वरिष्ठ पत्रकारों के सामने ही धुआं उड़ाते हैं नए पत्रकार
आज के नए पत्रकारों में कितनी मर्यादा है इसका पता इसी बात से चलता है कि ये लोग अपने से बहुत ज्यादा वरिष्ठ पत्रकारों के सामने भी ठशन से खड़े होकर धुआं उड़ाने का काम करते हैं। एक समय वह था जब वरिष्ठ पत्रकारों के सामने जूनियर बैठने की क्या खड़े होने हिम्मत नहीं करते थे, लेकिन आज 21वीं सदी में सब चलता है।
हमने अक्सर पान दुकानों पर क्या प्रेस क्लब में भी नए-नवेले पत्रकरों को शान से खड़े होकर सिगरेट का धुआं उड़ाते देखा है। समझ में नहीं आता कि ये कैसे-कैसे पत्रकार आ गए हैं आज। जूनियरों में तो मर्यादा नाम की कोई चीज है नहीं, लेकिन सीनियरों से भी यह नहीं होता कि वे जूनियरों को कम से कम टोक सके। वैसे संभवत: सीनियर जानते हैं कि वे उनको टोकेंगे तो कहीं उनको उल्टा जवाब न मिल जाए।
हमारे साथ लंबे समय तक काम करने वाले एक पत्रकार मित्र ने कुछ दिनों पहले बताया कि वे एक पत्रकार वार्ता में गए थे,वहां एक नया-नवेला पत्रकार बैठा था, वह उनसे पूछने लगा कि तुम किस प्रेस में हो। उसका यह सवाल सुनकर वह हवाक रह गया कि कल का लड़का उनसे तुम कहकर बात कर रहा है। हमारे उस मित्र ने उसको फटकार लगाई तब जाकर उसकी समझ में आया कि वह गलती कर बैठा है।
यह महज एक उदाहरण है। यह आम बात है नए-नवेले पत्रकार सीनियरों को पहचानते नहीं हैं और कुछ भी पूछ बैठते हैं। यही नहीं प्रेस क्लब में भी सीनियरों के सामने नए लड़के बहुत ही गंदे तरीके से बैठे रहते हैं। लेकिन मजाल है कि कोई सीनियर उनसे कुछ कहे। कई बार ऐसा हुआ है कि हम जब प्रेस क्लब जाते हैं और किसी को ऐसी हरकत करते देखते हैं तो उसे फटकार लगाने से पीछे नहीं हटते हैं। हमारा ऐसा मानना है कि सीनियरों ने खुद ही अपना मान खो दिया है। अगर सीनियरों में दम हो तो मजाल है कि उनके सामने कोई जूनियर गलत हरकत कर दे।
हमने अक्सर पान दुकानों पर क्या प्रेस क्लब में भी नए-नवेले पत्रकरों को शान से खड़े होकर सिगरेट का धुआं उड़ाते देखा है। समझ में नहीं आता कि ये कैसे-कैसे पत्रकार आ गए हैं आज। जूनियरों में तो मर्यादा नाम की कोई चीज है नहीं, लेकिन सीनियरों से भी यह नहीं होता कि वे जूनियरों को कम से कम टोक सके। वैसे संभवत: सीनियर जानते हैं कि वे उनको टोकेंगे तो कहीं उनको उल्टा जवाब न मिल जाए।
हमारे साथ लंबे समय तक काम करने वाले एक पत्रकार मित्र ने कुछ दिनों पहले बताया कि वे एक पत्रकार वार्ता में गए थे,वहां एक नया-नवेला पत्रकार बैठा था, वह उनसे पूछने लगा कि तुम किस प्रेस में हो। उसका यह सवाल सुनकर वह हवाक रह गया कि कल का लड़का उनसे तुम कहकर बात कर रहा है। हमारे उस मित्र ने उसको फटकार लगाई तब जाकर उसकी समझ में आया कि वह गलती कर बैठा है।
यह महज एक उदाहरण है। यह आम बात है नए-नवेले पत्रकार सीनियरों को पहचानते नहीं हैं और कुछ भी पूछ बैठते हैं। यही नहीं प्रेस क्लब में भी सीनियरों के सामने नए लड़के बहुत ही गंदे तरीके से बैठे रहते हैं। लेकिन मजाल है कि कोई सीनियर उनसे कुछ कहे। कई बार ऐसा हुआ है कि हम जब प्रेस क्लब जाते हैं और किसी को ऐसी हरकत करते देखते हैं तो उसे फटकार लगाने से पीछे नहीं हटते हैं। हमारा ऐसा मानना है कि सीनियरों ने खुद ही अपना मान खो दिया है। अगर सीनियरों में दम हो तो मजाल है कि उनके सामने कोई जूनियर गलत हरकत कर दे।
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