नखरेवाली
दिल फिर मचलने लगा
प्यार का चिराग चलने लगा
अभी आए, वो अभी चल दिए
हम फिर अकेले रह गए
उनकी इस अदा को देखकर
हम दीवाने हो गए
लेना चाहा वादा कल का
पर वो मुकर गए
दिया जब प्यार का वास्ता प्रिंस
दिखाया उसने परसो का रास्ता
परसो जब हम उधर गए
जाने वो किधर गए
किया इंतजार दिन भर
पर हुआ ना दीदार
सुनाए क्या अब हाल
हम अपने दिल का यार
हमारे पल्ले पड़ गया है
एक नखरेवाली का प्यार
4 टिप्पणियाँ:
कहां नखरेवाली के चक्कर में पड़े हैं, कोई और क्यों नहीं ढंूढ लेते
अब प्यार किया है तो झेलना ही पड़ेगा
लगता है कि नखरेवाली के चक्कर मे घरवाली से मार खाकर ही मानेगा तू।वैसे आजकल इसिलिये परेशान लग रहा है तू,क्यों ये सिर्फ़ कविता ही ना?
अगर महबूबा नखरेवाली न हो तो वो महबूबा कैसे होगी
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