जय ईमानदारी, जय रमन, जय छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एएसपी शशिमोहन सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की पहल पर अपना इस्तीफा वापस लिया और काम पर लौट आए हैं। यह जीत है एक ईमानदार अफसर की। चलिए कम से कम मुख्यमंत्री ने एक ईमानदार अफसर की कद्र तो की। वैसे मुख्यमंत्री को इसी तरह से खुले अमित कटारिया की भी कद्र करनी चाहिए थी, पर संभवत: यह उनकी मजबूरी है कि नगर निगम के चुनाव को देखते हुए उनको अपनी पार्टी के दबाव के कारण अमित कटारिया को हटाना पड़ा। लेकिन यहां पर मुख्यमंत्री डॉ. सिंह की तारीफ करनी पड़ेगी कि उन्होंने अमित कटारिया के स्थान पर जिनको निगम का आयुक्त बनाया है, वे ओम प्रकाश चौधरी साहब भी अमित कटारिया से कम नहीं है। यानी मुख्यमंत्री ने ऐसा खेल खेला कि सांप भी मर गया और लाठी भी सलामत है। कुल मिलाकर अपने रायपुर में ईमानदारी की जीत हुई है। तो चलिए यही कहा जाए कि जय ईमानदारी, जय रमन, जय छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ दिनों से दो ईमानदार अफसरों के साथ की गई राजनीति को लेकर माहौल काफी गर्म रहा है। पहली बार आम जनता ने सामने आकर इन ईमानदार अफसरों के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान तक चलाया। इसका नजीता यह रहा कि अंतत: मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को कम से कम एएसपी शशिमोहन सिंह के मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। उनको मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अपना इस्तीफा वापस लेकर काम पर लौटना पड़ा। उनके काम पर लौटने से पुलिस विभाग का सिर ऊंचा हो गया है कि चलो यार अपने विभाग में ऐसे अफसर हैं जिनकी ईमानदारी की कद्र करना अपने सीएम जानते हैं।
सीएम ने जिस तरह की कद्र एएसपी की है, वैसी की कद्र उनको नगर निगम के आयुक्त अमित कटारिया की भी करनी चाहिए थी। वैसे सीएम ऐसा करते भी अगर सामने नगर निगम के चुनाव नहीं होते और उन पर पार्टी का दबाव नहीं होता। पार्टी के दबाव के चलते ही उनको अमित कटारिया को निगम से हटाने का काम करना पड़ा। लेकिन यहां पर सीएम ने एक ऐसा खेल खेला जिसके बारे कोई सोच नहीं सकता था। पार्टी के लोग चाहते थे कि निगम का आयुक्त ऐसे अफसर को बनाया जाए जो पार्टी के लोगों की बातें मानें। लेकिन सीएम ने यहां पर अपनी पसंद के एक ऐसे आयुक्त को अमित कटारिया के स्थान पर नियुक्त किया है जो किसी भी मायने में कटारिया से कम नहीं हैं। कटारिया और चौधरी में मित्रता भी है। इनकी मित्रता का कारण यह है कि दोनों के काम करने की शैली एक जैसी है और दोनों को ईमानदारी के कीड़े से काट रखा है।
एक तरह से देखा जाए तो अपने शहर के दोनों ईमानदारों अफसरों की जीत हुई है। कम से कम मुख्यमंत्री ने तो जरूर इनकी कद्र की है। एक की कद्र खुले रूप में तो दूसरे की परोक्ष रूप में ही सही कद्र तो की है। अगर ऐेसा नहीं होता तो निगम में पार्टी की पसंद का आयुक्त नियुक्त किया जाता।
तो चलो हम बोले जय ईमानदारी, जय रमन सिंह, जय भारत, जय हिन्द, जय छत्तीसगढ़।
11 टिप्पणियाँ:
जय ईमानदारी तक तो एक कंग्रेसी सिपाही बोल ही सकता है जय छत्तीसगढ़ के साथ. :)
जय ईमानदारी, जय रमन सिंह, जय भारत, जय हिन्द, जय छत्तीसगढ़।
जय ईमानदारी
बी एस पाबला
ईमानदारों की अगर ऐसे ही कदर होने लगे तो देश में ईमानदारों की पूछ परख जरूर बढ़ जाएगी.
जय ईमानदारी, जय छत्तीसगढ़, जय रमन ही नहीं जय राजतंत्र भी
और सबसे सीनियर आई ए एस अफ़सर बी के एस रे का बीना उचित प्रोमोशन के रिटायर हो जाना।जय ईमानदारी?
छत्तीसगढ़ ईमानदारी का अलख पूरे देश में जगाए यही कामना है
अब आप लोग उसे जो भी रंग चढा लो मगर मैं यह मानकर चलता हूँ कि अगर आप सचमुच सच्चाई के रास्ते पर काहल रहे है तो देर जरूर लगेगी मगर आपको लाभांश अवश्य मिलेगा !
जय ईमानदारी
ऐसी छोटी एकाध खबर भी आशा की किरण सी दिखती है
ऐसी इमानदारी की खबरें अब पढने को कहाँ मिलती है ...
छोटी सी ही किरण पर है तो आशा की ...
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