लगी सावन की झड़ी
लंबे इंतजार के बाद लगी सावन की झड़ी
अब कब रूके सब देख रहे हैं घड़ी।।
अरे भाई आफिस जाने की इतनी
भी जल्दी क्यों है पड़ी ।।
एक दिन दफ्तर नहीं जाएंगे तो क्या होगा
बारिश से किसानों का तो भला होगा।।
फसल नहीं होगी को क्या खाएंगे
अपने किसान तो भूखे मर जाएंगे।।
किसानों की भूख से वैसे भी किसी का क्या वास्ता
हर कोई देखता है अपनी सफलता का रास्ता।।
किसानों की मौत पर सरकार भी नहीं बोलती
पर किसानों की रोजी तो पानी से ही है चलती।।
इसलिए हम कहते हैं, जमकर बरसों बदरा
ताकि किसी किसान पर न रहे मौत का खतरा ।।
सावन की झड़ी को देखकर बस अभी यह चंद लाइनें लिखी हैं।
अब कब रूके सब देख रहे हैं घड़ी।।
अरे भाई आफिस जाने की इतनी
भी जल्दी क्यों है पड़ी ।।
एक दिन दफ्तर नहीं जाएंगे तो क्या होगा
बारिश से किसानों का तो भला होगा।।
फसल नहीं होगी को क्या खाएंगे
अपने किसान तो भूखे मर जाएंगे।।
किसानों की भूख से वैसे भी किसी का क्या वास्ता
हर कोई देखता है अपनी सफलता का रास्ता।।
किसानों की मौत पर सरकार भी नहीं बोलती
पर किसानों की रोजी तो पानी से ही है चलती।।
इसलिए हम कहते हैं, जमकर बरसों बदरा
ताकि किसी किसान पर न रहे मौत का खतरा ।।
सावन की झड़ी को देखकर बस अभी यह चंद लाइनें लिखी हैं।
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