मंदिरों में फोटो खींचना क्यों मना है?
हमने अक्सर कई बड़े-बड़े मंदिरों में देखा है कि वहां पर किसी को फोटो खींचने की इजाजत नहीं दी जाती है। कोई फोटो खींचने की कोशिश करता है तो वहां के पंडित उनको छोड़ते नहीं हंै। सोचने वाली बात है कि आखिर धार्मिक स्थलों पर किसी को फोटो खींचने से क्यों मना किया जाता है। इसका हमारे पास तो यही जवाब है कि ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मंदिर के बाहर बैठा वह दुकानदार फोटो बेच सके जिसके पास मंदिर के देवी-देवता के फोटो रहते हैं। जब मंदिर में फोटो खींचना ही मना है तो फिर उस दुकानदार के पास फोटो कहां से आ जाते हैं। अगर मना है तो सबके लिए मना है। अपने देश के सभी धार्मिक स्थल पूरी तरह से व्यापारिक स्थल बन गए हैं कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
मंदिरों का यह प्रसंग आज अचानक इसलिए निकल पड़ा है क्योंकि कल ही हम लोग अपने शहर के एक मंदिर में गए थे। महादेव घाट के इस मंदिर में कुछ फोटो हमें अच्छे लगे तो हमने फोटो खींचने प्रारंभ किए। ऐसे में वहां पर एक बंदे ने कहा कि भाई साहब यहां पर फोटो खींचना मना है। हमने पूछा क्यों तो उसने कहा कि बस मना है। अगर यहां की फोटो चाहिए तो सामने दुकान पर मिल जाएगी। यही कहानी अपने देश के ज्यादातर मंदिरों की है। छोटे मंदिरों में तो एक बार आप किसी भी तरह से फोटो खींचने में सफल हो जाएंगे, पर मजाल है कि किसी बड़े मंदिर में आप फोटो खींचने की हिम्मत कर सके। अगर आपने ऐसा करने का साहस किया तो उस मंदिर के पुजारी के गुंड़े आपका क्या हाल करेंगे यह तो आप सोच भी नहीं सकते हैं।
वास्तव में यह बहुत गंभीर मुद्दा है कि आखिर अपने देश में मंदिरों में फोटो खींचने पर प्रतिबंध क्यों है। इसके लिए क्या कोई कानून नहीं है? क्या कोई ऐसा नहीं है अपने देश में जो इस मामले में अदालत की शरण में जाए। लोग तो बात-बात पर जनहित याचिका लगाने की बात करते हैं, तो क्यों कर आज तक किसी ने इस मामले में ऐसी पहल नहीं की है। हमें तो लगता है कि इस मामले में भी कोर्ट तक जाने की जरूरत है ताकि कम से कम किसी भी मंदिर के देवी-देवताओं की फोटो खींचने से कोई वंचित नहीं रह सके।
यहां पर सोचने वाली यह भी है कि जिस मंदिर में फोटो खींचने की मनाही की जाती है, अगर उसी मंदिर में किसी फिल्म की शूटिंग होनी हो तो उस मंदिर में इसकी इजाजत दे दी जाती है, तब कोई नियम कानून क्यों नहीं होता है। अरे फिल्म की तो बात ही छोड़ दें अगर कोई छोटी-मोटी वीडियो फिल्म ही बनाने वाले ही वहां पहुंचा जाते हैं तो उनको कोई मना नहीं करता है। फिर ये कैसा मनमर्जी का कानून है कि किसी को फोटो खींचने से रोको, किसी को इजाजत दे दो।
अब सवाल यह है कि आखिर मंदिरों में फोटो खींचने से रोका क्यों जाता है? तो इसका सीधा सा जवाब यही है कि मंदिर के बाहर मंदिर के कर्ताधर्ताओं के लोग दुकान लगाकर बैठते हैं जिनके पास मंदिर के फोटो रहते हैं। इन्हीं फोटो को वे लोग भक्तों को बेचकर पैसे बनाने का काम करते हैं। फोटो खींचने से रोकने के पीछे का सच यही है कि फोटो से पैसा कमाने का काम किया जाता है। इस अवैधानिक काम पर रोक लगनी ही चाहिए और मंदिरों में भक्तों को फोटो खींचने की इजाजत मिलनी चाहिए। कई मंदिरों में लिखे भी रहता है कि यहां फोटो खींचना मना है, ऐेसा लिखने का अधिकार आखिर मंदिर में कौन देता है, यह भी सोचने वाली बात है।
12 टिप्पणियाँ:
सही कहते हैं आप. बाहर दुकानों में फोटो बिकती हैं इसलिए मंदिर में फोटो नहीं खींचने देते. इस बात का विरोध करने पर ऊटपटांग व्याख्याएं करने लगते हैं. एक बार एक पंडित ने कहा कि फोटो के फ्लैश से भगवान् चौंक जाते हैं. धत्त तेरे की! भगवान् फ्लैश चमकने से चौंक जाते हैं!
क्योंकि भगवान तो निराकार हैं
जो साकार हैं मूर्तियां और चित्र उनके
उनके पुजारी सरकार हैं
वे ही असरदार हैं
वे ही खींचते खिंचवाते हैं
भगवान को बेचते बिकवाते हैं
अपना धंधा दूना धर्म का सौगुना चलाते हैं
पर हम ही वहां फोटो खींचने क्यों जाते हैं
paysay kliy.nice
सगी,जीयो और जीने दो,जम्मो के रोजी रोटी के सवाल हवे, अऊ जनहित याचिका लगा के बेरोजगार मन के संख्या च ला बढोबे अऊ कांही नई होय्।
अऊ एक ठक गोठ एदे लईका हा बताय हे तेला कोट करत हंव "फोटो के फ्लैश से भगवान् चौंक जाते हैं. धत्त तेरे की! भगवान् फ्लैश चमकने से चौंक जाते हैं!" अईसने भी हो सकथे
बिल्कुल सही मुद्दा उठाया है, असल में हमारा समाज और उसके ठेकेदार ऐसे तथ्यों से दूर रहना चाहते हैं जिसमें उन्हें कोई फ़ायदा न हो।
बिल्कुल सही मुद्दा उठाया है गुरु
हम भी भुक्तभोगी हैं. बिलकुल सही कहा है, बहार दूकान लगा कर धंदा चल रहा होता है.
आपकी बातें जायज हैं, इसपर विचार होना चाहिए।
( Treasurer-S. T. )
बिल्कुल सही मुद्दा उठाया है, हम भी भुक्तभोगी हैं. बहार दूकान लगा कर धंदा चल रहा होता है .
लोगों का नंगापन देखकर भाई मैं तो मंदिरों मैं फोटो खींचने की मनाही हो सही मानता हूँ ... थोडा विस्तार से चर्चा यहाँ है : http://raksingh.blogspot.com/2009/10/blog-post_20.html
यही बात सही है अगर हम अन्दर फोटो खीचेगे तो बाहर पंडो की फोटो कौन लेगा
जब हम मंदिर जाकर फोटो खिचेंगे, तो उस समय हमारे अन्दर भगवान के लिए श्रद्ध कम रहेगी
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