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रविवार, अक्तूबर 04, 2009

नापसंद के चटके वाला बाक्स बैर ही पैदा करेगा

ब्लागवाणी वालों ने ऐलान किया है कि अब पसंद के साथ नापसंद के चटके वाला भी एक बाक्स बनाया जाएगा। एक तो सोचने वाली बात यह है कि इस बक्से की जरूरत क्या है? अगर ऐसा किया जाता है तो यह बात तय है कि इस बक्से से फायदा तो नहीं होगा बल्कि उल्टे ब्लागरों के बीच बैर जरूर पैदा हो जाएगा। अगर हमें कोई ब्लागर पसंद नहीं है तो हम बार-बार उसके ब्लाग में जाकर नापसंद वाले बाक्स में चटका लगा देंगे। ऐसे में क्या ब्लागरों में आपस में दुश्मनी नहीं होगी। हमारा ऐसा मानना है कि ऐसे किसी भी बाक्स को प्रारंभ करने से ब्लागवाणी को गंभीरता से इस दिशा में सोच लेना चाहिए कि इसका नतीजा कितना घातक हो सकता है। अगर हमें किसी का लिखा पसंद ही नहीं है तो यही काफी है कि हम उसे पढ़ेंगे ही नहीं, फिर अलग से नापसंद का चटका लगाने की क्या जरूरत है।

इस बारे में ब्लाग बिरादरी के मित्र क्या सोचते हैं जरूर बताएं ताकि ब्लागवाणी वालों को भी मदद मिल सके और सोचना पड़े कि उनको नापसंद के चटके वाला बाक्स लगाना चाहिए या नहीं?

10 टिप्पणियाँ:

दिनेशराय द्विवेदी रवि अक्तू॰ 04, 08:10:00 am 2009  

जितने खुलासे हुए हैं उस के बाद पसंद का ही क्या महत्व रह गया है? फिर नापसंद?

प्रवीण त्रिवेदी रवि अक्तू॰ 04, 08:32:00 am 2009  

राजकुमार जी !!
वैसे किसी को पता नहीं चलेगा कि किसने नापसंद का चटका लगाया ?

बाकी पसंद - नापसंद को माया समझिये और काम पर चलिए!!

<"मिड डे मील ....... पढ़ाई-लिखाई सब साढ़े बाइस !!"

Khushdeep Sehgal रवि अक्तू॰ 04, 08:41:00 am 2009  

राजकुमार जी, आपकी चिंता सही है, यही मुद्दा मैंने कल आपकी पोस्ट पर अपनी टिप्पणी में एक प्रश्न के ज़रिए पूछा था...

बेनामी,  रवि अक्तू॰ 04, 08:49:00 am 2009  

पसंद ने क्या कम दुश्मनियाँ की है , राजकुमार जी? जो आप कह रहे हैं कि नापसंद के चटके वाला बॉक्स बैर ही पैदा करेगा!!

बी एस पाबला

Unknown रवि अक्तू॰ 04, 10:16:00 am 2009  

आपके विचार से मैं भी सहमत। पसंद बटन होना चाहिए पर नापसंद नहीं।

अजय कुमार झा रवि अक्तू॰ 04, 02:30:00 pm 2009  

राज भाई ..हमारे विचार से तो सारे बटन तोड डाले जायें..और शर्ट को खुला कर दिया जाये..लहराने के लिये..या सिर्फ़ कुरता ही दिया जाये पहनने के लिये...वो भी बिना बटन वाला ही हो.....

अगर लिखे में दम होगा तो वह अपनी जगह और अपने पाठक अपने आप ढूंढ लेगा....रही बात उपयोग दुरूपयोग की ..दोनो ही पहलू साथ साथ चलते हैं..सो चलेंगे ही..वैसे इस बटन का औचित्य तो मुझे भी कुछ खास समझ में नहीं आया..

Anil Pusadkar रवि अक्तू॰ 04, 10:31:00 pm 2009  

ये सब चोचले हैं।

Randhir Singh Suman सोम अक्तू॰ 05, 08:52:00 am 2009  

नापसंद का चटका लगाने की जरूरत है। nice

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