राजनीति के साथ हर विषय पर लेख पढने को मिलेंगे....

शुक्रवार, अक्तूबर 02, 2009

गांधी से युवाओं को सरोकार ही नहीं


आज गांधी जयंती है, इस अवसर पर हम एक बार फिर से याद दिलाना चाहते हैं कि भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दर्शन करने का मन आज के युवाओं में है ही नहीं। यह बात बिना वजह नहीं कही जा रही है। कम से कम इस बात का दावा छत्तीसगढ़ के संदर्भ में तो जरूर किया जा सकता है। बाकी राज्यों के बारे में तो हम कोई दावा नहीं कर सकते हैं, लेकिन हमें लगता है कि बाकी राज्यों की तस्वीर छत्तीसगढ़ से जुदा नहीं होगी। आज महात्मा गांधी का प्रसंग इसलिए निकालना पड़ा है क्योंकि आज महात्मा गांधी की जयंती है और हमें याद है कि इस साल ही हमारे एक मित्र दर्शन शास्त्र का एक पेपर गांधी दर्शन देने गए थे। जब वे पेपर देने गए तो उनको मालूम हुआ कि वे गांधी दर्शन विषय लेने वाले एक मात्र छात्र हैं। अब यह अपने राष्ट्रपिता का दुर्भाग्य है कि उनके गांधी दर्शन को पढऩे और उसकी परीक्षा देने वाले परीक्षार्थी मिलते ही नहीं हैं। गांधी जी को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वालों की अपने देश में कमी नहीं है, लेकिन जब उनके बताएं रास्ते पर चलने की बात होती है को कोई आगे नहीं आता है। कुछ समय पहले जब एक फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस आई थी तो इस फिल्म के बाद युवाओं ने गांधीगिरी करके मीडिया की सुर्खियां बनने का जरूर काम किया था।

हमारे एक मित्र हैं सीएल यादव.. नहीं.. नहीं उनका पूरा नाम लिखना उचित रहेगा क्योंकि उनके नाम से भी मालूम होता है कि वे वास्तव में पुराने जमाने के हैं और उनकी रूचि महात्मा गांधी में है। उनका पूरा नाम है छेदू लाल यादव। नाम पुराना है, आज के जमाने में ऐसे नाम नहीं रखे जाते हैं। हमारे यादव जी रायपुर की नागरिक सहकारी बैंक की अश्वनी नगर शाखा में शाखा प्रबंधक हैं। बैंक की नौकरी करने के साथ ही उनकी रूचि अब तक पढ़ाई में है। उनके बच्चों की शादी हो गई है लेकिन उन्होंने पढ़ाई से नाता नहीं तोड़ा है। पिछले साल जहां उन्होंने पत्रकारिता की परीक्षा दी थी, वहीं इस बार उन्होंने दर्शन शास्त्र पढऩे का मन बनाया। यही नहीं उन्होंने एक विषय के रूप में गांधी दर्शन को भी चुना। लेकिन तब उनको मालूम नहीं था कि वे जब परीक्षा देने जाएंगे तो उनको परीक्षा हाल में अकेले बैठना पड़ेगा। जब वे परीक्षा देने के लिए विश्व विद्यालय गए तो उनके इंतजार में सभी थे। दोपहर तीन बजे का पेपर था। उनको विवि के स्टाफ ने बताया कि उनके लिए ही आज विवि का परीक्षा हाल खोला गया और 20 लोगों का स्टाफ काम पर है। उन्होंने परीक्षा दी और वहां के स्टाफ के साथ बातें भी कीं। यादव संभवत: पहले परीक्षार्थी रहे हैं जिनको विवि के स्टाफ ने अपने साथ दो बार चाय भी पिलाई।

आज एक यादव जी के कारण यह बात खुलकर सामने आई है कि वास्तव में अपने देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कितनी कदर की जाती है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि राष्ट्रपिता से आज की युवा पीढ़ी को कोई मतलब नहीं रह गया है। युवा पीढ़ी की बात ही क्या उस पीढ़ी के जन्मादाताओं का भी गांधी जी से ज्यादा सरोकार नहीं है। एक बार जब कॉलेज के शिक्षाविदों से पूछा गया कि महात्मा गांधी की मां का नाम क्या था। तो एक एक प्रोफेसर ने काफी झिझकते हुए उनका नाम बताया पुतलीबाई। यह नाम बिलकुल सही है।

