे में सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान ने साई के क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु से चर्चा करके सेंटर में एक और नया खेल जोड़ने की मौखिक मंजूरी ले ली है। श्री खान ने बताया कि किस खेल को रखा जाएगा, यह अभी तय नहीं है। निदेशक श्री नायडु ने कहा है कि जिस खेल में राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों के पदक हैं उसको प्राथमिकता देनी है। उन्होंने बताया कि जो खेल हमारी नजरों में हैं उन खेलों में तीरंदाजी, कबड्डी और हॉकी प्रमुख हैं। तीरंदाजी और हॉकी में आदिवासी खिलाड़ियों की भरमार है, इसलिए ये प्राथमिकता में हैं। कबड्डी में पहली बार छत्तीसगढ़ के बालकों ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं। वैसे बोर्डिंग में लड़कियों की सीटें ज्यादा खाली हैं।
तीरंदाजी को शामिल किया जाए
प्रदेश तीरंदाजी संघ के सचिव कैलाश मुरारका कहते हैं कि साई सेंटर में तीरंदाजी को शामिल करना चाहिए। हमारे संघ ने साई के डीजी गोपाल कृष्ण से रायपुर प्रवास के समय मांग भी की थी। श्री मुरारका कहते हैं कि अभी राजनांदगांव के साई सेंटर में तीरंदाजी को रखा गया है, लेकिन वहां पर स्थान की कमी है, रायपुर के सेंटर में पर्याप्त स्थान है। वे कहते हैं कि इस खेल में हमारे पास 100 प्रतिशत आदिवासी खिलाड़ी हैं। राजनांदगांव के सेंटर में रायपुर की दस खिलाड़ी हैं। रायपुर के सेंटर में तीरंदाजी को शामिल करने पर ज्यादा खिलाड़ियों को फायदा मिलेगा। इस खेल में साई के एनआईएस कोच भी हैं जो पहले रायपुर में थी, बाद में उनको राजनांदगांव भेजा गया है।
हॉकी पर संघों के विवाद का साया
हॉकी को साई सेंटर में शामिल करने की मानसिकता तो सेंटर के प्रभारी की है, पर वे इस खेल के लिए इसलिए पूरी मानसिकता नहीं बना पा रहे हैं क्योंकि हॉकी संघों में विवाद चल रहा है। शाहनवाज खान कहते हैं कि हॉकी को तो हम आज शामिल कर लें लेकिन सवाल यह है कि इस खेल के बच्चे किस संघ के बैनर पर राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलेंगे। जब तक संघों का विवाद नहीं सुलझ जाता है, हॉकी को शामिल करने में परेशानी है। हॉकी से जुड़े लोगों का कहना है कि अगले माह संभवत: संघों का विवाद समाप्त हो जाएगा।
महिला वार्डन पहुंचीं
साई सेंटर में सोमवार से प्रारंभ हुए बालिका खिलाड़ियों के बोर्डिंग के लिए धार से बैडमिंटन की कोच ज्योति ठाकुर यहां आ गर्इं हैं। ज्योति ठाकुर को वार्डन का जिम्मा दिया गया है। इसी के साथ वह बैडमिंटन खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने में भी कोच शाहनवाज खान की मदद करेंगी।
प्रशिक्षकों का अब तक टोटा
साई सेंटर में प्रशिक्षकों का अब तक टोटा है। अब तक वालीबॉल के कोच चंदर सिंह यहां नहीं आ सके हैं। इसी के साथ खेल विभाग से फुटबॉल की कोच सरिता कुजूर को साई ने मांगा था, उसे भी खेल विभाग ने अब तक नहीं दिया है। सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान ने बताया कि वालीबॉल के एक और कोच एसएश भदोरिया जो कि भोपाल में हैं, उनको भेजने का आग्रह क्षेत्रीय कार्यालय से किया गया है।
