तुम्हारी आंखें
सागर सी गहरी, झील सी नीली हैं तुम्हारी आंखें
कितनी खुबसूरत और प्यारी हैं तुम्हारी आंखें
जब भी नजर उठती है तडफ़ उठते हैं कई दिल
हर दिल में अरमानों का तूफान उठाती हैं तुम्हारी आंखें
जिसे भी एक बार देख लेती हैं तुम्हारी आंखें
चैन नहीं लेने देती हैं तुम्हारी आंखें
हर सय में नजर आती हैं फिर तुम्हारी आंखें
ख्वाबों में आकर तडफ़ाती हैं तुम्हारी आंखें
इतनी मदमस्त मदभरी हैं तुम्हारी आंखें
किसी को भी दीवाना बना दें तुम्हारी आंखें
11 टिप्पणियाँ:
वाकई खूबसूरत है तुम्हारी आँखे
अच्छी रचना है
आपको दीवाली की बधाई
कहीं और आँख लग गयी थी,इसलिए तुम्हारी खुबसुरत आँखों की तरफ़ ध्यान नही गया, आज फ़ुरसत मे देखा तो लगा वाकई में खुबसूरत है,"तुम्हारी आँखें"
दीवाली की राम-राम
बहुत सुंदर वाह....
ज्योति पर्व मुबारक हो
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
सुन्दर रचना बधाई
बहुत ख़ूब। अर्ज़ किया है
नज़र में ढ़ल के उभरते हैं दिल के अफ़साने,
यह और बात है, दुनियां नज़र न पहचाने।
अच्छी रचना है
क्या बात है राजकुमार सब ठीक तो है ना,दीवाली की शुभकामनाएँ
सुन्दर रचना है। बधाई और दीवाली की शुभकामनाएँ!
अगर ये आँखें आपको पसंद हैं तो कोई बात नहीं
वरना मुझे भी इनकी गहराइयों डूबना है ?
ख़ूबसूरत कविता के लिए आभार
एक टिप्पणी भेजें