100 रुपए में दाल, चावल, सब्जी
खाने की थाली में महज दाल, चावल और सब्जी है और वह भी इतनी की एक आदमी का पेट भी नहीं भर सकता है और इस खाने की कीमत है 100 रुपए। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या छत्तीसगढ़ में महंगाई इतनी ज्यादा हो गई है कि 100 रुपए में मात्र दाल, चावल और सब्जी ही मिल रही है। यह बात नहीं है यह अपने देश में होने वाले भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है जो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय शालेय खेलों के खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण शिविर में देखने को मिल रहा है। खिलाडिय़ों के खाने के लिए 100 रुपए मिलते हैं, पर भ्रष्टाचारी उनको 25 रुपए का भी खाना नहीं खिलाते हैं और बाकी पैसे बिना डकार लिए डकार जाते हैं। हमको जब इस सारे मामले की जानकारी मिली तो हमारी मिशन पत्रकारिता वाला दिल जागा और हमने हमेशा की तरह इस मामले में भी एक पहल की जिसके परिणाम स्वरूप खिलाडिय़ों को सब्जी में अंडा खाने को मिला और उनको खाना भी ठीक दिया जाने लगा।
राष्ट्रीय शालेय खेलों में खेलने वाली प्रदेश की कबड्डी और नेटबॉल टीम के प्रशिक्षण शिविर में शामिल खिलाडिय़ों के साथ उनके कोच-मैनेजर ने हमें फोन करके बताया कि उनको खाना ठीक नहीं मिल रहा है। हम यहां पर बताना चाहेंगे कि अपने राज्य का हर खिलाड़ी इस बात को जानता है कि उनके हक के लिए लडऩे का साहस हम रखते हैं इसीलिए वे ऐसे समय में हमें ही याद करते हैं। खिलाडिय़ों की शिकायत के बाद जब हमने अधिकारियों से इस बारे में बात की तो रात के खाने में खिलाडिय़ों के लिए अंडे बनाया गया। रात के खाने की जांच करने के लिए एडीएम और अतिरिक्त जिलाधीश भी गए थे। इस खबर को हमने अपने अखबार हरिभूमि में प्रकाशित भी किया है।
राजधानी रायपुर में 7 अक्टूबर से राष्ट्रीय शालेय नेटबॉल और कबड्डी का आयोजन होने वाला है। इसमें शामिल होने वाली छत्तीसगढ़ की टीमों का यहं पर प्रशिक्षण शिविर 30 सितंबर से लगाया गया है। इस शिविर में खेलने आए खिलाडिय़ों ने आज हमसे शिकायत करते हुए बताया कि उनको खाने में बस दाल, चावल और सब्जी ही दी जा रही है, यही नहीं खाना भी कम दिया जाता है। खिलाडिय़ों के साथ इनको प्रशिक्षण देने वाले और साथ ही कई खेल शिक्षकों का एक स्वर में कहना है कि इतना कम खाना खिलाने के बाद खिलाडिय़ों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कैसे की जा सकती है। इनका कहना कि जब हर खिलाड़ी के लिए 100 रुपए खाने के लिए दिए जाते हैं तो खाना अच्छा होना चाहिए। इनका कहना है कि जो खाना खिलाया जा रहा है वह 25 रुपए का भी नहीं है।
खिलाडिय़ों की शिकायत के बाद जब इसके बारे में शिक्षा विभाग के सहायक संचालक (खेल) से बात की गई तो उन्होंने कहा कि खाने की जिम्मा रायपुर जिले के बाद है। वहां पर उपस्थित आयोजन की तैयारी में लगे एडीएम डोमन सिंह और अतिरिक्त जिलाधीश एसके अग्रवाल को इस बारे में बताया गया तो उन्होंने कहा कि इसकी आज ही रात के खाने में जांच की जाएगी। इधर एडीएम और अतिरिक्त जिलाधीश की खाने की जांच करने के लिए जाने की खबर मैस चलाने वालों के पास पहुंच गई और आनन-फानन में खिलाडिय़ों के लिए अंडे की सब्जी बनवा दी गई और सलाद भी कटवाया गया।
यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि स्कूल खेलों में हमेशा से खाने को लेकर शिकायतें रही हैं। अब तो राज्य स्तर पर भी 100 रुपए दिए जाते हैं, इसके बाद भी खाना ठीक नहीं मिलता है। खिलाडिय़ों का कहना है कि खाने की जांच अधिकारियों को मैस में आकर करनी चाहिए।
8 टिप्पणियाँ:
लगे रहो राजकुमार।बधाई हो।ये मामला ऐसा ही जिसमे खिलाड़ी डर कर खामोश रहता है।हमने भी कई कैम्प अटेण्ड किये हैं और सब देखा है।
आप ने बहुतों की कमाई में छेद कर दिया।
जिनकी कमाई में आपने छेद किया है, वो भले आपको कोसेंगे, लेकिन उससे ज्यादा वो खिलाड़ी आपको दुवाएं देंगे जिनकी खाने की थाली को संवारने का आपने काम किया है।
आप जैसे पत्रकारों के कारण ही तो पत्रकारिता जिंदा है, वरना मीडिया तो मुर्दों की बस्ती हो गई है।
ग्वालानी जी, देश में खेलों के साथ खेल ऐसे ही होता है...ये क्रिकेटरों की तरह देश के दामाद थोड़े ही हैं...खिलाड़ियों के पेट खाली और उम्मीद की जाती है कि ओलंपिक में वो देश के लिए सोने की बरसात करेंगे...
जय हिंद...
आपकी मिशन पत्रकारिता को सलाम है गुरु
दिनेश जी से सहमत आपने कई लोगों की कमाई में छेद कर दिया।
yeh to bahuthi galat kiya aapne. aisa karna aapko shobha nahi deta aakhir unke bhi to baal bacche hain aur diwali aane ko hai ghar me diye aur mithai kahan se aayegi jahir hai khiladiyon ke khane ki plate se hi aayegi aur bandhu yeh to sabhi jaante hain ki ashiyad ho ya olympic khiladiyon se jyada to adhikari hi jate hai.
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