राजधानी रायपुर के साई सेंटर के लिए भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय ने 100 सीटों का कोटा तय किया था। इन सीटों में 46 सीटें बालक खिलाड़ियों से भरी गईं हैं। बालिका खिलाड़ियों में 34 खिलाड़ियों का चयन किया गया था, लेकिन अब तक 14 खिलाड़ी ही आई हैं। दल्लीराजहरा की दस खिलाड़ियों का न आना तय है। ऐसे में सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान ने साई के क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडु से चर्चा करके सेंटर में एक और नया खेल जोड़ने की मौखिक मंजूरी ले ली है। श्री खान ने बताया कि किस खेल को रखा जाएगा, यह अभी तय नहीं है। निदेशक श्री नायडु ने कहा है कि जिस खेल में राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों के पदक हैं उसको प्राथमिकता देनी है। उन्होंने बताया कि जो खेल हमारी नजरों में हैं उन खेलों में तीरंदाजी, कबड्डी और हॉकी प्रमुख हैं। तीरंदाजी और हॉकी में आदिवासी खिलाड़ियों की भरमार है, इसलिए ये प्राथमिकता में हैं। कबड्डी में पहली बार छत्तीसगढ़ के बालकों ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं। वैसे बोर्डिंग में लड़कियों की सीटें ज्यादा खाली हैं।
तीरंदाजी को शामिल किया जाए
प्रदेश तीरंदाजी संघ के सचिव कैलाश मुरारका कहते हैं कि साई सेंटर में तीरंदाजी को शामिल करना चाहिए। हमारे संघ ने साई के डीजी गोपाल कृष्ण से रायपुर प्रवास के समय मांग भी की थी। श्री मुरारका कहते हैं कि अभी राजनांदगांव के साई सेंटर में तीरंदाजी को रखा गया है, लेकिन वहां पर स्थान की कमी है, रायपुर के सेंटर में पर्याप्त स्थान है। वे कहते हैं कि इस खेल में हमारे पास 100 प्रतिशत आदिवासी खिलाड़ी हैं। राजनांदगांव के सेंटर में रायपुर की दस खिलाड़ी हैं। रायपुर के सेंटर में तीरंदाजी को शामिल करने पर ज्यादा खिलाड़ियों को फायदा मिलेगा। इस खेल में साई के एनआईएस कोच भी हैं जो पहले रायपुर में थी, बाद में उनको राजनांदगांव भेजा गया है।
हॉकी पर संघों के विवाद का साया
हॉकी को साई सेंटर में शामिल करने की मानसिकता तो सेंटर के प्रभारी की है, पर वे इस खेल के लिए इसलिए पूरी मानसिकता नहीं बना पा रहे हैं क्योंकि हॉकी संघों में विवाद चल रहा है। शाहनवाज खान कहते हैं कि हॉकी को तो हम आज शामिल कर लें लेकिन सवाल यह है कि इस खेल के बच्चे किस संघ के बैनर पर राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलेंगे। जब तक संघों का विवाद नहीं सुलझ जाता है, हॉकी को शामिल करने में परेशानी है। हॉकी से जुड़े लोगों का कहना है कि अगले माह संभवत: संघों का विवाद समाप्त हो जाएगा।
महिला वार्डन पहुंचीं
साई सेंटर में सोमवार से प्रारंभ हुए बालिका खिलाड़ियों के बोर्डिंग के लिए धार से बैडमिंटन की कोच ज्योति ठाकुर यहां आ गर्इं हैं। ज्योति ठाकुर को वार्डन का जिम्मा दिया गया है। इसी के साथ वह बैडमिंटन खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने में भी कोच शाहनवाज खान की मदद करेंगी।
प्रशिक्षकों का अब तक टोटा
साई सेंटर में प्रशिक्षकों का अब तक टोटा है। अब तक वालीबॉल के कोच चंदर सिंह यहां नहीं आ सके हैं। इसी के साथ खेल विभाग से फुटबॉल की कोच सरिता कुजूर को साई ने मांगा था, उसे भी खेल विभाग ने अब तक नहीं दिया है। सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान ने बताया कि वालीबॉल के एक और कोच एसएश भदोरिया जो कि भोपाल में हैं, उनको भेजने का आग्रह क्षेत्रीय कार्यालय से किया गया है।
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