एक तरफ जहां कॉलेज के प्रोफेसर नाम नहीं बता पाए थे, वहीं अचानक एक दिन हमने अपने घर में जब इस बात का जिक्र किया तो हमें उस समय काफी आश्चर्य हुआ जब हमारी छठी क्लास में पढऩे वाली बिटिया स्वप्निल ने तपाक से कहा कि महात्मा गांधी की मां का नाम पुतलीबाई था। हमने उससे पूछा कि तुमको कैसे मालूम तो उसने बताया कि उनसे महात्मा गांधी के निबंध में पढ़ा है। उसने हमें यह निबंध भी दिखाया। वह निबंध देखकर हमें इसलिए खुशी हुई क्योंकि वह अंग्रेजी में था। हमें लगा कि चलो कम से कम इंग्लिश मीडियम में पढऩे वाले बच्चों को तो महात्मा गांधी के बारे में जानकारी मिल रही है। यह एक अच्छा संकेत हो सकता है। लेकिन दूसरी तरफ हमारी युवा पीढ़ी जरूर गांधी दर्शन से परहेज किए हुए हैं। हां अगर गांधी जी के नाम को भुनाने के लिए गांधीगिरी करने की बारी आती है तो मीडिया में स्थान पाने के लिए जरूर युवा गांधीगिरी करने से परहेज नहीं करते हैं। एक बार हमने अपने ब्लाग में भी गांधी की मां का नाम पूछा था हमें इस बात की खुशी है ब्लाग बिरादरी के काफी लोग उनका नाम जानते हैं।

9 टिप्पणियाँ:

Khushdeep Sehgal शुक्र अक्तू॰ 02, 08:07:00 am 2009  

देश के दो लाल...एक सत्य का सिपाही...दूसरा ईमानदारी का पुतला...लेकिन अगर आज गांधी जी होते तो देश की हालत देखकर बस यही कहते...हे राम...दूसरी ओर जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री जी भी आज होते तो उन्हें अपना नारा इस रूप मे नज़र आता...सौ मे से 95 बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान...

Unknown शुक्र अक्तू॰ 02, 09:26:00 am 2009  

देख तेरे देश की हालत क्या होगी बापू, सब हो गए बेईमान फिर भी तेरा देश महान

समयचक्र शुक्र अक्तू॰ 02, 09:48:00 am 2009  

बहुत बढ़िया पोस्ट प्रस्तुति
बापू जी एवं शास्त्रीजी को शत शत नमन

guru शुक्र अक्तू॰ 02, 10:01:00 am 2009  

गांधी जी को समझने वाले यादव जी को नमन है गुरु

गिरिजेश राव, Girijesh Rao शुक्र अक्तू॰ 02, 10:04:00 am 2009  

कोई आप की आत्मा को बहुत कुरेदे तो बचने की एक राह बहुत कारगर है - उसे भक्ति और ऐश्वर्य दे दो। फिर आप कुछ चुने दिनों पर कुछ औपचारिकताएँ करने के आडम्बर करने के अलावा कुरेदन से मुक्त हो जाते हैं। गांधी के साथ भी ऐसा ही हुआ:
- दर्शन
- ट्रस्ट
- सड़कें
- मूर्तियाँ
...
सबसे बड़ा कदम - राष्ट्र पिता
आज के युवाओं को आसमान चाहिए - बिना जमीन के आधार के। गान्धी जैसे जमीनी आदमी को कैसे आप पैक करेंगे कि उन्हें सुहाए !

Unknown शुक्र अक्तू॰ 02, 10:37:00 am 2009  

न रहे गांधी न रहा चरखा, अब तो है बस जिंस के फैशन का लटका-झटका

संजय बेंगाणी शुक्र अक्तू॰ 02, 01:57:00 pm 2009  

युवाओं को कोसने का काम हर पीढ़ि करती आई है, चाहे वह भी कभी युवा रही हो :)

हालात सोच से कहीं ज्यादा बेहतर है.


रही बात जिंस और लटकों कि तो क्या सन 47 में ही देश लटका रहेगा?

वन्दे मातरम.

Unknown शुक्र अक्तू॰ 02, 02:51:00 pm 2009  

गांधी जी को याद करने से क्या फायदा आज तो पूरा देश हिंसा वादी हो गया है।

Unknown शुक्र अक्तू॰ 02, 05:07:00 pm 2009  

"इसमें कोई दो मत नहीं है कि राष्ट्रपिता से आज की युवा पीढ़ी को कोई मतलब नहीं रह गया है। युवा पीढ़ी की बात ही क्या उस पीढ़ी के जन्मादाताओं का भी गांधी जी से ज्यादा सरोकार नहीं है।"

सरोकार इसलिए नहीं है कि "गांधी दर्शन" शाश्वत ही नहीं है, उनके दर्शन के आधार पर जीवन को जिया ही नहीं जा सकता। "यदि कोई आपके एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल भी आगे कर दो" वाले उनके सिद्धान्त को क्या आप स्वीकार करेंगे?

सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए उनके दर्शन को तूल देकर एक समय में ऊपर उठाया गया था और लोकप्रिय बनाया गया था।

Related Posts with Thumbnails

ब्लाग चर्चा

Blog Archive

मेरी ब्लॉग सूची

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP