क्या मुंबई राज ठाकरे की बपौती है?
मुंबई ब्लास्ट के बाद जिस तरह से राज ठाकरे का बयान आया है, उसने एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या मुंबई राज ठाकरे की बपौती है? भारत लोकतांत्रिक देश है और देश का हर नागरिक पूरे देश में कहीं भी आने-जाने के लिए स्वतंत्र है। फिर राज ठाकरे कौन होते हैं यह फैसला करने वाले कि मुंबई में कौन आएगा और कौन नहीं आएगा। क्या राज ठाकरे भारतीय संविधान से बढ़कर हैं? राज ठाकरे मुंबई को इतना ही अपना मानते हैं कि उन्होंने आखिर किया क्या है अब तक मुंबई ब्लास्टों को लेकर।
लगता है राज ठाकरे को उप्र और बिहार वालों के सिवाए कुछ नजर नहीं आता है। मुंबई में होने वाली हर घटना के लिए वे बाहरी लोगों को ही दोषी ठहरा देते हैं। बाहरी लोग दोषी जरूर हैं, लेकिन वे बाहरी नहीं जिनकी तरफ राज ठाकरे इशारा करते हैं, बल्कि वे बाहरी जिनका एक बंदा कसाब है। क्या यह बात राज ठाकरे को समा नहीं आती है कि आतंकवाद का जन्मदाता कौन है और भारत क्या पूरे विश्व में आतंकवाद का नंगा नाच कौन करवा रहा है। इतना सब जानने के बाद क्या राज ठाकरे सीधे-सीधे पाकिस्तान की तरफ ऊंगली उठाने से क्यों कर डरते हैं?
ठाकरे साहब यह मत भूलिए कि मुंबई जितनी आपकी है, उतनी ही देश के हर नागरिक की है। क्यों कर आप किसी को मुंबई आने से रोक सकते हैं। बाहर से आने वालों को रोकने की बजाए आप मुंबई की पुलिस को दोष दें कि वे ऐसे अपराधियों को खोज नहीं पाती है जो मुंबई में आकर अपराध करते हैं। अगर अपने देश की पुलिस और खुफिया तंत्र इतना ही मजबूत होता तो क्यों कर मुंबई या फिर देश में कहीं भी ऐसे हादसे होते। जरूरत बाहरी लोगों को मुंबई में आने से रोकने की नहीं बल्कि पुलिस और खुफिया तंत्र को मजबूत करने की है। यदि आप सरकार पर ऐसा करने का दबाव बनाएंगे तो जरूर जनता की नजरों में आपकी अहमियत होगी, लेकिन आप बिनावजह बाहरी लोगों पर संदेह करेंगे तो यह गलत है। क्या आप दावे के साथ कह सकते हैं कि मुंबई में रहने वाले अपराध नहीं करते हैं। जिनकी अपराध करने की प्रवृति होती है उनके लिए मुंबई क्या और दिल्ली क्या। अपराधी प्रवृति वालों को रोकना किसी के बस में नहीं होता है। यह वक्त तेरा-मेरा करने का नहीं बल्कि एक होकर आतंकवाद से निपटने का है। खाली बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला है।
बयानबाजी करनी ही है तो सरकार में बैठे उन भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के खिलाफ करें जिनके कारण देश का आज यह हाल है। एक सोचने वाली बात यह कि मंत्रिमंडल के फेरबदल के साथ ही मुंबई में ब्लास्ट हो जाता है। क्या इसमें किसी नेता का हाथ नहीं हो सकता है? इस तरफ क्या किसी ने सोचा। अब ऐसा सोचने के लिए अपने ठाकरे साहब के पास समय कहां है, उनको तो बस मुंबई के बाहर से आने वाले ही अपराधी नजर आते हैं। देश के हर बड़े महानगर में लाखों लोग रोज बाहर से आते हैं, उनको कैसे रोका जा सकता है। अपने छत्तीसगढ़ की राजधानी में ही रोज हजारों लोग आते हैं, इनमें से कौन सज्जन और कौन अपराधी है कौन जानता है।
लगता है राज ठाकरे को उप्र और बिहार वालों के सिवाए कुछ नजर नहीं आता है। मुंबई में होने वाली हर घटना के लिए वे बाहरी लोगों को ही दोषी ठहरा देते हैं। बाहरी लोग दोषी जरूर हैं, लेकिन वे बाहरी नहीं जिनकी तरफ राज ठाकरे इशारा करते हैं, बल्कि वे बाहरी जिनका एक बंदा कसाब है। क्या यह बात राज ठाकरे को समा नहीं आती है कि आतंकवाद का जन्मदाता कौन है और भारत क्या पूरे विश्व में आतंकवाद का नंगा नाच कौन करवा रहा है। इतना सब जानने के बाद क्या राज ठाकरे सीधे-सीधे पाकिस्तान की तरफ ऊंगली उठाने से क्यों कर डरते हैं?
ठाकरे साहब यह मत भूलिए कि मुंबई जितनी आपकी है, उतनी ही देश के हर नागरिक की है। क्यों कर आप किसी को मुंबई आने से रोक सकते हैं। बाहर से आने वालों को रोकने की बजाए आप मुंबई की पुलिस को दोष दें कि वे ऐसे अपराधियों को खोज नहीं पाती है जो मुंबई में आकर अपराध करते हैं। अगर अपने देश की पुलिस और खुफिया तंत्र इतना ही मजबूत होता तो क्यों कर मुंबई या फिर देश में कहीं भी ऐसे हादसे होते। जरूरत बाहरी लोगों को मुंबई में आने से रोकने की नहीं बल्कि पुलिस और खुफिया तंत्र को मजबूत करने की है। यदि आप सरकार पर ऐसा करने का दबाव बनाएंगे तो जरूर जनता की नजरों में आपकी अहमियत होगी, लेकिन आप बिनावजह बाहरी लोगों पर संदेह करेंगे तो यह गलत है। क्या आप दावे के साथ कह सकते हैं कि मुंबई में रहने वाले अपराध नहीं करते हैं। जिनकी अपराध करने की प्रवृति होती है उनके लिए मुंबई क्या और दिल्ली क्या। अपराधी प्रवृति वालों को रोकना किसी के बस में नहीं होता है। यह वक्त तेरा-मेरा करने का नहीं बल्कि एक होकर आतंकवाद से निपटने का है। खाली बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला है।
बयानबाजी करनी ही है तो सरकार में बैठे उन भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के खिलाफ करें जिनके कारण देश का आज यह हाल है। एक सोचने वाली बात यह कि मंत्रिमंडल के फेरबदल के साथ ही मुंबई में ब्लास्ट हो जाता है। क्या इसमें किसी नेता का हाथ नहीं हो सकता है? इस तरफ क्या किसी ने सोचा। अब ऐसा सोचने के लिए अपने ठाकरे साहब के पास समय कहां है, उनको तो बस मुंबई के बाहर से आने वाले ही अपराधी नजर आते हैं। देश के हर बड़े महानगर में लाखों लोग रोज बाहर से आते हैं, उनको कैसे रोका जा सकता है। अपने छत्तीसगढ़ की राजधानी में ही रोज हजारों लोग आते हैं, इनमें से कौन सज्जन और कौन अपराधी है कौन जानता है।
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