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रविवार, अक्तूबर 18, 2009

तुम्हारी आंखें



सागर सी गहरी, झील सी नीली हैं तुम्हारी आंखें

कितनी खुबसूरत और प्यारी हैं तुम्हारी आंखें


जब भी नजर उठती है तडफ़ उठते हैं कई दिल

हर दिल में अरमानों का तूफान उठाती हैं तुम्हारी आंखें

जिसे भी एक बार देख लेती हैं तुम्हारी आंखें

चैन नहीं लेने देती हैं तुम्हारी आंखें


हर सय में नजर आती हैं फिर तुम्हारी आंखें

ख्वाबों में आकर तडफ़ाती हैं तुम्हारी आंखें


इतनी मदमस्त मदभरी हैं तुम्हारी आंखें

किसी को भी दीवाना बना दें तुम्हारी आंखें

11 टिप्पणियाँ:

M VERMA रवि अक्तू॰ 18, 06:34:00 am 2009  

वाकई खूबसूरत है तुम्हारी आँखे

Unknown रवि अक्तू॰ 18, 08:11:00 am 2009  

अच्छी रचना है
आपको दीवाली की बधाई

ब्लॉ.ललित शर्मा रवि अक्तू॰ 18, 09:17:00 am 2009  

कहीं और आँख लग गयी थी,इसलिए तुम्हारी खुबसुरत आँखों की तरफ़ ध्यान नही गया, आज फ़ुरसत मे देखा तो लगा वाकई में खुबसूरत है,"तुम्हारी आँखें"

दीवाली की राम-राम

asif ali,  रवि अक्तू॰ 18, 09:31:00 am 2009  

बहुत सुंदर वाह....
ज्योति पर्व मुबारक हो

परमजीत सिहँ बाली रवि अक्तू॰ 18, 12:12:00 pm 2009  

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

Mishra Pankaj रवि अक्तू॰ 18, 01:39:00 pm 2009  

सुन्दर रचना बधाई

मनोज कुमार रवि अक्तू॰ 18, 02:45:00 pm 2009  

बहुत ख़ूब। अर्ज़ किया है
नज़र में ढ़ल के उभरते हैं दिल के अफ़साने,
यह और बात है, दुनियां नज़र न पहचाने।

santost,  रवि अक्तू॰ 18, 05:42:00 pm 2009  

अच्छी रचना है

Anil Pusadkar रवि अक्तू॰ 18, 09:02:00 pm 2009  

क्या बात है राजकुमार सब ठीक तो है ना,दीवाली की शुभकामनाएँ

Smart Indian सोम अक्तू॰ 19, 01:08:00 am 2009  

सुन्दर रचना है। बधाई और दीवाली की शुभकामनाएँ!

बाल भवन जबलपुर सोम अक्तू॰ 19, 02:32:00 am 2009  

अगर ये आँखें आपको पसंद हैं तो कोई बात नहीं
वरना मुझे भी इनकी गहराइयों डूबना है ?
ख़ूबसूरत कविता के लिए आभार

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